बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) प्रचंड जीत की ओर बढ़ रहा है। राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से 206 से अधिक पर यह गठबंधन बढ़त में है। 14 नवंबर को इस स्पष्ट जीत ने बाजारों को एक स्पष्ट संकेत दिया है: पॉलिसी और पूंजीगत व्यय की दिशा में कोई अड़चन नहीं आएगी। इन्हीं ने साल 2025 में इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग और PSU शेयरों को रफ्तार दी।
पेस 360 के अमित गोयल का कहना है कि यह रिजल्ट नीतियों के लिए और ज्यादा गुंजाइश को मजबूती देता है। उन्होंने कहा, "बिहार चुनाव परिणाम भारतीय इक्विटी के लिए स्पष्ट रूप से पॉजिटिव हैं। ये इस बात को और मजबूती देते हैं कि भारत में राजनीतिक लैंडस्केप पहले की तरह ही मजबूत बना हुआ है। बिहार की जनता का यह फैसला केंद्र सरकार को विकास को बढ़ावा देने के लिए लॉन्ग टर्म फैसले लेने में सक्षम बनाएगा।"
मैन्युफैक्चरिंग और पीएसयू शेयरों में बरकरार रहनी चाहिए रुचि
एनालिस्ट्स का यह भी कहना है कि यह जनादेश सरकार को लोकलुभावन खर्चों के बजाय संरचनात्मक सुधारों पर फोकस करने की अधिक गुंजाइश देता है। गोयल के मुताबिक,, "हमें कल्याणकारी खर्च में कोई बड़ा बदलाव नजर नहीं आ रहा है। चल रहे सुधारों और रणनीतिक विनिवेश के मद्देनजर मैन्युफैक्चरिंग और पीएसयू शेयरों में रुचि बनी रहनी चाहिए।"
जेनरेशनल कैपिटल के सात्विक जैन का मानना है कि यह फैसला उन आंकड़ों के अनुरूप है, जो राज्य में पहले से ही लगातार हो रही प्रगति को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा, "वर्तमान सरकार का सत्ता में बने रहना हिंदी क्षेत्र में बढ़ती समृद्धि के लिए सकारात्मक है- गरीबी का स्तर 15 साल में 69% से घटकर 23% हो गया है, बिजली की खपत एक दशक में तिगुनी हो गई है और प्रति व्यक्ति आय बढ़कर ₹73700 हो गई है।"
जैन ने बताया कि बिहार का 58,900 करोड़ रुपये का इंफ्रास्ट्रक्चर एलोकेशन, स्थानीय पूंजीगत व्यय और खपत के लिए एक अच्छा ड्राइवर है। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च में भारी बढ़ोतरी होनी चाहिए। साथ ही प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के रूप में बड़ा प्रभाव पैदा होना चाहिए। इससे बिहार में जनरेट या बढ़ रहे वैल्यू रिटेल और इलेक्ट्रॉनिक्स रिटेल बिजनेस एक अनुकूल स्थिति में आ जाते हैं।
शेयरों में अगले एक-दो दिन दिख सकती है उथल-पुथल
मार्केटस्मिथ इंडिया के एक नोट में कहा गया है कि बिहार चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद शेयरों में अगले एक-दो दिन उथल-पुथल की उम्मीद है। उसके बाद, बाजार आमतौर पर संरचनात्मक फैक्टर्स पर फोकस करते हैं जैसे कि आय, केंद्र के नेतृत्व वाली नीति निरंतरता, मैक्रो डिसीजन और राजकोषीय अनुशासन।
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