उत्तर प्रदेश से कुल 80 सांसद लोकसभा पहुंचते हैं। भारतीय राजनीति में कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर ही गुजरता है। राज्य में सभी सात चरणों (19 अप्रैल, 26 अप्रैल, 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून) में चुनाव होंगे। वोटों की गिनती 4 जून को होगी। 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन ने राज्य की 80 में से 64 सीटों पर जीत हासिल की थी और इनमें से 62 सीटें सिर्फ बीजेपी को मिली थीं। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल को 15 सीटें मिली थीं और कांग्रेस सिर्फ एक सीट (राय बरेली) पर सिमटकर रह गई थी।
इस बार के लोकसभा चुनावों में बीजेपी राज्य की ज्यादातर सीटों पर चुनाव लड़ेगी। विपक्षी गठबंधन की बात करें तो कांग्रेस 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी और बाकी सीटों पर समाजवादी पार्टी और अन्य दलों की दावेदारी होगी। हम यहां उत्तर प्रदश की कुछ अहम लोकसभा सीटों के बारे में जानकारी पेश कर रहे हैं:
प्राचीन शहर वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है, जहां से वह लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले इस सीट से बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी सांसद थे। मोदी यहां से आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता अजय राय को हरा चुके हैं। इस बार मोदी के खिलाफ अजय राय है, जो इंडिया गठबंधन के साझा उम्मीदवार हैं।
2019 के लोकसभा चुनावों में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने इस सीट से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हराया था। यह सीट पहले कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। राहुल गांधी लगातार तीन बार अमेठी से चुनाव जीत चुके हैं और उनसे पहले उनके माता-पिता सोनिया गांधी और राजीव गांधी भी यहां से सांसद रह चुके हैं। बीजेपी ने फिर से स्मृति ईरानी को अमेठी से उम्मीदवार बनाया है, जबकि इंडिया गठबंधन ने अभी इस सीट पर उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है।
यह सीट भी कांग्रेस का गढ़ रही है। कांग्रेस की सोनिया गांधी 2004 से इस सीट से लगातार सांसद रही हैं। हालांकि, अब वह राज्यसभा से सांसद बन गई हैं। अब तक किसी भघी पार्टी ने यहां से उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। हालांकि, खबरों की मानें तो कांग्रेस पार्टी यहां से प्रियंका गांधी वॉड्रा को मैदान में उतार सकती है।
यह सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ है और यहां से कई बार मुलायम सिंह यादव चुनाव जीत चुके हैं। फिलहाल, इस लोकसभा सीट से उनकी पुत्रवधू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव सांसद हैं। समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर फिर से डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया है, जबकि बीजेपी ने अब तक अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है।
समाजवादी पार्टी ने मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव को यहां से उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेता संघमित्रा मौर्य ने यहां से जीत हासिल की थी। संघमित्रा मौर्य, स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं। शिवपाल यादव यहां से बीजेपी दूरविजय सिंह शाक्य के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव कन्नौज से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। इस इलाके में ओबीसी और मुस्लिम वोटरों की बड़ी आबादी है। कभी इस सीट से जाने-माने समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया सांसद हुआ करते थे। यहां के मौजूदा सांसद बीजेपी के सुब्रत पाठक हैं। यहां सीट कई बार समाजवादी पार्टी ने भी जीती है। मुलायम सिंह यादव ने 1999 में इस सीट से जीत हासिल की थी, जबकि उनके बेटे अखिलेश यादव 2000, 2004 और 2009 में यहां से चुने गए थे। अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव भी यहां से 2012 और 2014 में चुनाव जीत चुकी हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 'कर्मभूमि' गोरखपुर का संसद में पांच बार प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्रियों द्वारा किया जा चुका है। पिछली बार बीजेपी के रवि किशन ने यहां से चुनाव जीता था। उन्होंने समाजवादी पार्टी के राम निषाद को 3 लाख से भी ज्यादा वोटों से हराया था। बीजेपी ने यहां से एक बार फिर किशन को चुनाव में उतारा है। उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार काजल निषाद से है।