ब्रोकर्स को टेक्निकल ग्लिच के मसले पर राहत मिलने की उम्मीद, सेबी और एक्सचेंजों में चल रही बातचीत

सेबी और एक्सचेंजों ने इंडस्ट्री की तरफ से उठाए गए कुछ मसलों पर विचार करने की बात कही थी। लेकिन, उसने यह भी साफ कर दिया है कि ट्रेडिंग, सेटलमेंट्स और रिस्क मैनेजमेंट में किसी तरह की तकनीकी गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी

अपडेटेड Jun 26, 2025 पर 4:31 PM
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ब्रोकर्स ने यह भी गुजारिश की थी कि जब तक 10 फीसदी क्लाइंट्स या ऑर्डर्स पर असर नहीं पड़े टेक्निकल इश्यू को ग्लिच नहीं माना जाना चाहिए। लेकिन, यह गुजारिश भी खारिज कर दी गई।

तकनीकी गड़बड़ी के मसले पर सेबी, एक्सचेंज और ब्रोकर्स फिर से बातचीत कर रहे हैं। उम्मीद है कि ब्रोकर्स के सिस्टम से जुड़ी तकनीकी गड़बड़ी के मामले में सेबी ब्रोकर्स को राहत दे सकता है। मामले से जुड़े लोगों ने मनीकंट्रोल को इस बारे में बताया। दरअसल, इस बारे में 28 मार्च को एक सर्कुलर इश्यू किया गया था। इसमें एक्सचेंजों ने कई प्रावधानों में बदलाव किए थे। लेकिन, ब्रोकर्स इससे संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने कई मसलों का समाधान नहीं होने की शिकायत की थी।

सेबी ट्रेडिंग और सेटलमेंट में तकनीकी गड़बड़ी को लेकर सख्त

इंडस्ट्री के एक सूत्र ने कहा, "SEBI और Exchanges ने इंडस्ट्री की तरफ से उठाए गए कुछ मसलों पर विचार करने की बात कही थी। लेकिन, उसने यह भी साफ कर दिया है कि ट्रेडिंग, सेटलमेंट्स और रिस्क मैनेजमेंट में किसी तरह की तकनीकी गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।" सेबी की परिभाषा के मुताबिक, टेक्निकल ग्लिच में ब्रोकर के सिस्टम में होने वाली गड़बड़ी भी शामिल है। इसमें हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, नेटवर्क, प्रोसेसेज या इलेक्ट्रॉनिक सर्विसेज होने वाली गड़बड़ी शामिल है। इसमें 5 मिनट्स या ज्यादा समय की गड़बड़ी शामिल है।


एक्सचेंजों ने मार्च 2025 में इश्यू किया था सर्कुलर

सेबी के मुताबिक, अगर स्लोडाउन या नॉर्मल सिस्टम से डेविएशंस होगा तो भी उसे टेक्निकल ग्लिच माना जाएगा। दरअसल, ब्रोकर्स ने पहले सेबी और एक्सचेंजों को इस बारे में बताया था। एक्सचेंजों ने मार्च 2025 में सर्कुलर इश्यू किया था। इसमें टेक्निकल ग्लिच भी शामिल था। ब्रोकर्स ने सेबी और एक्सचेंजों को यह भी बताया था कि अगर ट्रेडिंग के अल्टरनेटिव्स टूल्स ऑनलाइन उपलब्ध हैं लेकिन ऐप में किसी तरह की प्रॉब्लम है तो इसे ग्लिच नहीं माना जाना चाहिए। लेकिन, इस अनुरोध को भी मार्च सर्कुलर में शामिल नहीं किया गया।

टेक्निकल ग्लिच के समय में भी रियायत नहीं

ब्रोकर्स ने यह भी गुजारिश की थी कि जब तक 10 फीसदी क्लाइंट्स या ऑर्डर्स पर असर नहीं पड़े टेक्निकल इश्यू को ग्लिच नहीं माना जाना चाहिए। लेकिन, यह गुजारिश भी खारिज कर दी गई। सर्कुलर में कहा गया कि टेक्निकल ग्लिच के तहत आने वाले ऐसे मामलों में किसी तरह की रियायत नहीं दी जा सकती चाहे क्लाइंट्स या ऑर्डर्स की संख्या जितनी भी हो। स्टॉक ब्रोकर्स का कहना था कि टेक्निकल ग्लिच तभी माना जाए जब प्रॉब्लम 15 मिनट की हो। अभी यह 5 मिनट तय है।

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थर्ड पार्टी की गड़बड़ी भी ब्रोकर की मानी जाएगी

ब्रोकर्स ने यह भी मांग की थी कि अगर ग्लिच किसी वेंडर या थर्ड पार्टी की वजह से होती है तो इसके लिए ब्रोकर को जिम्मेदार नहीं माना जाना चाहिए। लेकिन, इस गुजारिश को भी नहीं माना गया। एक्सचेंज के सर्कुलर में यह कहा गया कि किसी तरह का ग्लिच जो टेक्निकल ग्लिच की परिभाषा के तहत आता है उसे ग्लिच माना जाएगा चाहे वह किसी थर्ड पार्टी की वजह से हो या किसी वेंडर की वजह से हो।

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