स्टॉक मार्केट्स में 7 अप्रैल को दिख रही गिरावट ने मार्च 2020 की याद दिलाई है। तब कोविड का डर इस कदर दुनिया पर हावी हो गया था कि सभी एसेट क्लास की कीमतें ताश के पत्ते की तरह भरभरा कर गिर गई थीं। 7 अप्रैल यानी आज कुछ वैसा ही होता दिख रहा है। इंडियन मार्केट के ओपन होते ही सेंसेक्स और निफ्टी 4 फीसदी से ज्यादा क्रैश कर गए। मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी बड़ी गिरावट दिखी। एशियाई स्टॉक मार्केट्स में तो 10 फीसदी तक की गिरावट दिखी। खास बात यह है कि गोल्ड, ऑयल दूसरे एसेट क्लास में भी बड़ी गिरावट है। क्या डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से इकोनॉमिक न्यूक्लियर वॉर शुरू हो गया है?
दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकतों के बीच जोर आजमाइश
बिलियनेयर इनवेस्टर Bill Ackman ने ट्रंप के टैरिफ को 'इकोनॉमिक न्यूक्लियर वॉर' बताया है। उन्होंने ट्रंप सरकार की टैरिफ पॉलिसी (Trump Tariff) को लेकर आगाह किया है। उन्होंने कहा है कि अगर इसे नहीं रोका गया तो 9 अप्रैल से इकोनॉमिक न्यूक्लियर वॉर शुरू होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। दरअसल, यह पूरा मामला दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकतों के बीच जोर आजमाइश का है। 4 अप्रैल को चीन ने ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के जवाब में अमेरिका पर बड़ा झटका दिया। इसका असर अमेरिकी स्टॉक मार्केट्स पर 4 अप्रैल को दिखा था। अमेरिकी मार्केट्स बड़ी गिरावट के साथ बंद हुए थे। 7 अप्रैल को इंडिया सहित एशियाई बाजारों पर इसका असर दिख रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप को मिल रहा है बड़ा सपोर्ट
एकमैन ने कहा है कि ट्रंप ने जो पॉलिसी शुरू की है, उसके लिए उन्हें काफी सपोर्ट मिल रहा है। दरअसल, वह संकेत देने में सफल रहे हैं कि उनका मकसद ग्लोबल टैरिफ सिस्टम को ठीक करना है। उनका कहना है कि लंबे समय से अमेरिका नुकसान उठाता रहा है। अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि वह पूरा सिस्टम बदल देंगे। एकमैन ने लिखा है, "अमेरिका ट्रंप की इस कोशिश को 100 फीसदी सपोर्ट दे रहा है।" हालांकि, इसके गंभीर नतीजें दिख रहे हैं। खास बात यह है कि पूरी दुनिया के लिए इससे बड़ा खतरा पैदा हो गया है। स्टॉक मार्केट्स और दूसरे एसेट्स की कीमतें क्रैश करने से इनवेस्टर्स हैरान हैं।
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ग्लोबल इकोनॉमी के लिए बड़ा खतरा
उन्होंने यह भी कहा है कि 9 अप्रैल को ट्रंप के टैरिफ के पूरी तरह से लागू होने पर आर्थिक न्यूक्लियर वॉर शुरू हो जाएगा। दुनियाभर में कारोबार को बड़ा झटका लगेगा। इनवेस्टर्स की नजरें अपने लॉस पर लगी होंगी। लोग खर्च करना बंद कर देंगे। उनकी कोशिश अपने पैसे को बचाकर रखने पर होगी। इससे अमेरिकी की छवि को बड़ा नुकसान होगा। इस नुकसान की भरपाई में लंबा वक्त लग सकता है। उन्होंने कहा कि स्टॉक मार्केट्स के क्रैश करने का सीधा असर कंजम्प्शन और इनवेस्टमेंट पर पड़ता है। कंपनियां नया निवेश करना बंद कर देती हैं। लोगों को यह पता नहीं चलता कि आगे क्या होने जा रहा है।