दुनियाभर के मार्केट्स की नजरें फेडरल रिजर्व के फैसले पर लगी हैं। आज (18 दिसंबर) अमेरिकी केंद्रीय बैंक दिसंबर की अपनी मॉनेटरी पॉलिसी का ऐलान करेगा। मार्केट्स को भरोसा है कि फेड इंटरेस्ट रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कमी करेगा। ऐसे में ज्यादा फोकस 2025 को लेकर फेड की स्ट्रेटेजी पर है। फेडरल रिजर्व को अगले साल इकोनॉमिक ग्रोथ के साथ ही इनफ्लेशन का खास ध्यान रखना होगा। खासकर ऐसे वक्त जब अमेरिका में सरकार बदलने जा रही है। 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बन जाएंगे।
ट्रंप (Donald Trump) लगातार इंपोर्ट पर टैरिफ बढ़ाने की बात कर रहे हैं। टैरिफ बढ़ने से इनफ्लेशन बढ़ सकता है। इससे इनफ्लेशन को कंट्रोल में करने की फेड की कोशिशों को झटका लगेगा। ऐसे में फेड के लिए चुनौती बढ़ जाएगी। इस बीच, अमेरिकी इकोनॉमी में स्ट्रेंथ देखने को मिला है। लेबर मार्केट में भी हालात बेहतर हैं। लेकिन, टैरिफ बढ़ने से हालात बदल सकते हैं। ऐसे में फेडरल 2025 में इंटरेस्ट रेट घटाने में सुस्ती बरत सकता है। सितंबर में उसने अगले साल इंटरेस्ट रेट में चार बार कमी होने का अनुमान जताया था। लेकिन, अब ऐसा होने की उम्मीद कम है। इसलिए स्टॉक मार्केट्स के लिए भी अगले कुछ महीने काफी अहम होंगे। इनवेस्टर्स को मार्केट में सावधानी बरतने की जरूरत है।
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एचडीएफसी बैंक का स्टॉक 17 दिसंबर को 2 फीसदी गिरकर 1,829.90 रुपये पर बंद हुआ। शेयरों में गिरावट की वजह सेबी की एक चेतावनी है। मार्केट रेगुलेटर ने HDFC Bank को एक एडमिनिस्ट्रेटिव वार्निंग लेटर इश्यू किया है। इसमें बैंक पर सेबी के लिस्टिंग के नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया है। यह मसला अरविंग कपिल के इस्तीफे से जुड़ा है, जो बैंक में एक सीनियर मैनेजमेंट एग्जिक्यूटिव रह चुके हैं। बुल्स का कहना है कि इस बारे में आम राय है कि एचडीएफसी के विलय के बाद एचडीएफसी बैंक ग्रोथ के रास्ते पर बढ़ रहा है। ब्रोकरेज फर्म Bernstein का कहना है कि एचडीएफसी बैंक काफी स्ट्रॉन्ग बैंक है। ऐसे में किसी मुश्किल का सामना करने के लिहाज से यह प्रतिद्वंद्बी बैंकों के मुकाबले अच्छी स्थिति में है। हालांकि, क्रेडिट ग्रोथ में सुस्ती का असर CD रेशियो पर पड़ सकता है।
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