UP Chunav 2024: मैनपुरी में ढह जाएगा यादव परिवार का किला या इस बार भी लकीर पीटती रह जाएगी बीजेपी और बीएसपी, क्या कहता है वोटर

UP Lok Sabha Election 2024: मैनपुरी कभी बाहुबलियों का जिला माना जाता था। इस जिले में बाहुबली का वो प्रदर्शन देखा, जब बिना हिंसा के कोई चुनाव नहीं होता था। मत पेटियां लेकर भाग जाना और उन्हें फेंक देना यह मैनपुरी के चुनाव की विशेषता थी, लेकिन अब मैनपुरी में बाहुबल नहीं दिखता। यहां बहुत कड़ी लड़ाई हो रही है

अपडेटेड May 03, 2024 पर 8:14 PM
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UP Chunav 2024: मैनपुरी में ढह जाएगा यादव परिवार का किला या इस बार भी लकीर पीटती रह जाएगी बीजेपी और बीएसपी, क्या कहता है वोटर

मैनपुरी लोकसभा सीट, सपा सुप्रीमो अखिलेश सिंह यादव की पत्नी और मैनपुरी की सांसद डिंपल यादव की 21 साल की बेटी अदिति अपनी मां डिंपल यादव के प्रचार के लिए गांव-गांव घूम रही हैं। अदिति यादव जब गांव में पहुंचती है, तो गांव की महिलाएं उनके पैर छूती हैं। वो सभाओं को संबोधित करती हैं और ये वादा करती हैं कि सपा महिलाओं का सम्मान करती है, उन्हें न्याय दिलाती है। समाजवादी पार्टी देश को बचा सकती है। इसलिए सात मई को होने वाले चुनाव में साइकिल चुनाव निशान पर मोहर लगा कर सपा को जिताएं। अदिति यादव बोलती भी अच्छा हैं। भारतीय जनता पार्टी के मैनपुरी के ही प्रत्याशी जयवीर सिंह कहते हैं कि मैनपुरी किसी की जागीर नहीं है। इस बार यहां पर एक परिवार का साम्राज्य टूटेगा और भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में जीतेगी। मैनपुरी का जितना विकास होना चाहिए था, वो नहीं हुआ। अब बीजेपी इसका विकास कर रही है।

बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी शिव प्रसाद यादव समाजवादी पार्टी पर कई तीखे हमले कर रहे हैं। उनके सवाल कठिन हैं। क्या उत्तर प्रदेश में सपा की तरफ से लोकसभा चुनाव लड़वाने के लिए जो पांच यादव हैं, वो एक ही परिवार के क्यों हैं? क्या परिवार से बाहर के किसी यादव को ये अधिकार नहीं है कि वो चुनाव लड़े।

कभी बाहुबलियों का जिला माना जाता था मैनपुरी


मैनपुरी कभी बाहुबलियों का जिला माना जाता था। इस जिले में बाहुबली का वो प्रदर्शन देखा, जब बिना हिंसा के कोई चुनाव नहीं होता था। मत पेटियां लेकर भाग जाना और उन्हें फेंक देना यह मैनपुरी के चुनाव की विशेषता थी, लेकिन अब मैनपुरी में बाहुबल नहीं दिखता। यहां बहुत कड़ी लड़ाई हो रही है। समाजवादी पार्टी का गढ़ बन चुका है मैनपुरी। कोई भी लड़े, लेकिन जीते मुलायम और उनका परिवार ही ।

यह सीट मुलायम सिंह के ही कब्जे में रही। बड़े-बड़े लोग आए और गए, लेकिन कोई मुलायम सिंह के इस गढ़ को हिला नहीं सका। उनके निधन के बाद उनकी बहू डिंपल यादव चुनाव मैदान में उतरी थीं। पिछली बार भी वो रिकॉर्ड वोट से जीती थीं और इस बार भी बहुत मजबूती से लड़ रही हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी इस क्षेत्र में अपनी पूरी ताकत झोंके हुए है।

राम मंदिर के नाम पर वोट मांग रही बीजेपी

अमित शाह यहां पर आए थे और कह गए हैं कि यह लड़ाई राम मंदिर बनाने में मदद करने वालों और राम मंदिर बनाने की चाहत रखने वालों पर गोलियां चलाने वालों के बीच है। बीजेपी ने मंदिर बनवाया और मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाई थी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां पर, बीजेपी प्रत्याशी जयवीर सिंह के पक्ष में रोड शो कर चुके हैं। इसी क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्र जसवंत नगर में एक जनसभा कर चुके हैं। बीजेपी कार्यकर्ता गांव-गांव घूम रहे हैं और कह रहे हैं कि इस बार चुनाव में सपा को उखाड़ के फेंक दिया जाए, लेकिन लड़ाई इतनी आसान नहीं है, जितना बीजेपी के नेता दावा करते हैं।

