Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस ने यूं ही नहीं ली UP की 17 सीटें, जमीनी हकीकत के बल पर तमाम महारथियों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी

Lok Sabha Elections 2024: सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वाराणसी लोकसभा सीट पर कौन टकराएगा? यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है। वैसे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय इस सीट पर चुनाव लड़ने के सबसे प्रबल दावेदार हैं। वह पिछला लोकसभा चुनाव भी नरेंद्र मोदी के खिलाफ लड़ ही चुके हैं, लेकिन क्या इस बार भी वही मैदान में उतरेंगे?

अपडेटेड Feb 23, 2024 पर 10:01 AM
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Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस अपने उन तमाम महारथियों को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में है, जिन्हें वो जिताऊ मानती है

Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस (Congress) अपने उन तमाम महारथियों को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में है, जिन्हें वो जिताऊ मानती है। सपा और कांग्रेस के बीच सीटों का जो बंटवारा हुआ है, वो इसी रणनीति के तहत हुआ है। कांग्रेस के खाते में जो सीट गई हैं, उससे तो यही संकेत मिलते हैं कि कांग्रेस ने पहले संभावित प्रत्याशी के नामों और उनकी जमीनी मजबूती पर विचार किया और फिर सीटों का बंटवारा हुआ। कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से वही सीट ली हैं, जहां पर वो मानती है कि उसके मजबूत प्रत्याशी हैं और वे चुनाव जिता सकते हैं। कई सीटों पर सिर्फ एक ही प्रत्याशी है, जिसके नाम को अंतिम रूप दिया जा चुका है। कुछ पर दो-दो मजबूत दावेदार है। इनमें से किसे टिकट दिया जाए इसका फैसला भी जल्द हो जाएगा।

महत्वपूर्ण तथ्य है कि सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वाराणसी लोकसभा सीट पर कौन टकराएगा? यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है। वैसे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय इस सीट पर चुनाव लड़ने के सबसे प्रबल दावेदार हैं। वह पिछला लोकसभा चुनाव भी नरेंद्र मोदी के खिलाफ लड़ ही चुके हैं, लेकिन क्या इस बार भी वही मैदान में उतरेंगे? वैसे कांग्रेस में इस बात पर मंथन चल रहा है कि अजय राय खुद मैदान में उतरें या राजेश मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारा जाए, जो एक बार बनारस से चुनाव जीत भी चुके हैं।

अमेठी और रायबरेली के लिए क्या है योजना?


कांग्रेस के पास उसके दो किले अमेठी और रायबरेली भी हैं। 2019 के आम चुनाव में अमेठी लोकसभा सीट पर बीजेपी ने सेंध लगा दी थी, लेकिन क्या राहुल गांधी अमेठी से फिर से चुनाव लड़ेंगे या प्रियंका रायबरेली अमेठी किसी एक सीट पर चुनाव लड़ सकती हैं? यह तय माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी चुनाव जरूर लड़ेंगी। अब प्रियंका रायबरेली से लड़ती हैं या अमेठी से यह अभी तय नहीं। अमेठी जिला कांग्रेस कमेटी ने प्रस्ताव पारित कर राहुल गांधी के अमेठी से ही चुनाव लड़ने की मांग की थी। लेकिन राहुल गांधी ने इसका कोई जवाब नहीं दिया।

उधर फतेहपुर सीकरी और उससे जुड़ी सीट मथुरा कांग्रेस के खाते में गई है। फतेहपुर सीकरी सीट पर चुनाव कौन लड़ेगा? चर्चा इसलिए चल रही है, क्योंकि वहां से राज बब्बर चुनाव लड़ चुके हैं। क्या इस बार भी वह चुनाव लड़ेंगे। वैसे इस क्षेत्र में कांग्रेस के ही एक नेता रामनाथ की भी चर्चा है, जिन्हें काफी लोकप्रिय है।

पार्टी ने इस बात का खास ध्यान रखा है कि जिन बड़े नेताओं को दूसरे दलों से पार्टी में लाया गया है, उन्हें उनके इलाकों से ही चुनाव जरूर लड़ाया जाए। अमरोहा लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में गई है और इस सीट पर कांग्रेस BSP से आए वर्तमान सांसद दानिश अली को चुनाव मैदान में उतारेगी।

