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US Fed Rate cut : फेड की ब्याज दर में कटौती के बावजूद भारत में FII खरीदारी बढ़ने की उम्मीद नहीं -एक्सपर्ट्स

US Fed Rate cut : भारत अपने लॉन्ग टर्म वैल्यूएशन एवरेज से ऊपर कारोबार कर रहा है और दूसरे उभरते बाजारों की तुलना में काफी महंगा नजर आ रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि फेड की ब्याज दर में कटौती के बावजूद भारत में FII खरीदारी बढ़ने की उम्मीद नहीं है

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 18, 2025 पर 8:34 AM
US Fed Rate cut : फेड की ब्याज दर में कटौती के बावजूद भारत में FII खरीदारी बढ़ने की उम्मीद नहीं -एक्सपर्ट्स
Fed Rate cut : अर्निंग के फ्रंट पर भी भारत दूसरे उभरते बाजारों की तुलन में पीछे है। एलारा कैपिटल के विश्लेषकों ने बताया कि डॉलर के लिहाज से, निफ्टी EPS की ग्रोथ रेट दर सालाना आधार पर सिर्फ़ 4 फीसदी रही

US Fed Rate cut : अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 2025 में पहली बार ब्याज दर में कटौती करने से उभरते बाजारों के सेंटीमेंट में सुधार होने की उम्मीद है। लेकिन भारत अभी भी इस मामले में पीछे नजर आ रहा है,क्योंकि विदेशी निवेशक महंगे वैल्यूएशन और धीमी अर्निंग ग्रोथ को लेकर सतर्क बने हुए हैं। सितंबर में फेडरल रिजर्व द्वारा साल में की गई 25 बेसिस प्वाइंट की पहली ब्याज दर कटौती के बाद भी भारत में विदेशी निवेशकों की खरीदारी में तुरंत किसी बढ़त की उम्मीद नहीं है।

फेड का यह कदम नीतियों में नरमी के चक्र की शुरुआत का संकेत है। आमतौर पर नीतियों में नरमी से उभरते बाजारों के सेंटीमेंट में सुधार होता है। लेकिन एनालिस्ट्स का मानना ​​है कि महंगे वैल्यूएशन की वजह से ग्लोबल निवेशक भारत की जगह दूसरे बाजारों की ओर रुख कर सकते हैं। जिससे चलते अमेरिका में दर कटौती का भारत को तत्काल कोई फायदा मिलता नहीं नजर आ रहा है।

मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा का कहना है कि भारत के महंगे वैल्यूएशन और सिंगल डिजिट कमजोर अर्निंग ग्रोथ के कारण विदेशी निवेशक हमारे बाजारों कम रुचि दिखा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि मजबूत अर्निंग ग्रोथ और टेक्निकल एवं ऑर्टिफिसियल इंटेलीजेंस के प्रति निवेशकों के उत्साह के कारण दक्षिण कोरिया और चीन के बाजार में विदेशी निवेशकों की रुचि ज्यादा है। खासकर अगर ट्रेड टैरिफ में ढील दी जाती है तो, फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती से साल के अंत तक संटीमेंट में बदलाव आना शुरू हो सकता है।

मार्केट एक्सपर्ट अंबरीश बालिगा बाजार के मिड टर्म आउटलुक को लेकर ज़्यादा आशावादी हैं। उन्होंने कहा,"विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) भारत को लंबे समय तक नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी है, जबकि अमेरिका में यह 3.3 फीसदी और चीन में 4 फीसदी है।" उन्होंने आगे कहा, "एक बार टैरिफ़ की अनिश्चितता दूर हो जाए और व्यापार वार्ता आगे बढ़ जाए,तो विदेशी निवेश फिर से शुरू हो जाना चाहिए।"

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