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Loksabha Elections 2024: चुनावी आचार संहिता लागू होने के क्या हैं मायने? जानें डिटेल्स

चुनावी आचार संहिता मौजूदा सरकारी गतिविधियों पर किसी तरह की रोक नहीं लगाती है, लेकिन किसी तरह के नए ऐलान या नई नीति के लिए नई सरकार के गठन तक इंतजाम करना पड़ेगा। मिसाल के तौर पर इस बात को लेकर अटकलों का बाजार गर्म था कि केंद्र सरकार पीएम किसान योजना की सहायता राशि को मौजूदा 6,000 रुपये से बढ़ाकर 9,000 रुपये कर सकती है। हालांकि, अंतरिम बजट में इसका जिक्र नहीं था

अपडेटेड Mar 18, 2024 पर 5:25 PM
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चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए आचार संहिता लागू की जाती है।

चुनाव आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है और इसके साथ ही चुनावी आचार संहिता (model code of conduct) भी लागू हो गई है। इसके आचार संहिता से जुड़ी अन्य बातों के अलावा सबसे अहम बात यह है कि केंद्र और राज्य सरकारें किसी भी नीतिगत फैसले का ऐलान नहीं कर सकती हैं।

चुनावी आचार संहिता क्या है?

चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए आचार संहिता लागू की जाती है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी पार्टियों को एक-बराबर मौका मिले और इस प्रक्रिया में किसी तरह का भेदभाव नहीं हो। चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत यह आदेश जारी किया है, जिसके तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना जरूरी है

इसके तहत चुनाव आयोग का यह भी मकसद होता है कि राजनीतिक पार्टियां किसी तरह की रेवड़ियों का ऐलान नहीं करें, क्योंकि इससे वोटरों पर असर पड़ सकता है। चुनावी आचार संहिता 16 मार्च से लागू हो गई है और यह 4 जून तक प्रभावी रहेगी। लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून के बीच 7 चरणों में होंगे।


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सरकारों के लिए खास गाइडलाइंस

आयोग के नियमों के मुताबिक, चुनाव तारीखों के ऐलान के बाद मंत्रियों और अन्य अथॉरिटी को किसी तरह के फाइनेंशियल ग्रांट का ऐलान करने या ऐसा कोई वादा करने की अनुमति नहीं होती है। इसके अलावा, चुनाव आयोग आचार संहिता के तहत इन बिंदुओं का पालन सुनिश्चित करना है:

  • चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद मंत्री और अन्य अथॉरिटी विवेकाधीन फंड से किसी तरह के ग्रांट/पेमेंट की मंजूरी नहीं देंगे।
  •  अधिकारियों को छोड़कर मंत्री या अन्य अथॉरिटी किसी भी तरह की परियोजना की आधारशिला नहीं रखेंगे।
  • वे विकास से जुड़ी किसी भी परियोजना को शुरू नहीं कर सकते, मसलन सड़कों का निर्माण, पेय जल सुविधाओं आदि।
  • सरकार या पब्लिक सेक्टर इकाइयों में तात्कालिक आधार पर किसी भी तरह की नियुक्ति की अनुमति नहीं होगी, क्योंकि इसके जरिये वोटरों को प्रभावित किया जा सकता है।

नीति निर्माण के लिए इसके क्या मायने हैं?

चुनावी आचार संहिता मौजूदा सरकारी गतिविधियों पर किसी तरह की रोक नहीं लगाती है, लेकिन किसी तरह के नए ऐलान या नई नीति के लिए नई सरकार के गठन तक इंतजाम करना पड़ेगा। मिसाल के तौर पर इस बात को लेकर अटकलों का बाजार गर्म था कि केंद्र सरकार पीएम किसान योजना की सहायता राशि को मौजूदा 6,000 रुपये से बढ़ाकर 9,000 रुपये कर सकती है। हालांकि, अंतरिम बजट में इसका जिक्र नहीं था, लिहाजा यह साफ है कि इस तरह के तमाम फैसलों पर 4 जून तक रोक लगी रहेगीष

क्या नीतिगत फैसलों के लिए आचार संहिता में ढील दी जा सकती है?

अगर चुनावी आचार संहिता के दौरान किसी तरह का नीति संबंधी ऐलान जरूरी है, तो इसके लिए राज्य या केंद्र सरकार की पहले अनुमति लेनी पड़ती है। केंद्र या राज्य सरकार के मंत्रालय या विभाग इसके लिए सीधे तौर पर ऑनलाइन अनुरोध कर सकते हैं। पिछले चुनावों में नियमों में ढील और आचार संहिता उल्लंघन के सभी मामले मैन्युअल तरीके से देखे जाते थे, जिसमें बहुत ज्यादा वक्त लगता था। 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान इन अनुमतियों की प्रोसेस को आसान बनाने के लिए विशेष पोर्टल बनाया गया।

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