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Punjab Lok Sabha election 2024: पंजाब में कांग्रेस के लिए चुनौतियों की कमी नहीं

पंजाब में भी लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। इसके मद्देनजर राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। पंजाब में कांग्रेस के कई नेता भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शरण तलाश रहे हैं। कांग्रेस कैंप से बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। बहरहाल, यह सिलसिला उस वक्त शुरू हुआ था, जब सितंबर 2021 में कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस से बाहर निकले थे

अपडेटेड May 03, 2024 पर 5:28 PM
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एक और जहां राज्य में बीजेपी की पकड़ मजबूत हो रही है, वहीं इन बड़े नेताओं की विदाई की वजह से कांग्रेस को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है

पंजाब में भी लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। इसके मद्देनजर राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। पंजाब में कांग्रेस के कई नेता भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शरण तलाश रहे हैं। कांग्रेस कैंप से बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है।

बहरहाल, यह सिलसिला उस वक्त शुरू हुआ था, जब सितंबर 2021 में कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस से बाहर निकले थे। इसके बाद कई कांग्रेसी नेताओं द्वारा पार्टी बदलने का सिलसिला शुरू हो गया था। इन नेताओं में तीन बार सासंद रहे रवनीत सिंह बिट्टू से लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ तक शामिल हैं।

हाल में बिट्टू का कांग्रेस छोड़ने का फैसला पंजाब में बीजेपी के बढ़ते असर को दिखाता है। कांग्रेस में लंबे समय तक रह चुके कई नेता अब बीजेपी में अहम पद संभाल रहे हैं। पंजाब कांग्रेस के कई बड़े नेता अब बीजेपी की शोभा बढ़ा रहे हैं। कैप्टन अमरिंद सिंह की जय इंदर कौर और उनकी पत्नी प्रनीत कौर भी बीजेपी में शामिल हो गई हैं, जिससे राज्य में पार्टी की ताकत बढ़ी है। एक और जहां राज्य में बीजेपी की पकड़ मजबूत हो रही है, वहीं इन बड़े नेताओं की विदाई की वजह से कांग्रेस को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।


कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने की सुनील जाखड़ की यात्रा और पंजाब बीजेपी के प्रमुख के तौर पर उनकी नियुक्ति जैसी गतिविधियां राज्य में बदलते राजनीतिक परिदृश्य के बारे में काफी कुछ कहती हैं। लोकसभा चुनावों की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और राज्य में बीजेपी में नेताओं की आवक बढ़ने और कांग्रेस में घटने के साथ यहां का चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है।

दोनों पार्टियां अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाने की जीतोड़ कोशिश कर रही हैं और अब उन्हें मतदाताओं के फैसले का इंतजार है।

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