देश के दो बड़े राजनीतिक परिवारों के वंशज उत्तर प्रदेश में एक अहम लड़ाई लड़ते नजर आ रहे हैं। यह लड़ाई है अपनी राजनीतिक साख को बचाने की। एक छोर पर काग्रेस के राहुल गांधी हैं तो दूसरी ओर सपा के अखिलेश यादव। अखिलेश कन्नोज से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। राहुल रायबरेली से। दोनों ही नेता 10 मई को एक साथ चुनावी रैली को संबोधित करेंगे। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी इस बार मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। अखिलेश का मुकाबला बीजेपी के सुब्रत पाठक से है। राहुल की टक्कर बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह से है। कन्नौज सीट 1998 से सपा के पास थी। लेकिन, 2019 में सुब्रत पाठक ने सपा उम्मीदवार डिंपल यादव को हराया था। डिंपल यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी हैं।
यादव बेल्ट से लड़ रहे अखिलेश, तीन चचेरे भाई और डिंपल
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं। 2019 में BJP ने इनमें से 62 सीटें जीती थी। तब सपा और BSP ने मिलकर चुनाव लड़ा था। अखिलेश के पिता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 2000 से 2012 तक कन्नौज सीट से तीन बार जीत हासिल की थी। बाद में उन्होंने अपने बेटे के लिए यह सीट छोड़ दी थी। 2019 में सुब्रत पाठक से हारने से पहले डिंपल यादव (Dimple Yadav) 2014 में यह सीट जीती थीं। इस बार सपा यूपी में 63 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इस बार डिंपल मैनपुरी से चुनाव लड़ रही हैं। अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव आजमगढ़, दूसरे चचेरे भाई अक्षय यादव फिरोजाबाद और तीसरे चचेरे भाई आदित्य यादव बंदायू से चुनाव लड़ रहे हैं। इन पांचों सीटों का यादव बेल्ट के रूप में जाना जाता है।
रायबरेली से राहुल हैं कांग्रेस के उम्मीदवार
अमेठी और रायबरेली को गांधी परिवार का किला माना जाता रहा है। 2019 में बीजपे की स्मृति ईरानी ने अमेठी के किले में सेंध लगाई थीं। इस बार रायबरेली के किले को बचाने की जिम्मेदारी राहुल गांधी पर है। 2019 में वह अमेठी से ईरानी के हाथों चुनाव हार गए थे। अमेठी से गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले किशोरी लाल शर्मा ईरानी का मुकाबला कर रहे हैं। इस बार कांग्रेस यूपी की 80 सीटों में से 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। उसने लंबी चली बातचीत के बाद सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर सहमति जताई थी।
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यूपी के लड़कों की परीक्षा का रिजल्ट 4 जून को
अब यूपी के लड़के अखिलेश और राहुल परिवार की साख बचाने में सफल रहते हैं या नहीं इसका पता 4 जून को लगेगा। 4 जून को लोकसभा चुनावों की गिनती होने वाली है। उस दिन यह भी तय होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं। तब तक हमें इंतजार करना पड़ेगा।