वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि S&P ने भारत के आउटलुक में बदलाव किया है, जो प्रधानमंत्री, देश और अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है। यह इस बात की तरफ भी इशारा करता है कि अर्थव्यवस्था को मजबूत लीडरशिप की जरूरत क्यों होती है। वित्त मंत्री ने सीएनएन-न्यूज 18 को दिए इंटरव्यू में यह बात कही।
100 दिनों के एजेंडे को लेकर उनका कहना था कि इसका मकसद ऐसे कार्यों में तुरंत सक्रिय हो जाना है, जिन्हें 100 दिनों के भीतर पूरा किया जा सकता है। उनके मुताबिक, भारत को विकसित भारत बनाने की दिशा में पहली सीढ़ी यह है कि हम इसे दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि 10 साल के भीतर हम 5 सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं से 5 सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ गए।
हम आपको यहां बता रहे हैं कि अहम मुद्दों पर वित्त मंत्री की क्या राय थी?
4 जून के बाद कैसा रहेगा बाजार: वित्त मंत्री ने कहा कि बाजार कई फैक्टर्स से प्रभावित होता है। इनमें से सबसे अहम फैक्टर ग्लोबल माहौल है और दुनिया भर के बाजारों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। उनका कहना था कि दुनिया भर के बाजारों में उतार-चढ़ाव बड़ा मुद्दा है, लेकिन घरेलू बाजार में जश्न का माहौल है और पिछले 6-8 महीनों से ऐसा ही माहौल देखने को मिल रहा है। सीतारमण ने कहा कि अगर बीजेपी के लिए 4 जून को बेहतर नतीजे आते हैं, तो स्टॉक मार्केट के लिए भी यह बेहतर मैसेज होगा और बाजार में तेजी का माहौल टिकेगा।
क्या बीजेपी के लिए अहम रहेगा साउथ: वित्त मंत्री का कहना था कि जह 400 के पार की चर्चा होती है, तो आम तौर पर कहा जाता है कि अब बीजेपी के लिए सिर्फ दक्षिण भारत में आगे बढ़ने की गुंजाइश है। हालांकि, हम यह भूल जाते हैं कि इस बार ओडिशा और पश्चिम बंगाल में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। उनका कहना था कि ऐसे में सिर्फ दक्षिण भारत में बेहतर प्रदर्शन की बात करना ठीक नहीं है। हालांकि, निश्चित तौर दक्षिण भारत में भी पार्टी की परफॉर्मेंस बेहतर रहेगी।
प्रधानमंत्री का कन्याकुमारी दौरा: निर्मला सीतारमण ने कहा कि विपक्षी पार्टियां इस चुनाव में काफी नेगेटिव कैंपेन चला रही हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार काफी लंबा चला है और प्रधानमंत्री ने बड़े पैमाने पर मीडिया से भी बात की। विपक्ष को यह शिकायत रहती थी कि प्रधानमंत्री कभी मीडिया से बात नहीं करते, जबकि वह पूरे देश की जनता और पूरे नेशनल मीडिया से बात कर रहे हैं। सीतारमण ने कहा कि अगर चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री बैठकर ध्यान करना चाहते हैं, तो इससे विपक्ष क्यों परेशान है। दरअसल, प्रधानमंत्री जो कुछ भी करते हैं, विपक्ष उस पर उंगली उठता है। उनके पास कोई सकारात्मक एजेंडा नहीं है।
फ्री राशन: वित्त मंत्री का कहना था कि यह निश्चित तौर पर मुफ्त का मामला नहीं है। उन्होंने कहा कि हम बजट में इसकी गिनती कर रहे हैं। हमने बताया है कि इतने लोगों को यह सुविधा मिलेगी और हम नहीं चाहते कि राज्य सरकार इस स्कीम पर एक पैसा भी खर्च करे। उनके मुताबिक, केंद्र सरकार इसके लिए राज्य सरकार पर जिम्मेदारी नहीं डाल रही है। यहां तक कि वह राज्य सरकार से इसे एफसीआई के गादामों से उठाने को भी नहीं कह रहे हैं। वह सिर्फ इसे राज्य सरकार से लागू करने की उम्मीद रखते हैं।
4 जून को क्या होगा: सीतारमण ने कहा कि नतीजो को लेकर वह थोड़ा सा नवर्स और चिंतित हैं। उनका कहना था कि विपक्ष से जुड़ी अलग-अलग ताकतें एकजुट हैं और इन्हें सबको अंदरूनी तौर पर कांग्रेस पार्टी से समर्थन मिल रहा है। उन्होंने अंदेशा जताया कि ये सभी पार्टियां चुनाव के नतीजों और इस वैध चुनावी प्रक्रिया को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री मोदी और भारत की जनता की जीत पर सवाल उठा सकती हैं।