वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार बड़े और विश्वस्तरीय बैंक बनाने के लिए आरबीआई और बैंकिंग सेक्टर के प्रतिनिधियों से बातचीत कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी बैंकों के कंसॉलिडेशन पर काम चल रहा है। सरकार कई छोटे पीएसयू बैंकों का विलय कुछ बड़े सरकारी बैंकों में करना चाहती है। इससे सरकारी बैंकों की संख्या कम हो जाएगी। लेकिन, बैंकों का आकार बढ़ जाएगा।
बड़े सरकारी बैंक बनाने के बारे में आरबीआई से हो रही बातचीत
Nirmala Sitharaman ने बड़े बैंक बनाने के बारे में कहा, "सरकार को इस बारे में बैंकों के साथ बातचीत कर यह समझना होगा कि वे किस तरह इस काम का पूरा करना चाहते हैं। हम इस बारे में आरबीआई से भी बातचीत कर रहे हैं। हम जानना चाहते हैं कि बड़े बैंक बनाने के बारे में आरबीआई की क्या सोच है।"
बड़े पीएसयू बैंक में छोटे पीएसयू बैंकों के विलय की प्रक्रिया शुरू
उन्होंने कहा, "यह कहने से पहले कि मैंने इस बारे में फैसला ले लिया है, मुझे काफी काम करने होंगे। और यह काम शुरू हो चुका है।" उन्होंने 6 नवंबर को मुंबई में 12वें एसबीआई बैंकिंग एंड इकोनॉमिक कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। वित्तमंत्री के इस बयान को काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि पहले से ही सरकारी बैंकों के कंसॉलिडेशन को लेकर चर्चा गर्म है।
सरकार कई छोटे पीएसयू बैंकों की जगह कुछ बड़े बैंक चाहती है
मनीकंट्रोल ने 15 अक्तूबर को खबर दी थी कि सरकार पीएसयू बैकों का अगले चरण का कंसॉलिडेशन शुरू करना चाहती है। सरकार इस बारे में एक बड़े प्लान पर काम कर रही है। इसमें कुछ छोटे पीएसयू बैंकों का कुछ बड़े पीएसयू बैंकों में विलय करने का प्रस्ताव है। सरकार कई बैंकों की जगह कुछ बड़े सरकारी बैंक चाहती है।
इन छोटे सरकारी बैंकों के विलय का सरकार का प्लान
सरकार का मानना है कि बैंकों का आकार बढ़ने से वे इंडस्ट्री की पूंजी की जरूरत पूरी कर सकेंगे। इससे फाइनेंशियल सेक्टर में रिफॉर्म्स को भी मजबूती मिलेगी। इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र का विलय पीएनबी, बैंक ऑफ बड़ौदा और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे बड़े बैंकों में किया जा सकता है।
पीएसयू बैंकों ने मिनिमम शेयरहोल्डिंग के नियम पर बढ़ाया फोकस
पीएसयू बैंकों को अभी इस बारे में सरकारी की तरफ से कोई औपचारिक जानकारी नहीं मिली है। मनीकंट्रोल ने 24 अक्तूबर को खबर दी थी कि ज्यादातर सरकारी बैंक मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियमों के पालन को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके लिए उन्हें सरकार की हिस्सेदारी में कमी लानी होगी। सेबी के नियम के मुताबिक, बैंकों को मिनिमम शेयरहोल्डिंग के नियमों का पालन करना जरूरी है।