Lok Sabha Elections 2024: RBI के पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ कड़े कदम उठाने के बाद फिनटेक सेक्टर को लेकर चर्चा गर्म है। ऐसे में मनीकंट्रोल ने कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के सेक्रेटरी प्रवीण खंडेलवाल (Praveen Khandelwal) से बातचीत की। उनसे पेटीएम पेमेंट्स बैंक की सेवाएं बंद होने के असर के बारे में पूछा। लोकसभा चुनावों के लिए दिल्ली के चांदनी चौक (Chandni Chowk) से भाजपा का टिकट मिलने पर उनकी प्रतिक्रिया पूछी। उन्होंने इन सवालों के जवाब देने के साथ ही अपने राजनीतिक सफर के बारे में भी बताया। पेटीएम मामले पर उन्होंने कहा कि सरकार को फिनटेक सेक्टर के लिए व्यापक पॉलिसी लानी चाहिए। इसमें इस सेक्टर के कामकाज के तरीके और मानक शामिल होने चाहिए।
फिनटेक कंपनियों को नियमों का पालन करना होगा
उन्होंने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि फिनेटक कंपनियों का फ्यूचर बेहतर है। उन्होंने देश में टेक्नोलॉजी के मामले में इनोवेशन लाए हैं। सरकार ने भी इस सेक्टर की मदद की है। जहां तक पेटीएम के मामले की बात है तो कई दूसरी एजेंसियां उसके बिजनेस मॉडल की जांच कर रही हैं। दरअसल, फिनटेक के मामले में काफी पारदर्शिता की जरूरत है। आरबीआई ने पेमेंट्स बैंक के खिलाफ जो कदम उठाए हैं, वे सही हैं। अगर पेटीएम ने गलत किया है तो उसके खिलाफ कार्रवाई जरूरी है। यह दूसरी कंपनियों के लिए भी सबक है। उन्हें नियमों का पालन करना होगा।
पेटीएम पेमेंट्स बैंक बंद होने का असर नहीं पड़ेगा
पेटीएम पेमेंट्स बैंक की सेवाएं बंद होने से पड़ने वाले असर के बारे में उन्होंने कहा कि ज्यादातर ट्रेडर्स दूसरे पेमेंट ऑप्शंस पर शिफ्ट हो गए हैं। इसलिए ट्रेडिंग कम्युनिटी पर इसका ज्यादा असर पड़ने की उम्मीद नहीं है। हमारी सिर्फ यह चिंता है कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक में डिपॉजिटर्स और अकाउंट होल्डर्स का पैसा सुरक्षित उन्हें वापस हो जाना चाहिए।
एमएसएमई पेमेंट नियम को अगले साल से लागू करने की गुजारिश
1 अप्रैल से एमएसएमई के लिए 45 दिन के पेमेंट के नियम के बारे में पूछने पर खंडेलवाल ने कहा कि मैंने इस बारे में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की गुजारिश की है। हमारी मांग यह है कि इस नियम को एक साल बाद लागू किया जाना चाहिए। इसके लागू करने की तारीख बढ़ाकर 1 अप्रैल, 2025 कर दी जानी चाहिए। यह कानून 2023 में बना था। सरकार पहले ही इस लागू करने के मामले में एक साल का वक्त दे चुकी है। यह ट्रेडिंग कम्युनिटी की गलती है कि उन्हें इस बारे में पता नहीं है।
राजनीति में आपने आने की क्या वजह रही? इस सवाल के जवाब में खंडेलवाल ने कहा कि राजनीति मेरे खून में है। मेरे परिवार का संबंध राजनीति से रहा है। मेरे चाचा सतीश चंद्र खंडेलवाल 1967 में पहली बार म्युनिसिपल काउंसिलर चुने गए थे। उसके बाद वह दिल्ली विधासभा के सदस्य चुने गए। मैंने बीजेपी के टिकट पर 2008 में चांदनी चौक से विधानसभा चुनाव लड़ा था। मैं राज्य बीजेपी इकाई का ट्रेजरर था। मैं भाजपा की कई तरह की गतिविधियों से जुड़ा रहा हूं।
इलाके का विकास होगी प्राथमिकता
आप चुनाव प्रचार में किन मसलों पर फोकस करेंगे? मेरे निर्वाचन क्षेत्र में कुछ समस्याएं हैं। तार बहुत नीचे लटक रहे हैं। सड़कें ठीक नहीं हैं। मेरी पहली प्राथमिकता इस पूरे इलाके का विकास होगा। उसके बाद मैं इस इलाके के ट्रैफिक सिस्टम पर ध्यान दूंगा। इसकी वजह यह है कि जाम की वजह से काफी समय और एनर्जी बर्बाद हो जाती है। मेरी तीसरी प्राथमिकता लोगों की सेवा होगी। मैंने तय किया है कि संसद का सदस्य बनने के बाद मैं घर के अंदर नहीं रहूंगा। मैं फुटपाथ पर बैठूंगा जहां लोगों को मेरे पास आने में किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी।
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