लोकसभा चुनाव में वाराणसी से कांग्रेस उम्मीदवार और यूपी प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को अदालत बहुत बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस नेता अजय राय और चार अन्य ने गैंगस्टर एक्ट के तहत चल रहे ट्रायल केस को रद्द करने की मांग के साथ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसे अदालत ने अब खारिज कर दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि गैंगस्टर एक्ट एक विशेष आपराधिक कानून है जिसे समझौते के आधार पर खत्म नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि भले ही, भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध के लिए शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच समझौता हो गया है, लेकिन इसका गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराध पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा राज्य सरकार ने कायम किया
गैंगस्टर एक्ट के तहत ये मुकदमा वाराणसी के चेतगंज थाने में दर्ज किया था। यह आदेश जस्टिस संजय कुमार सिंह ने दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा राज्य सरकार ने कायम किया है, शिकायतकर्ता की शिकायत पर नहीं। यह एक स्वतंत्र अपराध है, जिसे समझौते से खत्म नहीं किया जा सकता। ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है, जिसकी ओर से मामले की कार्यवाही में हस्तक्षेप किया जा सके।
26 मार्च 2010 को याचिकाकर्ताओं समेत कुल 6 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। पुलिस ने 28 अक्टूबर 2011 को आरोप पत्र दाखिल किया।
चार्जशीट की वैधता को चुनौती दी गई थी
इससे पहले भी मामले में चार्जशीट की वैधता को चुनौती दी गई थी, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। मुकदमे में गवाहों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।
इस बीच 28 सितंबर 23 को जब शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच समझौता हो गया, तो मामले की कार्यवाही बंद करने की मांग करते हुए ये याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता अजय राय के खिलाफ 19 अपराधों का इतिहास है।
सरकारी वकील ने बताया कि पूर्व विधायक अजय राय पर कुल 27 आपराधिक मामले दर्ज होने का इतिहास है। एक चार्ट भी दाखिल किया गया। तमाम दलीलों के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अजय राय की याचिका खारिज कर दी।