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Experts views : बाजार में एक पुलबैक की उम्मीद, उछाल में बिकवाली की रणनीति करेगी काम

गुरुवार को सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट का सिलसिला जारी रहा और लगातार छठे कारोबारी सत्र में गिरावट देखने को मिली। एचडीएफसी बैंक, रिलायंस और बड़े आईटी शेयरों में बढ़त के कारण शुरुआत तेजी के साथ हुई थी। लेकिन ग्लोब दबाव और लगातार विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण दोनों इंडेक्सों ने अपना रुख बदल दिया

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 14, 2024 पर 7:22 PM
Experts views : बाजार में एक पुलबैक की उम्मीद, उछाल में बिकवाली की रणनीति करेगी काम
जतिन गेडिया का कहना है कि डेली चार्ट पर निफ्टी 200-डे मूविंग एवरेज (23556) के आसपास कारोबार कर रहा है। यह अपने अहम सपोर्ट स्तर पर नजर आ रहा है

14 नवंबर को भारतीय इक्विटी इंडेक्स लगातार छठे कारोबारी सत्र में गिरावट के साथ बंद हुए और निफ्टी 23,550 के नीचे आ गया। कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स 110.64 अंक या 0.14 फीसदी की गिरावट के साथ 77,580.31 पर और निफ्टी 26.30 अंक या 0.11 फीसदी की गिरावट के साथ 23,532.70 पर बंद हुआ। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के विनोद नायर का कहना है कि आज घरेलू बाजार में सुस्त कारोबार देखने को मिला, लेकिन दिन के निचले स्तर से कुछ मजबूती देखने को मिली। लेकिन एफआईआई लगातार बिकवाली कर रहे हैं। इससे चिंता बनी हुई है। लेकिन अच्छी बात यह है कि बिकवाली की मात्रा कम हो रही है। एशियाई बाजारों में भी मिलेजुले सेंटीमेंट देखने को मिल रहे हैं। निवेशक इस समय अमेरिकी नीतियों में संभावित बदलाव के नफे और नुकसान का अंदाजा लगा रहे हैं।

पीएल कैपिटल- प्रभुदास लीलाधर के प्रमुख सलाहकार विक्रम कसाट ने कहा कि गुरुवार को सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट का सिलसिला जारी रहा और लगातार छठे कारोबारी सत्र में गिरावट देखने को मिली। एचडीएफसी बैंक, रिलायंस और बड़े आईटी शेयरों में बढ़त के कारण शुरुआत तेजी के साथ हुई थी। लेकिन ग्लोब दबाव और लगातार विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण दोनों इंडेक्सों ने अपना रुख बदल दिया।

106.61 के स्तर पर दिख रहे मजबूत डॉलर इंडेक्स और 4.48 पर नजर आ रहे अमेरिका के 10-ईयर बांड यील्ड पर नजरें बनी हुई है। इन्होंने भारतीय इक्विटी बाजार के लिए स्थितियां प्रतिकूल बना दी हैं। डॉलर के मुकाबले रुपए के 84.40 के ऐतिहासिक लो तक गिर जाने से हालात और खराब हो गए हैं।

लंबे समय तक मानसून के प्रभाव से खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण महंगाई से जुड़ी चिंताए गंभीर बनी हुई हैं। महंगाई के दबावों के बीच दरों को स्थिर रखने के आरबीआई के फैसले और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने बाजार को सपोर्ट बनाए रखा। लेकिन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) द्वारा की जा रही लगातार बिकवाली ने सेंटीमेंट कमजोर कर दिया है।

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