साल 2024-25 के लिए सरकार ने विनिवेश लक्ष्य 50,000 करोड़ रखा है। ये एक बड़ा मुद्दा है जो बजट से भी जुड़ा है। इस पर सरकार का कहना है कि उनका फोकस लैंड मोनेटाइजेशन पर होगा। देश में कैसा है विनिवेश रोडमप, आगे विनिवेश को लेकर क्या हैं सरकार की योजना, विनिवेश की प्रक्रिया थोड़ी स्लो क्यों है? इन सभी पर बात करने के लिए आज सीएनबीसी-आवाज़ को साथ मौजूद रहे विनिवेश सचिव, तुहिन कांत पांडे।
ओवर ऑल पब्लिक एसेट मैनेजमेंट पर फोकस
पिछला वित्त वर्ष विनिवेश के नजरिए से बहुत अच्छा नहीं गया और इस साल भी अभी तक विनिवेश की प्रक्रिया धीमी रही है। इस साल के लिए क्या हैं प्लान, किन कंपनियों में विनिवेश हो सकता है और क्या 50,000 करोड़ का लक्ष्य हासिल होगा? इसका जवाब देते हुए तुहिन कांत पांडे ने कहा कि इस समय सरकार का फोकस शिफ्ट हुआ है और सरकार इस समय ओवर ऑल पब्लिक एसेट मैनेजमेंट पर काम कर रही है। इसमें सिर्फ विनिवेश ही नहीं बल्कि पब्लिक सेक्टर के वैल्यू क्रिएशन पर ज्यादा फोकस है। विनिवेश प्रक्रिया उसका एक अंग है लेकिन इस समय फोकस वाला पहलू नहीं है। लेकिन विनिवेश के जो ट्रांजेक्शंस हैं वो लगातार चलते रहते हैं और उनको मार्केट के साथ लिंक करने की जो हमारी प्रक्रिया रही है वहीं आगे भी जारी रहेगी।
समय की जरूरत के हिसाब से विनिवेश की प्रक्रिया चलती रहेगी
तुहिन कांत पांडे ने बताया कि 50,000 करोड़ का लक्ष्य मिसलेनियस कैपिटल रिसीट के अंडर आता है। इसमें ओवर ऑल चाहे विनिवेश से हो या एसेट मोनेटाइजेशन से हो इन सबके लिए एक बजट लाइन है। लेकिन इस तरह का हमारा विनिवेश का कोई एक लक्ष्य नहीं है। मार्केट की स्थितियों और समय की जरूरत के हिसाब से विनिवेश की प्रक्रिया चलती रहेगी।
सरकारी कंपनियां विकास योजनाओं पर 3.5 लाख करोड़ रूपए खर्च करने की तैयारी में
तुहिन ने कहा कि सरकारी कंपनियां मार्केट से जुड़ी इकाइयां हैं। इस समय करीब 81 सरकारी लिस्टेड कंपनियां हैं। इनमें से 77 ऐसी हैं जिनमें सरकार की बड़ी हिस्सेदारी है। इन कपनियों का मार्केट कैप इस समय करीब 77 लाख करोड़ रुपए है। इन कंपनियों के प्रदर्शन पर ध्यान देने की जरूरत है। सरकार इस पर फोकस कर रही है। इन कंपनियों के कैपेक्स और ग्रोथ पर भी ध्यान बना हुआ है। सरकारी कंपनियां अपनी विकास योजनाओं पर 3.5 लाख करोड़ रूपए निवेश करने की तैयारी में हैं।
PSU कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने से परहेज नहीं
सरकार के विनिवेश रोडमैप पर बात करते हुए तुहिन ने बताया कि PSU कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने से परहेज नहीं है। सरकार किसी भी PSU सेक्टर को रिजर्व नहीं रखेगी। लेकिन इस समय लैंड मोनेटाइजेशन पर फोकस ज्यादा होगा। CPSEs से 63749 करोड़ रुपए का डिविडेंड मिला है। इस साल IDBI बैंक और NMDC स्टील में विनिवेश संभव है।