असम में लोकसभा चुनावों (Assam Lok Sabha Elections) के दूसरे चरण की वोटिंग में सिर्फ एक दिन बचा है। यह चरण असम के लिए बहुत अहम है, क्योंकि इस बार उन सीटों पर मतदान हो रहे हैं, जिनमें मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। 26 अप्रैल को करीमगंज, सिलचर, नागांव, दरांग-उदलगुरी और दिफू में वोटिंग होने वाली है। नागांव की सीट कांग्रेस के पास है। बाकी सभी सीटें बीजेपी के पास हैं। दीफू की सीट जनजाति के लिए आरक्षित है, बाकी सभी सीटों पर बंगाली बोलने वाली मुस्लिम आबादी की अच्छी संख्या है। सिलचर और करीमनगर में बंगाली हिंदू लोगों की अच्छी आबादी है।
इन सीटों पर मुस्लिम आबादी
55.7 फीसदी मुस्लिम आबादी करीमगंज में है। सिलचर में मुस्लिम आबादी 40 फीसदी से कम है। नागांव में यह 58 फीसदी है। दरांग-उदलगिरि में यह करीब 40 फीसदी है। मुस्लिम बहुल सात विधानसभा सीटें पहले कालियाबोर के तहत आती थीं। पिछले साल परिसीमन के बाद इन्हें नागांव में जोड़ दिया गया। इससे मुस्लिम मतदाताओं की आबादी काफी बढ़ गई।
मुस्लिम मतदाताओं तक बीजेपी की पहुंच
बीजेपी ने मुस्लिम आबादी के बीच पैठ बनाने की कोशिश की है। हालांकि, यह पार्टी के पहले के रुख से अलग है। मुख्यमंत्री हेमंत बिश्वा शर्मा के उस बयान को बड़ी न्यूज एजेंसियों ने अपनी खबर का हिस्सा बनाया था कि बीजेपी कभी मुस्लिमों के वोट हासिल करने की कोशिश नहीं करेगी। उनका इशारा बंगाल मूल के मुस्लिमों से था। बाकी दो मुस्लिम समूहों में असमी मुस्लिम और हिंदी भाषी मुस्लिम आते हैं।
कुल आबादी में मुस्लिम समुदायी की 34 फीसदी हिस्सेदारी
असम की कुल आबादी में मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी 34 फीसदी से ज्यादा है। इनमें सबसे ज्यादा संख्या में बंगाली मूल के मुस्लिम हैं। विधानसभा और लोकसभी सीटों के परिसीमन के बाद कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में समीकरण बदला है। नागांव की कुछ विधानसभा सीटें जैसे होजाई और लुमडिंग बीजेपी का गढ़ थीं। उन्हें काजीरंगा लोकसभा सीट में जोड़ दिया गया है।
वोटर्स में हेमंत बिस्वा शर्मा की पैठ
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा की सोच स्पष्ट है। मुस्लिम बहुल इलाकों में रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के साथ भेदभाव नहीं करती। यह समुदाय सरकार की योजनाओं का मुख्य लाभार्थी है। उन्होंने कई बार कहा है कि राज्य सरकार मुस्लिम समुदाय को नौकरियां, सड़क और स्थानीय भ्रष्टाचार से आबादी देती है। वह रैलियों में लोगों से पूछते थे कि क्या उन्होंने मोदी सरकार के वादों को पूरा किया है। इसके जवाब भीड़ हां में देती थी।
एआईयूडीएफ को 3 सीटों पर जीत का भरोसा
AIUDF राज्य की 14 में से 3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इनमें धुबरी, नागांव और करीमगंज शामिल हैं। एआईयूडीएफ के चीफ बदरुद्दीन अजमल ने हाल में कहा था, "हम तीनों सीटों पर जीत हासिल करेंगे। हमने बाकी 11 सीटे कांग्रेस को दी हैं। लेकिन वे 11 सीटों पर जीत बीजेपी की थाली में परोस देंगे। वे कहते हैं कि हम बीजेपी की बी टीम है। लेकिन असम कांग्रेस बीजेपी के ए से लेकर जेड टीम है।"