वास्तव में लड़ाई कठिन हो रही है, बीजेपी प्रत्याशी जयवीर सिंह प्रदेश सरकार के मंत्री हैं और चुनाव लड़ने के महारथी भी। भाजपा ने यही सोचकर जयवीर सिंह को मैदान में उतारा है।

मुलायम की कर्म स्थली है मैनपुरी

मैनपुरी लोकसभा सीट मुलायम सिंह यादव की जन्म और कर्म स्थली थी। उनका पैतृक गांव सैफई इसी लोकसभा क्षेत्र में आता है। सैफई जसवंत नगर क्षेत्र में है और मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। जसवंत नगर इटावा जिले की सीट है, लेकिन ये विधानसभा मैनपुरी सीट का हिस्सा है।

वास्तव में मैनपुरी लोकसभा सीट वो सीट रही है, जिस पर कब्जे को लेकर जबरदस्त मारामारी रही है। यह कोशिश हमेशा होती रही कि किसी तरह मैनपुरी में कब्जा करके मुलायम सिंह को कमजोर कर दिया जाए। यह हमेशा माना जाता रहा कि जिसका मैनपुरी पर कब्जा, वही यादवों का नेता।

वो बात और है कि कभी इस क्षेत्र में कांग्रेस नेता केंद्रीय मंत्री बलराम सिंह यादव की तूती बोलती थी, लेकिन मुलायम सिंह यादव ने इस यादव जमीन पर कब्जा कर लिया। मुलायम सिंह के जीते जी उनको उखाड़ने का प्रयास संभव नहीं हो सका। उनके निधन के बाद जो मैनपुरी लोकसभा का उप-चुनाव हुआ, उसमें डिंपल यादव लगभग 64 प्रतिशत वोट पाकर विजई हुईं।

ससुर मुलायम के नाम पर वोट मांग रही हैं बहू डिंपल

अब डिंपल यादव हर जगह एक ही बात कह रही हैं कि वह मुलायम सिंह की विरासत को संभाल रही हैं। उन्हीं के पदचिन्हों पर चलना चाहती हैं। जबकि विपक्षी उन पर यह कह कर हमला करता है कि मैनपुरी को एक ही परिवार का किला बना दिया गया है और उसका फायदा दूसरे किसी को नहीं मिल पा रहा है।

बसपा के प्रत्याशी शिव प्रसाद यादव इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि जसवंत नगर की एक मतदाता सुरेंद्र यादव कहते हैं कि यादव, शिव प्रसाद यादव के साथ नहीं हैं, बल्कि डिंपल यादव के साथ हैं। मुलायम सिंह ने मैनपुरी के लिए बहुत कुछ किया है और उन्हें के परिवार से उम्मीद है।

जबकि बीजेपी के प्रत्याशी जयवीर सिंह प्रदेश के पर्यटन मंत्री हैं और उनके समर्थक दावा करते हैं कि इस बार मैनपुरी का किला ढहा दिया जाएगा। ये कोशिश बीजेपी नेतृत्व की भी है। वो मैनपुरी विधानसभा से चुनाव जीते थे।

क्या कहते हैं वोटर?

अहम तथ्य ये है कि करहल और जसवंत नगर दोनों विधानसभा सीट यादव बाहुल्य हैं और जसवंत नगर विधानसभा पर कोई कब्जा नहीं कर सका। किशनी के रामेंद्र सिंह कहते हैं कि इस बार बीजेपी जीतेगी स्वर्ण एकजुट हैं और अति पिछड़ा वर्ग भी भाजपा के साथ है। इसलिए इस बार सैफई परिवार का यह किला ढह जाएगा, तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

हालांकि, किशनी के ही एक और मतदाता भीम सिंह कहते हैं कि वो वोट हाथी को देंगे और मन से चाहते हैं की बीएसपी ही जीते, लेकिन सपा हार पाएगी यह कहना मुश्किल है। बेवर के शत्रुघन कहते हैं कि लड़ाई बीजेपी सपा के बीच है, क्योंकि यहां पिछले 30 सालों से समाजवादी का कब्जा है। इस बार बीजेपी अच्छा लड़ रही है, लेकिन जीत सकेगी कहना मुश्किल है।

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Brijesh Shukla

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