UP Loksabha Chunav: यादवों के गढ़ में झटके न खा जाए अखिलेश की साइकिल! मोदी फैक्टर बन सकता है बड़ी रुकावट
UP Lok sabha Election 2024: मणिपुरी पर पिछले तीन दशकों से लगातार सपा का कब्जा रहा है और यादव यहां सबसे बड़ा वोट-ब्लॉक हैं। लेकिन बकी जगहों पर सपा के लिए स्थिति इतनी आरामदायक नहीं है - वे 2019 के चुनावों में कन्नौज, फिरोजाबाद, बदांयू, इटावा और फरुखाबाद भी हार गए
UP Loksabha Chunav: यादवों के गढ़ में झटके न खा जाए अखिलेश साइकिल!
"हां, यहां की राजनीति में यादवों का दबदबा है...लेकिन अब सभी समाजवादी पार्टी के साथ नहीं हैं। कानून और व्यवस्था महत्वपूर्ण है, गुंडागर्दी वापस नहीं चाहिए। इस चुनाव में एकमात्र फैक्टर नरेंद्र मोदी हैं।" ऐसा ग्रामीण मणिपुरी गांव के लोगों के एक समूह का कहना है, जिनमें से कुछ यादव समुदाय से हैं। उत्तर प्रदेश के यादव बेल्ट में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर अगर यात्रा करेंगे- फिरोजाबाद से मणिपुरी, इटावा और फर्रुखाबाद, और बदांयू से कन्नौज तक, तो एक बात साफ है। समाजवादी पार्टी भले ही अखिलेश यादव और डिंपल यादव के नेतृत्व में चुनावी मैदान में अपनी दिग्गज चेहरों के साथ मैदान में है, लेकिन कानून-व्यवस्था पर अपने प्रदर्शन को देखते हुए बीजेपी इस खेल में मजबूती से बनी हुई है, जिसे कुछ यादव भी इसमें एक बड़ा कारक मानते हैं। यहां भी भारी फैक्टर नरेंद्र मोदी ही हैं।
News18 ने दो दिनों तक पूरे क्षेत्र में यात्रा की और अलग-अलग वर्गों के लोगों से बात की, जिन्होंने सपा को यादवों के वर्चस्व वाले क्षेत्र की आधा दर्जन सीटों में से केवल मैनपुरी जीतने का "100% मौका" दिया।
अखिलेश के चुनावी मैदान में आने क्या फर्क पड़ा?
मणिपुरी पर पिछले तीन दशकों से लगातार सपा का कब्जा रहा है और यादव यहां सबसे बड़ा वोट-ब्लॉक हैं। लेकिन बकी जगहों पर सपा के लिए स्थिति इतनी आरामदायक नहीं है - वे 2019 के चुनावों में कन्नौज, फिरोजाबाद, बदांयू, इटावा और फरुखाबाद भी हार गए।
कन्नौज में कई लोगों ने कहा कि उम्मीदवार के रूप में अखिलेश यादव के आने से मुकाबला कड़ा हो गया है, लेकिन फिर भी बीजेपी को बढ़त हासिल है।
कन्नौज के प्रसिद्ध इत्र बाजार में एक इत्र निर्माता ने News18 को बताया, "ऐसा इसलिए क्योंकि सभी सीटों पर SP का मुकाबला सिर्फ एक ही उम्मीदवार से है- वो हैं नरेंद्र मोदी, तो जिस तरह डिंपल यादव 2019 में कन्नौज से हार गईं, उसी तरह अखिलेश भी हार सकते हैं।"
कानून-व्यवस्था सबसे बड़ा फैक्टर
इलाके के एक दूसरे दुकानदार ने कहा कि कानून-व्यवस्था सबसे बड़ा फैक्टर है। उन्होंने कहा, “अब मुझे अपने बेटे को समय पर घर आने के लिए कहने की जरूरत नहीं है। यह क्षेत्र यादव बाहुबलियों के लिए भी कुख्यात था। हर गांव में सपा का एक ताकतवर नेता था और सभी अहम पदों पर यादवों का दबदबा था। अब ऐसा नहीं है, क्योंकि योगी आदित्यनाथ ने उस इकोसिस्टम को नष्ट कर दिया है।”
सपा नेता शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव बदायूं से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, जबकि राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय 2019 का चुनाव हारने के बाद फिरोजाबाद से फिर से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
राम गोपाल यादव ने News18 से कहा, "वे सभी विजेता हैं... हम इस बार इन सभी चार सीटों पर जीत हासिल करेंगे।" अपने बेटे को चुनाव लड़ाने के लिए शिवपाल ने अपनी सीट छोड़ दी और अब अपने बेटे के राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बदायूं में डेरा डाले हुए हैं।
सपा बीजेपी के चुनाव आभियान में कितना अंतर?
इलाके में समाजवादी पार्टी का अभियान 'बीजेपी आरक्षण खत्म कर देगी' पर केंद्रित है, लेकिन बीजेपी का 'सपा सरकार के दौरान अराजकता' का अभियान भले इससे ज्यादा न हो, लेकिन टक्कर दे रहा है।
बदायूं में ब्राह्मण मतदाताओं के एक समूह ने News18 को बताया, “ऐसा लगता है कि यादव परिवार अपने मजबूत क्षेत्र में भी अपना मन नहीं बना पा रहा है। पहले बदायूं से शिवपाल को प्रत्याशी घोषित किया गया और फिर उनके बेटे को। तेज प्रताप को कन्नौज से उम्मीदवार घोषित किया गया और फिर अखिलेश को।" इससे पता चलता है कि सपा यादव-लैंड में बीजेपी के बढ़ते प्रभुत्व से चिंतित है। योगी आदित्यनाथ ने क्षेत्र में अपना चुनावी दौरा भी शुरू कर दिया है।
सपा कैडर में जोश आएगा
सपा को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) कन्नौज से अखिलेश के नामांकन से यादव-लैंड की सभी छह सीटों पर सपा कैडर में जोश आएगा। कन्नौज में कोर SP समर्थकों ने News18 को बताया कि यह इलाका 'सपा की PDA राजनीति' (पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों पर केंद्रित) का वर्णन करता है और कहते हैं कि मतदाता 2019 में उन्हें वोट देने के लिए बीजेपी के 'जुमलों' से गुमराह हो गए। हालांकि बीजेपी का समर्थन करने वाले लोगों का कहना है कि इस इलाके में समाजवादी पार्टी में वापसी संभव नहीं है।
बीजेपी की ओर से मुफ्त राशन एक ऐसा फैक्टर है, जो इस इलाके में महिला मतदाताओं को पार्टी के साथ काफी हद तक जोड़े हुए है। हालांकि, डिंपल यादव महिलाओं तक पहुंच रही हैं और मैनपुरी में उनका बड़ा आकर्षण है, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि यह फैक्टर कहीं और जा रहा है। एकमात्र फैक्टर, जो सबसे बड़ा है, वो नरेंद्र मोदी हैं - यहां तक कि कुछ प्रमुख यादव मतदाताओं का भी कहना है कि यह चुनाव अगला प्रधानमंत्री बनाने के बारे में है, जिसके लिए निश्चित रूप से अखिलेश यादव दौड़ में नहीं हैं।