UP Lok Sabha Chunav: जौनपुर में मायावती के एक फैसले ने बदल दिए सारे समीकरण! लड़ाई से बाहर हुई BSP, अब सपा और बीजेपी की टक्कर
UP Lok Sabha Election 2024: पिछले चुनाव में श्याम सिंह यादव बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीते थे और तब समाजवादी पार्टी और बसपा के बीच गठबंधन था। समाजवादी पार्टी ने इस बार बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है। बाबू सिंह कुशवाहा कभी मायावती के सबसे नजदीक हुआ करते थे। बीएसपी का सारा कामकाज देखते थे।
UP Lok Sabha Chunav: जौनपुर में मायावती में के एक फैसले ने बदल दिए सारे समीकरण!
जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में इस बार बड़े-बड़े खेल हुए। खिलाड़ी मैदान में आए और चले गए। बहुजन समाज पार्टी ने पहले ही इलाके से बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला को टिकट दिया था। उनका प्रचार अभियान भी शुरू हो गया था। अकस्मात नामांकन के एक दिन पहले BSP सुप्रीमो मायावती के यहां से फोन आया और धनंजय सिंह की पत्नी का टिकट काट दिया गया। बसपा ने उनकी जगह वर्तमान सांसद श्याम सिंह यादव को टिकट दे दिया। श्याम सिंह यादव पिछली बार बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। इसके बाद वो कभी कांग्रेस के खेमे में दिखते थे और कभी समाजवादी पार्टी के। प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के पद से रिटायर हुए श्याम सिंह यादव अब हाथी पर सवार होकर एक बार फिर मैदान में हैं।
पिछले चुनाव में श्याम सिंह यादव बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीते थे और तब समाजवादी पार्टी और बसपा के बीच गठबंधन था। समाजवादी पार्टी ने इस बार बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है। बाबू सिंह कुशवाहा कभी मायावती के सबसे नजदीक हुआ करते थे। बीएसपी का सारा कामकाज देखते थे।
यह माना जाता था कि बाबू सिंह कुशवाहा ने जो कह दिया, उसे ये मान लीजिए कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है। लेकिन एक घोटाले में बाबू सिंह फंस गए बहुत दिन जेल में रहे। अब चुनाव मैदान में आ गए हैं, वो भी सपा से।
बीजेपी के कृपा शंकर सिंह मैदान में
भारतीय जनता पार्टी ने कृपा शंकर सिंह को टिकट दिया है। कृपा शंकर सिंह रहने वाले तो जौनपुर के हैं, लेकिन उनका बिजनेस साम्राज्य मुंबई में फैला हुआ है। महाराष्ट्र में कांग्रेस के नेता थे, वहां मंत्री भी रहे। बाद में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। अब कृपा शंकर सिंह और उनके टीम जौनपुर में डेरा डाल कर चुनाव लड़ रही है।
चाय की दुकानों से लेकर चौराहा तक में बड़ी संख्या में लोग वोटों का जोड़-घटाव करते मिल जाएंगे। जोड़-घटाव जाति आधारित हो रहा है, लेकिन जमीन पर क्या है, कौन जीतेगा, क्या जाति आधार पर ही चुनाव हो रहा है? यह सवाल बड़ा है। क्या यादव मतदाता बसपा प्रत्याशी श्याम सिंह यादव के पक्ष में जा रहा है। अगर नहीं तो किसके साथ है?
