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Adani Stocks: म्यूचुअल फंड ने घटाई अदाणी ग्रुप में हिस्सेदारी, 8 कंपनियों में ₹1160 करोड़ के शेयर बेचे, जानिए क्यों डगमगाया भरोसा

Adani Group Stocks: म्यूचुअल फंड धीरे-धीरे अदाणी ग्रुप की कंपनियों में अपना निवेश कम कर रहे हैं, जो उनकी घटती दिलचस्पी का संकेत दे रहा है। म्यूचुअल फंडों ने अप्रैल महीने के दौरान कुल मिलाकर अदाणी ग्रुप की 8 सूचीबद्ध कंपनियों के 1,160 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेचे। अप्रैल महीने के दौरान उन्होंने इन 8 में 7 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाई

Edited By: Vikrant singhअपडेटेड May 16, 2025 पर 12:23 PM
Adani Stocks: म्यूचुअल फंड ने घटाई अदाणी ग्रुप में हिस्सेदारी, 8 कंपनियों में ₹1160 करोड़ के शेयर बेचे, जानिए क्यों डगमगाया भरोसा
Adani Group Stocks: अदाणी ग्रुप में अदाणी पावर इकलौता शेयर रहा, जिसमें म्यूचुअल फंड ने अप्रैल महीने के दौरान हिस्सेदारी बढ़ाई

Adani Group Stocks: म्यूचुअल फंड धीरे-धीरे अदाणी ग्रुप की कंपनियों में अपना निवेश कम कर रहे हैं, जो उनकी घटती दिलचस्पी का संकेत दे रहा है। म्यूचुअल फंडों ने अप्रैल महीने के दौरान कुल मिलाकर अदाणी ग्रुप की 8 सूचीबद्ध कंपनियों के 1,160 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेचे। अप्रैल महीने के दौरान उन्होंने इन 8 में 7 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाई। सबसे अधिक बिकवाली अदाणी एंटरप्राइजेज में हुआ, जिसमें म्यूचुअल फंड ने अपनी हिस्सेदारी 346 करोड़ रुपये से अधिक घटा दी। इसके बाद अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस और अंबुजा सीमेंट्स का स्थान रहा, जहां म्यूचुअल फंड मैनेजरों ने अपनी हिस्सेदारी क्रमश: 302 करोड़ रुपये और 241 करोड़ रुपये घटाई।

बाकी कंपनियों की बात करें तो, एसीसी में उन्होंने 124 करोड़ रुपये, अदानी पोर्ट्स एंड एसईजेड में 7.7 करोड़ रुपये और अदाणी टोटल गैस में 3.43 करोड़ रुपये की बिकवाली की। इस दौरान अदाणी पावर इकलौता शेयर रहा, जिसमें म्यूचुअल फंड ने मामूली रूप से अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई और 102 करोड़ रुपये का निवेश किया।

इससे पहले मार्च में भी कुछ ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिला था, जब अदाणी ग्रीन एनर्जी और अदाणी ग्रीन एनर्जी को छोड़कर बाकी सभी कंपनियों में म्यूचुअल फंडों ने बिकवाली की थी। फरवरी में भी, म्यूचुअल फंडों ने अदाणी ग्रुप की आठ कंपनियों में से लगभग 321 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी घटाई थी।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अदाणी समूह की कंपनियों को लेकर म्यूचुअल फंड्स के बीच सतर्कता अब भी बनी हुई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसका कारण केवल बाजार अस्थिरता नहीं, बल्कि गवर्नेंस को लेकर चिंता, ऊंचे वैल्यूएशन, रेगुलेटरी स्क्रूटिनी और सेक्टर-विशेष जोखिम हैं। इसका मुख्य कारण शेयरों में उतार-चढ़ाव को लेकर उनका इतिहास और वित्तीय पारदर्शिता को लेकर उठते सवाल हैं।

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