Daily Voice : सैमको ग्रुप (SAMCO Group)के फाउंडर और चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफीसर जिमीत मोदी (Jimeet Modi) का मानना है कि इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनाव सबसे बड़ा मुद्दा नजर आ रहा है। मनीकंट्रोल के साथ एक साक्षात्कार में, मोदी ने कहा कि 2024 के चुनाव परिणाम और नई सरकार की नीति 2024-25 के लिए आर्थिक विकास का रोडमैप तय करेंगे। उनका मानना है कि जब तक इकोनॉमिक ग्रोथ की पॉलिसी सही दिशा में चल रही हैं, कोई समस्या नहीं होगी। लेकिन अगर सरकार नीतियों दूसरी दिशा में रीसेट करती है तो विकास बाधित हो सकता है।
इक्विटी रिसर्च और इन्वेस्टमेंट का 15 सालों से ज्यादा का अनुभव रखने वाले जिमीत मोदी का कहना है कि दूसरी तिमाही के नतीजे काफी हद तक अनुमान के मुताबिक ही रहे हैं। दूसरी तिमाही में अच्छे नतीजों की संख्या बुरे नतीजों की तुलना में ज्यादा रही है।
इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि वित्त वर्ष 2025 का आउटलुक काफी हद तक मई 2024 के आम चुनावों के नतीजे पर निर्भर करेगा। अगर नई सरकार कैपेक्स की नीति जारी रखेगी तो आगे भी ग्रोथ जारी रहेगी। इसमें कोई समस्या नहीं होगी। लेकिन सरकार एकाएक नीतियों में कोई बदलाव करती है तो फिर दिक्कत आ जाएगी।
कैसा रहेगा संवत 2080 में बाजार
संवत 2080 में कैसी रह सकती है बाजार की चाल इस पर बात करते हुए जिमीत मोदी ने कहा कि यह कहना मुश्किल है कि अगले एक साल में हमें कितने प्रतिशत की तेजी देखने को मिलेगी। लेकिन उम्मीद है कि बाजार का रुझान तेजी का ही बना रहेगा। ब्याज दरों में गिरावट, महंगाई की दर में कमी की संभावना, कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन में सुधार और आम चुनाव के नतीजों जैसे बहुत सारे ट्रिगर मौजूद हैं, जो बाजार के पक्ष में काम कर सकते हैं। उम्मीद है कि नए साल में भी निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलेगा।
उन्होंने आगे कहा कि सैमको रिसर्च द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि पिछले 40 सालों में, आम चुनाव से पहले छह महीनों में सेंसेक्स ने औसतन 14.3 फीसदी रिटर्न दिया है। 1980 से 2019 तक पिछले 11 आम चुनावों से पहले हुई राजनीतिक उठापटक के बीच सेंसेक्स ने अच्छी मजबूती दिखाई है। इस बार भी हमें यह सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है।
बाजार के लिए ये हैं बड़े जोखिम
इस बातचीत में जिमीत मोदी ने आगे कहा कि आम चुनाव 2024 का उम्मीद के प्रतिकूल नतीजा और कच्चे तेल की कीमतों में अचानक उछाल संवत 2080 के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं। अगर रूस-यूक्रेन और इजराइल-फिलिस्तीन (गाजा) के बीच चल रहे दो बड़े युद्धों का विस्तार होता है तो कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आ सकता है। अगर आगे चलकर तीसरा मोर्चा भी खुल जाता है, तो इससे स्थिति और खराब हो सकती है। इससे अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त बड़ी मुश्किल पैदा कर सकती है।
ऐसे सेक्टर जो निवेशकों के पोर्टफोलियो में रहने ही चाहिए? इस सवाल के जवाब में जिमीत मोदी ने कहा कि आम तौर पर मीडियम से लॉन्ग टर्म नजरिए से खपत और बैंकिंग सेक्टर के शेयर अच्छे लग रहे हैं। खपत वाले शेयर लंबे समय से साइडवेज दिख रहे हैं। ब्याज दर में गिरावट के दौर में आगे चलकर इस सेक्टर में काम करने वाली कंपनियों के मार्जिन में अच्छी ग्रोथ देखने को मिलेगी।
बैंकिंग सेक्टर के भी अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है। पिछली कुछ तिमाहियों से ये सेक्टर कमजोर प्रदर्शन कर रहा था। इस सेक्टर में अब वैल्यू नजर आ रही है। ये दो सेक्टर हैं जहां निवेशकों अपनी नजर रखनी चाहिए।
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