श्याम सिंह यादव ये दावा करते हैं कि यादव मतदाता उन्हीं के साथ है और एक बार फिर यादव-दलित गठजोड़ यहां अपना करिश्मा दिखा देगा। लेकिन दलों के प्रत्याशी कुछ भी कहें यहां की लड़ाई बड़ी रोचक और कठिन है। वास्तव में ज्यादातर यादव मतदाता श्याम सिंह के साथ न होकर सपा प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा के साथ हैं।
बाबू सिंह कुशवाहा कुशवाहा मौर्य मतदाता को भी अपने साथ ले जा रहे हैं। जबकि कृपा शंकर सिंह सवर्ण मतदाताओं के साथ ही अति पिछड़े वर्ग के मतदाताओं के समर्थन का भरोसा जता रहे हैं।
जौनपुर में 19 लाख से ज्यादा वोटर
जौनपुर लोकसभा सीट पर लगभग 19 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। उनमें लगभग आधे ऐसे हैं, जो अपनी थाह नहीं लेने दे रहे। इसलिए यह सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या होगा जौनपुर में? बसपा से चुनाव की तैयारी कर रहे धनंजय सिंह और उनकी पत्नी अब किसी भी कीमत पर कृपा शंकर सिंह को जितवा देना चाहते हैं।
जब धनंजय सिंह की पत्नी चुनाव मैदान में थीं, तब समाजवादी पार्टी इस बात से खुश थी कि बसपा भारतीय जनता पार्टी के कृपा शंकर सिंह का नुकसान करेगी और लड़ाई त्रिकोणीय हो जाएगी, लेकिन जब से प्रत्याशी बदला है, सपा प्रत्याशी परेशानी में फंसे हैं। कारण यही है कि अब बीजेपी के वोटों में बिखराव नहीं हो रहा है और अति पिछड़ा उनके साथ पहले ही है।
जौनपुर के ही वीरेंद्र सिंह इस बात से नाराज हैं कि बहुजन समाज पार्टी ने धनंजय सिंह की पत्नी श्री कला का टिकट काट दिया। वो कहते हैं कि ये सब साजिशन किया गया। अब उनका वोट कृपा शंकर सिंह के साथ जाएगा, क्योंकि समाजवादी पार्टी को हराना है।
BSP खेमे में भी काफी मायूसी है
वास्तव में BSP खेमे में भी काफी मायूसी है। ये बात किसी के गले नहीं उतरी कि धनंजय सिंह की पत्नी का टिकट क्यों काटा गया और यही मुद्दा बीजेपी प्रत्याशी कृपा सिंह को फायदा पहुंचा रहा है। धनंजय सिंह खुद कृपा शंकर सिंह की मदद कर रहे हैं।
शाहगंज के रमेश यादव दावा करते हैं कि कोई कुछ भी कहे, जीतेंगे बाबू सिंह कुशवाहा ही। क्योंकि उन्हें पिछड़ों का भी वोट मिल रहा है। वो कहते हैं कि श्याम सिंह यादव को यादव वोट नहीं मिल रहा है और उनके पाले में सिर्फ दलित वोटों का एक हिस्सा जाएगा, लेकिन उनके साथ खड़े देवेश दावा करते हैं कि दलित वोटों का एक हिस्सा कमल पर जाएगा और इसका एक मात्र कारण यही है कि लोगों को मदद मिल रही है। लाभार्थी भाजपा के साथ है।
विपक्षा के संविधान बचाने के मद्दे का असर नहीं
विपक्ष संविधान बचाने का जो मुद्दा उठा रहा है, वो असर नहीं कर रहा है। जबकि एक बसपा समर्थक सुनील कहते हैं कि अब बसपा की लड़ाई यहां पर कमजोर हो गई है। इसका कारण वो ये बताते हैं कि धनंजय सिंह अगर बसपा से चुनाव लड़ते, तो मुस्लिम वोट भी उनके साथ जाता और दलित वोट भी उनके साथ जाता। यही नहीं क्षत्रिय वोट भी उन्हीं के साथ रहता।
वो चुनाव जीत सकते थे, लेकिन 'बहन जी' ने धनंजय की पत्नी श्री कला का टिकट काटकर बहुत बड़ी गलती कर दी है और इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। श्याम सिंह यादव बेहतर ढंग से चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं। जब उन्हें यादव वोट ही नहीं मिल रहा है, तो फिर चुनाव जीतेंगे कैसे।
शाहगंज के ही मोहम्मद जाकिर कहते हैं कि मुसलमान BSP को वोट क्यों दे। वो तो सपा के साथ है और उसे ही वोट देगा। बसपा से अगर मुस्लिम प्रत्याशी भी होता, तब भी उन्हें वोट न दिया जाता। वो दावा करते हैं कि इस सीट पर सपा के बाबू सिंह कुशवाहा जीतेंगे।
बीजेपी और सपा के बीच सिमट रही लड़ाई
शाहगंज विधानसभा सीट तो जरूर वही जीतेंगे। वास्तव में यहां पर प्रत्याशी बदलने से समीकरण ही बदल गए हैं। सवर्ण मतदाताओं में कोई सेंध नहीं लग पा रही है। अब वो भाजपा के पाले में जा रहे हैं। इसके साथ ही अति दलित और अति पिछड़ों में भी बीजेपी को वोट मिल रहे हैं। जहां तक समाजवादी पार्टी की बात है, तो उन्हें यादव मुस्लिम और कुशवाहा वोट मिल रहा है। इस तरह यह लड़ाई बीजेपी और सपा के बीच सिमट रही है।
सवाल यह भी है कि दलित वोट किसके पाले में जाएगा? यह तो तय है कि दलित वोटों का एक हिस्सा बसपा के साथ जा रहा है, लेकिन दूसरे वोटों के लिए सपा और बीजेपी के बीच खींच तान हो रही है। समाजवादी पार्टी संविधान बचाने का मुद्दा उठा रही है। जबकि बीजेपी कह रही है कि यह कोई मुद्दा ही नहीं है। मोदी और योगी ने यहां बहुत काम किया है और इसका असर दिखेगा।