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मशहूर फंड मैनेजर Bill Ackman ने बॉन्ड्स पर बदला नजरिया, दुनिया में बढ़ रहे रिस्क को बताई इसकी वजह

Bill Ackman ने 23 अक्टूबर को कहा कि उन्होंने बॉन्ड्स पर अपने शॉर्ट कवर कर लिए हैं। उन्होंने कहा कि अभी दुनिया में बहुत ज्यादा रिस्क हैं, जिससे बॉन्ड्स में शॉर्ट पॉजिशन बनाए रखना ठीक नहीं है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उनके पोस्ट आने के बाद से बॉन्ड यील्ड में गिरावट देखने को मिली है। एक के बाद एक उनके तीन ट्वीट आने के बाद 30 साल के अमेरिकी बॉन्ड् की यील्ड में 13 बेसिस प्वाइंट्स गिरावट आई

अपडेटेड Oct 25, 2023 पर 11:32 AM
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बॉन्ड की कीमत और उसकी यील्ड में विपरीत संबंध है। इसका मतलब है कि बॉन्ड की कीमत बढ़ने पर उसकी यील्ड घट जाती है, जबकि उसकी कीमत गिरने पर यील्ड बढ़ जाती है। इसकी वजह यह है कि बॉन्ड का इंटरेस्ट रेट फिक्स्ड होता है।

मशहूर फंड मैनेजर Bill Ackman ने एक बार फिर लंबी अवधि के अमेरिकी बॉन्ड्स पर अपना नजरिया बदलकर हलचल मचा दी है। तीन महीने पहले उन्होंने कहा कि 30 साल के अमेरिकी बॉन्ड्स पर उनका नजरिया बेयरिश है। इस फंड मैनेजर ने 23 अक्टूबर को कहा कि उन्होंने बॉन्ड्स पर अपने शॉर्ट कवर कर लिए हैं। उन्होंने कहा कि अभी दुनिया में बहुत ज्यादा रिस्क हैं, जिससे बॉन्ड्स में शॉर्ट पॉजिशन बनाए रखना ठीक नहीं है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उनके पोस्ट आने के बाद से बॉन्ड यील्ड में गिरावट देखने को मिली है। एक के बाद एक उनके तीन ट्वीट आने के बाद 30 साल के अमेरिकी बॉन्ड् की यील्ड में 13 बेसिस प्वाइंट्स गिरावट आई है। 24 अक्टूबर को यह 4.96 फीसदी पर आ गई।

यील्ड में हल्की गिरावट का भी पड़ेगा बड़ा असर

यील्ड में यह मामूली गिरावट बॉन्ड मार्केट के लिए बहुत मायने रखती है। खासकर अमेरिकी सरकार पर इसका पड़ा असर पड़ेगा। दरअसल, अमेरिकी सरकार अपने कर्ज को चुकाने के लिए बॉन्ड्स के जरिए नए कर्ज ले रही है। ऐसे में उसे बॉन्ड्स का इंटरेस्ट रेट्स ज्यादा रखने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इससे सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ जाएगा।


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अगस्त में बॉन्ड की बढ़ती सप्लाई पर जताई थी चिंता

Ackman हेज फंड Pershing Square के सीईओ हैं। इस साल अगस्त में उन्होंने अमेरिकी इकोनॉमी और बॉन्ड्स मार्केट की स्थिति को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने इनफ्लेशनरी प्रेशर के बीच कम लॉन्ग टर्म रेट्स पर भी हैरानी जताई थी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा था, "सप्लाई-डिमांड के नजरिए से देखने पर लॉन्ग टर्म अमेरिकी बॉन्ड में ओवरबॉट स्थिति दिखती है।" उन्होंने बॉन्ड्स की बढ़ती सप्लाई और इंटरेस्ट रेट्स पर उसके असर पर भी चिंता जताई थी।

बॉन्ड यील्ड में उछाल का अनुमान सही साबित हुआ

इस फंड मैनेजर ने लिखा था कि स्ट्रक्चरल चेंजेज की वजह से लंबी अवधि में इनफ्लेशन हाई रह सकता है। ग्लोबलाइजेशन का ट्रेंड बदल सकता है। रक्षा पर होने वाले खर्च के भी बढ़ने का अनुमान है। उनका मानना है कि इससे वर्कर्स की बारगेंनिंग पावर भी बढ़ने के आसार हैं। इन सभी वजहों से उन्होंने अपना नजरिया बेयरिश होने की बात कही थी। तब उन्होंने 30 साल के बॉन्ड की यील्ड 5.5 फीसदी पहुंच जाने का अनुमान जताया था। अब उनका अनुमान सही साबित हुआ है। 30 साल के बॉन्ड्स की यील्ड 19 अक्टूबर को 5.11 फीसदी पर पहुंच गई। अमेरिका में सरकारी बॉन्ड को ट्रेजरी कहा जाता है।

बॉन्ड और यील्ड में विपरीत संबंध

आपके लिए यह जान लेना जरूरी है कि बॉन्ड की कीमत और उसकी यील्ड में विपरीत संबंध है। इसका मतलब है कि बॉन्ड की कीमत बढ़ने पर उसकी यील्ड घट जाती है, जबकि उसकी कीमत गिरने पर यील्ड बढ़ जाती है। इसकी वजह यह है कि बॉन्ड का इंटरेस्ट रेट फिक्स्ड होता है। 30 साल के बॉन्ड की यील्ड इस साल अगस्त से करीब 80 बेसिस प्वाइंट्स चढ़ चुकी है।

बॉन्ड में शॉर्ट्स कवर किए

इस हफ्ते की शुरुआत में 10 साल के बॉन्ड की यील्ड 2007 के बाद के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी। तब Ackman ने ऐलान किया था कि उनकी फर्म ने बॉन्ड में अपना शॉर्ट पॉजिशन कवर कर लिया है। X पर अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि बॉन्ड यील्ड पर उनका नजरिया बदलने का वजह यह है कि दुनिया में बहुत ज्यादा रिस्क दिख रहा है। बाद में खासकर इजराइल-हमास के बीच लड़ाई शुरू होने के बाद उनकी बात सही साबित हुई। उन्होंने यह भी कहा था कि इकोनॉमी में अनुमान के मुकाबले ज्यादा तेजी से सुस्ती आ रही है। उन्होंने इनफ्लेशन में कमी आने की भी उम्मीद जताई थी।

अमेरिकी बॉन्ड में गिरावट

यह ध्यान में रखना जरूरी है कि अमेरिकी में बॉन्ड की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिली है। इससे यील्ड बढ़ी हैं। अमेरिकी इकोनॉमी और लेबर मार्केट का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा है। इकोनॉमी के बेहतर प्रदर्शन की वजह से यील्ड्स हाई लेवल पर बनी रही है।

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