भारतीय शेयर बाजार के लिए आज 23 दिसंबर का दिन ब्लैक फ्राइडे साबित हुआ। बाजार में हर तरफ बिकवाली जोर रहा। इसके चलते 30 शेयरों वाला बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स (Sensex) जहां 1.6 फीसदी या 981 अंक लुढ़ककर 59,845 अंक पर आ गया। वहीं निफ्टी (Nifty50) आज 1.8 फीसदी या 321 अंक गिरकर 17,807 के स्तर पर बंद हुआ। इसके एक दिन पहले अमेरिकी शेयर बाजार भी घाटे के साथ बंद हुए थे। आर्थिक मंदी की बढ़ती आशंका और ब्याज दरों में आगे भी बढ़ोतरी जारी रहने के संकेत के चलते टेक शेयरों की अधिकता वाले न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज का Nasdaq इंडेक्स करीब 2 फीसदी लुढ़क गया। वहीं डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज और S&P 500 में करीब 1-1 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।
भारतीय शेयर बाजार के आज सभी सेक्टर के इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए। इसमें स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स भी शामिल हैं। बाजार में अस्थिरता को बताने वाला इंडिया वीआईएक्स (India VIX) इंडेक्स 6.4 फीसदी बढ़कर 16.2 पर पहुंच गया, जो एक दिन पहले 15.2 था।
आइए जानते हैं कि भारत सहित दुनियाभर के शेयर बाजारों में आज शुक्रवार को किन 4 वजहों से गिरावट देखने को मिली-
1. अमेरिकी केंद्रीय बैंक की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी रखने का संकेत
अमेरिकी इकोनॉमी से जुड़े अधिकतर संकेतकों में अभी भी बढ़ोतरी का संकेत देखा जा रहा है। इसके चलते अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक पहले के अनुमानों से अधिक समय तक ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी रख सकता है। हाल ही में फेडरल रिजर्व बैंक के कुछ सदस्यों ने संकेत दिया है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी अगसे साल भी जारी रह सकती है। ब्याज दरों के बढ़ने से बाजार में पैसा कम हो जाता है और इसे शेयर बाजारों के निए नकारात्मक माना जाता है।
HDFC सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च हेड, दीपक जसानी ने कहा, "अमेरिकी शेयरों में आर्थिक आंकड़े दारी होने के बाद तेज गिरावट देखी गई है क्योंकि इससे अगले साल में भी ब्याज दरों की बढ़ोतरी के जारी रहने की संभावना को बल मिला है। साथ ही डेविड टेपर की यह चेतावनी कि वह शेयर और बॉन्ड दोनों के शॉर्ट होने पर दांव लगा रहे हैं, इसने भी सेंटीमेंट को कमजोर किया है। "
दुनिया के अधिकतर देशों में कोर इंफ्लेशन अभी भी ऊंचे स्तर पर बना हुआ है। ऐसे में मॉनिटरी पॉलिसी में सख्ती जारी रहने की उम्मीद है। ब्याज दरों में अधिक बढ़ोतरी के चलते कुछ बड़े देशों के मंदी की चपेट में आने की आशंका तेज हो गई है। खासतौर से अमेरिकी इकोनॉमी में। अगर अमेरिका में मंदी आती है, तो यह पूरी दुनिया के फाइनेंशियल मार्केट को प्रभावित करेगा।
जापान में भी नवंबर महीने के दौरान कोर कंज्यूमर इंफ्लेशन रेट पिछले 40 सालों के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया। अमेरिका में टेक शेयरों को लेकर आउटलुक भी कमजोर बना हुआ है।
3. कोरोना की नई लहर को लेकर घबराहट
दुनिया के कई देशों में कोरोना के मामले बढ़ने और चीन में मौतों की संख्या बढ़ने से बाजार में घबराहट की स्थिति है। उन्हें डर है कि कहीं इसके चलते इकोनॉमी एक बार फिर से पीछे न चली जाए। भारत में भी ओमिक्रॉन के नए वेरिएंट के कुछ मामले मिले हैं और सरकार की तरफ से जारी दिशानिर्देशों ने इस चिंता को और बढ़ाया है।
4. ग्लोबल शेयर बाजारों से कमजोर संकेत
अमेरिकी टेक शेयरों में गिरावट और कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी के बीच अधिकतर एशियाई बाजार शुक्रवार को गिरावट के साथ कारोबार हुआ। हांगकांग, साउथ कोरिया, ताइवान और जापान के शेयर बाजार आज 1 फीसदी से अधिक लुढ़के हैं।
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