ऐतिहासिक धरोहरों और परपंराओं से सजी संस्कृति की ये धारा यू ही बहती रहेगी क्योंकि जिंदगी की खूबसूरती इन्हीं से है। कल और आज के बीच जगमगाते ये पर्व-त्योहार ना सिर्फ जिंदगी में रंग भरते हैं बल्कि हमारा परिचय अतीत से कराते हैं और उस कल की नींव रखते हैं,जहां भविष्य में हमें जाना है। दिवाली भी उसी भारतीय संस्कृति को रोशन करने वाला महोत्सव है। यही वजह है कि दीपोत्सव पर घर-आंगन से लेकर बाजार तक उत्सव का माहौल है। मुहल्ले भर की दीवारें रंग-रोगन से निखरी हुई हैं। दीए और कंदील शुभ-लाभ के आगमन के लिए पलके बिछाए हुए हैं। यहीं से तो खुशियों की सौगात आएगी। गिफ्ट हैम्पर खुलेंगे और जश्न मनेगा।
