Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख अजित पवार ने कहा है कि उनकी पार्टी इस साल होने वाले 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के साथ महायुति गठबंधन के तहत 60 से ज्यादा सीटों पर इलेक्शन लड़ेगी। इस फैसले को पवार और उनके गुट के लिए एक अग्निपरीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है। खास तौर पर लोकसभा चुनाव में उम्मीद से कम प्रदर्शन के बाद एनसीपी प्रमुख ने कहा कि गठबंधन सहयोगियों के बीच सीटों का बंटवारा योग्यता के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने बताया कि पार्टी ने पिछले चुनावों में 56 सीटें जीती थीं। जबकि इस बार ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा करेगी।
अजित पवार (Ajit Pawar) ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "हमने 2019 के विधानसभा चुनावों में 56 सीटें जीती थीं और हमारे साथ लगभग छह-सात निर्दलीय विधायक हैं। इसलिए, हम इन 60 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। लेकिन हम निश्चित रूप से और अधिक की मांग करेंगे। यह चुनावी योग्यता के आधार पर तय किया जाएगा।"
पवार के दावे उन खबरों के बीच आए हैं, जिनमें कहा गया है कि एनसीपी को बीजेपी द्वारा जानबूझकर दरकिनार किया जा रहा है। इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनावों में पार्टी अपनी छाप छोड़ने में विफल रही थी। बीजेपी के वैचारिक संरक्षक RSS ने चुनावों में भगवा पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए एनसीपी को जिम्मेदार ठहराया है।
अभी तक नहीं हुआ सीट बंटवारा
'महायुति' गठबंधन ने अभी तक आधिकारिक तौर पर इस साल नवंबर में होने वाले चुनावों के लिए सीट बंटवारे की बातचीत शुरू नहीं की है। इस साल लोकसभा चुनाव में एनसीपी के अजित पवार गुट को सिर्फ 1 सीट मिली। जबकि उनके चाचा शरद पवार के नेतृत्व वाले NCP गुट को 8 सीटें मिलीं। कांग्रेस सबसे ज्यादा (13) सीटें जीतने वाली पार्टी बनकर उभरी। उसके बाद बीजेपी (9), शिवसेना (UBT) 9 और शिंदे सेना 7 सीटों पर रही।
'अबकी बार 400 पार' पर सवाल
लोकसभा चुनाव में NCP के निराशाजनक प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर अजित पवार ने बीजेपी के 'अबकी बार 400 पार' चुनावी नारे पर दोष मढ़ने की कोशिश की। उन्होंने दावा किया कि इसने विपक्ष को यह बताने का मौका दिया कि एनडीए को भारी बहुमत मिलने से वह संविधान में बदलाव कर सकता है और आरक्षण को खत्म कर सकता है।
पवार ने एक्सप्रेस से कहा, "'अब की बार 400 पार' का नारा लोगों को पसंद नहीं आया क्योंकि लोगों ने सोचा कि 400 सीटें जीतने के बाद एनडीए सरकार संविधान बदल देगी। समान नागरिक संहिता लाएगी। सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) लागू करेगी। आरक्षण खत्म कर देगी... साथ ही, '400 पार' अभियान के कारण हमारे पार्टी कार्यकर्ता निश्चिंत हो गए। उन्हें लगा कि यह (चुनाव) आसान है।"
धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से समझौता किया?
अजित पवार ने इस आलोचना को भी खारिज कर दिया कि उन्होंने हिंदू समर्थक मानी जाने वाली शिवसेना और बीजेपी के साथ गठबंधन करके एनसीपी की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से समझौता किया। डिप्टी सीएम ने दावा किया, "जब हमने गठबंधन पर चर्चा शुरू की, तो हमने स्पष्ट रूप से कहा कि हमारी विचारधारा 'धर्मनिरपेक्ष' है। हम इस पर बिल्कुल भी समझौता नहीं करेंगे।" उन्होंने यह भी बताया कि जब अविभाजित एनसीपी शिवसेना के साथ गठबंधन में थी, तब ऐसे सवाल कभी नहीं उठाए गए थे।
पवार ने उन लोगों की आलोचना की जो एनसीपी पर विकास के एकमात्र एजेंडे और अपनी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से समझौता नहीं करने के स्पष्ट रुख के साथ महायुति सरकार में शामिल होने पर सवाल उठा रहे थे। यह पूछे जाने पर कि चुनावों में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा और क्या महायुति चुनावों से पहले सीएम चेहरे की घोषणा करेगी? इस पर पवार ने कहा कि गठबंधन का प्राथमिक उद्देश्य बहुमत हासिल करना और सरकार बनाना है। उन्होंने कहा, "फिर हम सीएम चेहरे के बारे में सोच सकते हैं। लेकिन सीएम निश्चित रूप से महायुति का होगा।"