Credit Cards

UP Loksabha Chunav: पल्लवी पटेल और ओवैसी का PDM, अखिलेश यादव के लिए बन सकता है खतरा! क्या कहता है सियासी गणित

UP Loksabha Chunav: PDM न्याय मोर्चा नाम का नया गुट, जिसमें PDM का मतलब पिछड़ा, दलित और मुस्लिम है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (PDA) को सीधी चुनौती देने की संभावना है। समुदाय के नजरिए से, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय का समर्थन करने वाली पार्टियां कांग्रेस, BSP और SP हैं। ये पार्टियां मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं

अपडेटेड Apr 05, 2024 पर 8:13 AM
Story continues below Advertisement
UP Loksabha Chunav: पल्लवी पटेल और ओवेसी का PDM, अखिलेश यादव के लिए बन सकता है खतरा!

UP Loksabha Chunav: मंडल के बाद की राजनीति में, मतदाताओं के बीच अपनी पहुंच और नीतियों को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए पार्टियों ने अक्सर 'सामाजिक न्याय' के मुद्दे का सहारा लिया है। दूसरे हिंदी भाषी राज्यों के उलट, उत्तर प्रदेश ने हिंदुत्व की राजनीति के बढ़ती स्वीकार्यता को चुनौती दी है। मुख्य सामाजिक न्याय दलों - समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपने 'समावेशी' जाति अंकगणित के साथ उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने या राज्य सत्ता की रूपरेखा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

पल्लवी पटेल की अपना दल (कामेरवादी) और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM का आगामी लोकसभा चुनाव (Lok sabha Elections 2024) के मद्देनजर गठबंधन बनाना उसी दिशा में एक कोशिश है। गठबंधन की घोषणा करते समय, दोनों दलों ने आबादी के वंचित वर्ग के लिए लड़ने के अपने सामूहिक इरादे पर जोर दिया था।

PDM न्याय मोर्चा नाम का नया गुट, जिसमें PDM का मतलब पिछड़ा, दलित और मुस्लिम है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (PDA) को सीधी चुनौती देने की संभावना है।


इस गठजोड़ का असर चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद ही पता चल सकेगा। हाल ही में हैदराबाद में पटेल और औवेसी के बीच हुई बैठक ने इस रणनीतिक साझेदारी की नींव रखी।

अपना दल का I.N.D.I.A. ब्लॉक से मतभेद

उत्तर प्रदेश की मिर्जापुर, फूलपुर और कौशांबी लोकसभा सीटों की मांग पूरी नहीं होने के बाद विपक्षी दल I.N.D.I.A. ब्लॉक से अलग हुई अपना दल (कमेरावादी) ने रविवार को असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM के साथ एक नए गठबंधन की घोषणा की और इसे PDM न्याय मोर्चा नाम दिया। यह पिछड़े वर्गों, दलितों और मुसलमानों को न्याय दिलाने के लिए एक मोर्चा है।

स्थानीय निकाय चुनावों में AIMIM का शानदार प्रदर्शन

2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को 2023 के शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में बड़ी जीत मिली है। विधानसभा चुनाव में वो एक भी सीट नहीं जीत सकी और उसे सिर्फ 0.49% वोट मिले।

AIMIM के पांच उम्मीदवार नगर पालिका परिषद या नगर पंचायत के अध्यक्ष चुने गए, इसके 75 पार्षद नगर निगमों में जीते। इसका सबसे जबरदस्त प्रदर्शन मेरठ में रहा, जहां इसके मेयर पद के उम्मीदवार BJP उम्मीदवार के बाद दूसरे नंबर पर रहे, जबतकि समाजवादी पार्टी की सीमा प्रधान तीसरे नंबर पर रहीं।

मुसलमानों के सच्चे प्रतिनिधि होने का दावा करते हैं ओवैसी

असदुद्दीन ओवैसी अक्सर अपने चुनावी भाषणों में सपा पर निशाना साधते रहे हैं, चाहे वो महाराष्ट्र हो या उत्तर प्रदेश, जहां वह अपनी पार्टी के लिए एक मजबूत आधार बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ओवैसी ने मुस्लिमों का सच्चा प्रतिनिधि होने का वादा किया है। साथ ही कम मुस्लिम नेताओं के लिए उन पार्टियों को दोषी ठहराया है, जो उनका प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हैं।

समुदाय के नजरिए से, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय का समर्थन करने वाली पार्टियां कांग्रेस, BSP और SP हैं। ये पार्टियां मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।

यूपी के जातीय गणित को समझना भी जरूरी

उत्तर प्रदेश में मोटे तौर पर 25-27% सामान्य जाति (10% ब्राह्मण और 7% ठाकुर सहित), 39%-40% OBC (7-9% यादव और 4% निषाद सहित), लगभग 20% SC और ST (जिसमें 10% जाटव) और 16-19% मुस्लिम आबादी शामिल है। हालांकि, ये एक अनुमानित आंकड़ा है, क्योंकि 2011 के बाद से जनगणना नहीं हुई।

यूपी में पांच बड़े वोटर ग्रुप हैं - ऊंची जातियां, मुस्लिम, गैर-यादव OBC, यादव और जाटव। अतीत में यूपी में सरकारें गैर-यादव ओबीसी के दो पूर्ण समूहों और कुछ हिस्सों के वोट हासिल करके केवल 30% वोट शेयर के साथ बनाई गई हैं। SP ने 2012 में अपने मुस्लिम-यादव कॉम्बिनेशन के साथ ऐसा किया था, तो उससे पहले BSP ने 2007 में अपने मुस्लिम-जाटव कॉम्बिनेशन से सत्ता हासिल की थी।

अखिलेश यादव को PDM से सावधान रहने की जरूरत?

पिछले विधानसभा चुनावों में उनके प्रदर्शन को देखते हुए, PDM का समाजवादी के मजबूत जाति अंकगणित से कोई मुकाबला नहीं दिखता है। हालांकि, 2017 में, AIMIM ने संभल लोकसभा सीट बनाने वाले सभी विधानसभा क्षेत्रों में 5% वोट शेयर हासिल किया। बाकी सभी सीटों पर दोनों पार्टियों की मौजूदगी एकदम नहीं थी।

2022 में, पार्टियों ने केवल चार लोकसभा सीटों के विधानसभा क्षेत्रों में जबरदस्त वोट शेयर दर्ज किया। इसमें आज़मगढ़ में AIMIM का 3.4%, और मिर्ज़ापुर में अपना दल (के) का 5.5%, प्रतापगढ़ में 6.6% और वाराणसी में 6.3%।

चुनावी चौपाल : सपा Confuse, कांग्रेस Defuse

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।