Daily Voice: शेयर मार्केट को मिलेगा क्रिसमस गिफ्ट? गोल्ड पर फंड मैनेजर ने सुझाई यह स्ट्रैटेजी

Daily Voice: घरेलू स्टॉक मार्केट में अमेरिका के साथ कारोबारी सौदे को लेकर रौनक छाई हुई है। अब सवाल उठता है कि यह तेजी कब तक बनी रहेगी, और सौदा होने के बाद क्या होगा? एक सवाल यह भी है कि अनिश्चितता के माहौल में गोल्ड के रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बाद क्या अब मुनाफा निकाल लेना चाहिए? जानिए इन सब सवालों को लेकर एक फंड मैनेजर का रुझान क्या है?

अपडेटेड Oct 27, 2025 पर 11:52 AM
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घरेलू स्टॉक मार्केट में अमेरिकी टैरिफ के 50% से घटकर 15-16% तक आने की संभावना पर जोश भरा हुआ है।

Daily Voice: भारत और अमेरिका के बीच क्रिसमस से पहले ही कारोबारी सौदा होने से भारत की लॉन्ग-टर्म ग्रोथ को लेकर वैश्विक भरोसे की वापसी में मदद मिलेगी। ऐसा INVasset PMS के फंड मैनेजर और पार्टनर अनिरुद्ध गर्ग का का मानना है। उन्होंने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा कि महंगाई दर यानी इनफ्लेशन पर नियंत्रण, कंपनियों के कमाई के तेजी पकड़ने और रुपये की स्थिरता से इंस्टीट्यूशन कैपिटल के लिए एशिया में भारत आकर्षक जगह हो सकता है। इससे इस साल 2025 की आखिरी तिमाही मजबूत हो सकती है। गोल्ड की हालिया तेजी को लेकर भी उनका कहना है कि लॉन्ग टर्म निवेशकों को मुनाफावसूली करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि किसी उतार-चढ़ाव की स्थिति में यह पोर्टफोलियो को संभालने के लिए भरोसेमंद एसेट है

डील होने तक किस करवट बढ़ेगा स्टॉक मार्केट और डील के बाद क्या?

मार्केट में अमेरिकी टैरिफ के 50% से घटकर 15-16% तक आने की संभावना पर जोश भरा हुआ है। निफ्टी 50 की बात करें तो घरेलू लिक्विडिटी और अमेरिका के साथ कारोबारी सौदे की उम्मीद पर यह रिकॉर्ड हाई के आस-पास झूम रहा है। अनिरुद्ध का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच कारोबारी सौदा होने की संभावना बनी रहती है तो मार्केट की तेजी बनी रह सकती है। हालांकि यह तेजी कब तक बनी रहेगी, यह इस हफ्ते होने वाले एशियाई सम्मेलन की हलचलों पर भी निर्भर करेगा। अगर इसमें कोई समझौता होता है या विश्वसनीय रोडमैन भी पेश होता है तो स्थिर विदेशी निवेश और मजबूत कॉरपोरेट आय के सपोर्ट पर बाजार की तेजी जारी रह सकती है। भारत और अमेरिका के बीच कारोबारी सौदा होने पर विदेशी निवेशक यहां ताबड़तोड़ निवेश कर सकते हैं


क्विक-कॉमर्स स्पेस और न्यू-ऐज स्टॉक्स को लेकर क्या है रुझान?

भारत में क्विक-कॉमर्स सेक्टर तेज़ी से बढ़ रहा है। इस साल 2025 तक क्विक कॉमर्स मार्कट करीब $600-650 करोड़ के रेवेन्यू तक पहुंच सकता है और वर्ष 2030 तक सालाना 25–30% की चक्रवृद्धि रफ्तार से बढ़ने की उम्मीद है। इसे स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल, इंटरनेट के विस्तार और उपभोक्ताओं की सुविधाजनक सेवाओं को प्राथमिकता से सपोर्ट मिल रहा है।

अब न्यू-ऐज स्टॉक्स को लेकर बात करें तो मजबूत कंज्यूमर डिमांड और डिजिटल अपनाने की स्पीड में तेजी से इसे सपोर्ट मिल रहा है। हालांकि अनिरुद्ध के मुताबिक निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि सभी कंपनियां आईपीओ के बाद की तेजी कायम नहीं रख पाई है। आगे वही कंपनियां कमान संभालेंगी, जिनकी बुनियाद मजबूत है, रेवेन्यू के आसार दिख रहे हैं और बाजार में रणनीति स्पष्ट है।

गोल्ड को लेकर क्या हो स्ट्रैटेजी?

पिछली कुछ तिमाहियों में जबरदस्त तेजी के बावजूद गोल्ड लॉन्ग टर्म इंवेस्टर्स के लिए पसंदीदा एसेट बना हुआ है। इसकी कीमतों को वैश्विक तौर पर आर्थिक अनिश्चितता, अमेरिकी डॉलर की कमजोरी के साथ-साथ सुरक्षित निवेश को लेकर केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और खुदरा निवेशकों की लगातार मांग से सपोर्ट मिला है। अनिरुद्ध का मानना है कि फिलहाल ऐसी कोई वजह नहीं दिख रही है कि लॉन्ग टर्म इंवेस्टर्स को मुनाफावसूली करना चाहिए। उनका मानना है कि मौजूदा जियो-पॉलिटिकल टेंशन और मुद्रास्फीति के दबावों के बीच गोल्ड अपनी भरोसेमंद वाली भूमिका निभाता रहेगा और पोर्टफोलियो का अहम हिस्सा बना रहेगा।

घरेलू मार्केट में कारोबारी सौदों को लेकर क्या है माहौल?

कारोबारी सौदों को लेकर अनिरुद्ध का मानना है कि मिडिल साइज के बैंकों में विदेशी निवेश जारी रह सकता है। बता दें कि हाल ही में दुबई की एमिरेट्स एनबीडी ने आरबीएल बैंक में 60% हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था और अनिरुद्ध के मुताबिक $300 करोड़ का यह सौदा भारतीय बैंकिंग उद्योग में सबसे बड़े विदेशी निवेशों में से एक है और इस प्रकार के लेन-देन के जारी रहने की संभावना है। विदेशी संस्थाओं को घरेलू बैंकों में निवेश करने की अनुमति देने के भारतीय रिजर्व बैंक के बदलते रुख ने ऐसे रणनीतिक लेन-देन के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया है।

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