वह पिछले चुनाव में सपा बसपा और RLD गठबंधन के चलते अमरोहा सीट से ही चुनाव जीते थे। लेकिन पिछले दिनों वह जिस ढंग से कांग्रेस के साथ मेल मिलाप कर रहे थे, उससे नाराज़ मायावती ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। दानिश अली को चुनाव लड़वाने के लिए ही कांग्रेस अमरोहा या मुरादाबाद में से कोई एक सीट चाहती थी। अब कांग्रेस उन्हें अमरोहा से ही चुनाव लड़ाएगी।

बाकी सीटों का क्या है हाल?

यही नहीं बहुजन समाज पार्टी से ही कांग्रेस में आए इमरान मसूद के भी चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी है। सपा ने सहारनपुर सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी है। इमरान मसूद पहले कांग्रेस में ही थे। फिर वह समाजवादी पार्टी और फिर बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए थे। वह फिर पलट कर कांग्रेस में ही आ गए।

वास्तव में सहारनपुर सीट मुस्लिम बहुल सीट है और यहां पर पिछले लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी चुनाव जीत गए थे। यह अलग बात है कि तब महागठबंधन था और BSP प्रत्याशी के पक्ष में मुस्लिम और दलित मतदाता पूरी तरह से एकजुट हो गया था। अब कांग्रेस इमरान मसूद को कांग्रेस टिकट देगी। वैसे भी इमरान मसूद क्षेत्र में लोकप्रिय हैं और मुस्लिम मतदाता उनके साथ रहा है। लेकिन क्या वह विपक्ष के खाते की यह सीट बचा पाएंगे। वो भी तब जब बहुजन समाज पार्टी ने भी यहां पर मुस्लिम प्रत्याशी ही उतारा है।

बाराबंकी सीट भी कांग्रेस के खाते में गई है। कांग्रेस इस सीट पर पूर्व सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया को मैदान में उतारेगी या उनके बेटे तनुज पुनिया को। तनुज दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और दोनों बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि पीएल पूनिया का बाराबंकी में अपना जनाधार है।

देवरिया सीट भी कांग्रेस के खाते में गई है और वहां पार्टी के नेता पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह मैदान में उतरेंगे। अखिलेश के सामने बीजेपी से कौन होगा यह तय नहीं है। कानपुर सीट पर कांग्रेस काफी मजबूत रह चुकी है, लेकिन अब स्थितियां बदली हुई हैं। लेकिन कांग्रेस को भरोसा है कि कानपुर के लोग पार्टी का साथ देंगे।

इस सीट पर पार्टी के पूर्व विधायक अजय कपूर लड़ सकते हैं। वैसे इस सीट पर दावेदार कई हैं। मुस्लिम बहुल इस सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जायसवाल कई बार चुनाव जीते हैं। जालौन सीट भी कांग्रेस के खाते में गई है। इस सीट पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खबरी चुनाव लड़ सकते हैं और उन्हीं को ध्यान में रखकर यह सीट कांग्रेस ने अपने लिए सपा से मांगी थी। ब्रजलाल खाबरी इसी क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं और वह बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे।

झांसी सीट पर केंद्रीय पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप आदित्य जैन को कांग्रेस टिकट दे सकती है। यह सीट फिलहाल BJP के ही कब्जे में है। प्रदीप आदित्य जैन चुनाव की तैयारी भी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर से सटी महाराजगंज लोकसभा सीट से इस बार कांग्रेस वीरेंद्र चौधरी को मैदान में उतार सकती है।

वीरेंद्र चौधरी कांग्रेस के उन दो विधायकों में एक है, जो 2022 के विधानसभा चुनाव में सफल हुए थे। वैसे यह क्षेत्र कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत का भी है और यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या वह भी चुनाव लड़ सकती हैं। इसके पहले वह लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन सफल नहीं हुई थी। बांसगांव सुरक्षित सीट भी कांग्रेस के पास है और कांग्रेस की सीट पर बहराइच के पूर्व सांसद कमांडो कमल किशोर को भी आजमा सकती है।

Brijesh Shukla

Brijesh Shukla

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