'पलटू कुमार' से लेकर संभावित किंगमेकर तक की नीतीश कुमार की यात्रा काफी दिलचस्प रही है। उनकी पार्टी जेडी (यू) बिहार में तकरीबन 12 लोकसभा सीटों पर जीत की तरफ बढ़ रही है। बीजेपी भी राज्य की इतनी ही सीटों पर आगे है। हालांकि, बीजेपी ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि जेडी(यू) सिर्फ 16 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) को 6 सीटें मिली थीं, जबकि जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान अवाम मोर्चा को 1 सीट मिली थी। जेडी(यू) के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि ये नतीजे नीतीश कुमार के नेतृत्व पर फिर से मुहर लगाते हैं। उन्होंने कहा, 'यह कुमार के विकास कार्यों का जनमत संग्रह है। वह राज्य के विकास पुरुष हैं और लोगों ने उन्हें वोट दिया है।'
नीतीश कुमार के पक्ष में क्या रहा
यह अटकल लगाई जा रही थी कि एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी के बाद गठबंधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ेगा, न कि सीएम के नाम पर। हालांकि, चुनावी नतीजे बताते हैं कि नीतीश की 'सुशासन बाबू' इमेज बरकरार है। विपक्षी पार्टियां उनके पाला बदलने को राजनीतिक मुद्दा बनाने में नाकाम रहीं। यहां तक कि तेजस्वी यादव भी गठबंधन टूटने के बाद नीतीश कुमार को लेकर शब्दों के चुनाव में काफी सावधानी बरत रहे थे।
नीतीश के अगले कदम को लेकर अटकलें
नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू एनडीए को बहुमत दिलाने में काफी अहम हो गए हैं। नीतीश ने औरंगाबाद की एक चुनावी रैला में पीएम मोदी से कहा कि वह उन्होंने अब कभी नहीं छोड़ेंगे। हालांकि, चुनाव नतीजों के बाद इस बात को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि विपक्षी पार्टियां एक बार फिर से नीतीश कुमार के पास पहुंच सकती हैं। सूत्रों का कहना है कि नतीजे आने के बाद शरद पवार ने नीतीश कुमार को फोन किया था। इसके थोड़ी देर के बाद बिहार के उप-मुख्यमंत्री और बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी मुलाकात के लिए नीतीश कुमार के आवास पर पहुंचे थे। बहरहालस जेडी(यू) प्रवक्ता के. सी. त्यागी का कहना था कि पार्टी फिलहाल किसी भी तरह के बदलाव पर विचार नहीं कर रही है।