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FIIs ने पांच सत्रों में 2 अरब डॉलर के भारतीय इक्विटी खरीदी, टैरिफ पर रोक लगने से इंडियन मार्केट में लौटे विदेशी निवेशक

इस महीने 9 अप्रैल को जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन को छोड़कर सभी देशों के लिए टैरिफ के अस्थायी निलंबन की घोषणा की थी तब से भारतीय बाजारों की रौनक लौटती नजर आई। उसके बाद से भारत के बेंचमार्क इंडेक्सेस में उछाल आया है। इसके बाद से सेंसेक्स और निफ्टी करीब 9-10% के बीच बढ़े हैं। जबकि बीएसई मिड और स्मॉलकैप इंडेक्सेस में 11% से अधिक की वृद्धि हुई है

Edited By: Sunil Guptaअपडेटेड Apr 23, 2025 पर 11:26 AM
FIIs ने पांच सत्रों में 2 अरब डॉलर के भारतीय इक्विटी खरीदी, टैरिफ पर रोक लगने से इंडियन मार्केट में लौटे विदेशी निवेशक
अक्टूबर 2024 और मार्च 2025 के बीच, विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में 2.33 लाख करोड़ रुपये से अधिक की शुद्ध बिकवाली की थी

अक्टूबर 2024 से लगातार बिकवाली के बाद, विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) अब शुद्ध खरीदार बन गए हैं। पिछले पांच कारोबारी सत्रों में उन्होंने भारतीय इक्विटी में 2 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है। एनएसडीएल के आंकड़ों से पता चला है कि FIIs ने 15 से 21 अप्रैल के बीच 1.9 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया। एनएसई के प्रोविजनल आंकड़ों से 22 अप्रैल को 1,290 करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश का संकेत मिलता है। हाल ही में हुई यह खरीदारी हाल के महीनों से एक उल्लेखनीय बदलाव को दर्शाती है। जब FIIs भारतीय इक्विटी में ज्यादातर विक्रेता की भूमिका में थे। पिछली बार FIIs ने किसी एक महीने का अंत खरीदार के रूप में दिसंबर में किया था। जब उन्होंने 1.8 अरब डॉलर से थोड़ा अधिक की शुद्ध खरीदारी की थी। चालू महीने में अब तक, FIIs ने लगभग 2 अरब डॉलर की शुद्ध बिकवाली की है।

20-27 मार्च के बीच 3.6 अरब डॉलर का किया था निवेश

हालांकि, मार्च के आखिर में भी इसी तरह की खरीदारी देखने को मिली थी, जब एफआईआई ने 20-27 मार्च के बीच 3.6 अरब डॉलर के शुद्ध खरीदार बने थे। उस समय ऐसा शॉर्ट कवरिंग के कारण हुआ था। लेकिन उसके तुरंत बाद फिर से बिकवाली शुरू हो गई। बाजार से जुड़े लोग अब बारीकी से देख रहे हैं कि क्या मौजूदा मोमेंटम बरकरार रहता है।

कई विश्लेषक फंड फ्लो में हालिया बदलाव का श्रेय व्यापक वैश्विक मैक्रोइकॉनोमिक रुझानों को दे रहे हैं। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार तनाव ने निवेशकों को उन सेक्टर्स में नई पूंजी लगाने के बारे में सतर्क कर दिया है, जिससे यूरोपीय बाजारों, उभरती अर्थव्यवस्थाओं और कीमती धातुओं जैसी सुरक्षित-पनाह वाली संपत्तियों की ओर फिर से निवेश को बढ़ावा मिला है।

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