मामाअर्थ (Mamaearth) की पैरेंट कंपनी होनासा कंज्यूमर (Honasa Consumer) में फायरसाइड वेंचर्स ने अपनी हिस्सेदारी बेचकर 4500 फीसदी मुनाफा कमाया है। IPO के ड्राफ्ट के मुताबिक फायरसाइड वेंचर्स ने मामाअर्थ के शेयर 7.33 रुपये के भाव पर खरीदे थे। आईपीओ जब आया था तो फायरसाइड वेंचर्स ने इसके तहत ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए 324 रुपये के भाव पर 79.7 लाख शेयर बेचे थे। इसके बाद अब आज इसने संभवतः ब्लॉक डील के जरिए 352 रुपये के औसत भाव पर 62.9 लाख शेयरों की बिक्री है। इस बिकवाली के बाद अब वेंचर कैपिटल फर्म की मामाअर्थ में 5.5 फीसदी हिस्सेदारी है यानी इसके पास 1.81 करोड़ से अधिक शेयर हैं।
Mamaearth में अभी और ब्लॉक डील के हैं आसार?
फायरसाइड ने मामाअर्थ के शेयरों को बेचकर तगड़ा मुनाफा कमाया है। अब ऐसे में सवाल है कि क्या इसमें अभी और ब्लॉक डील हो सकती है? बाजार नियामक सेबी के नियमों के मुताबिक लिस्टिंग के बाद कुछ समय तक भारी ब्लॉक डील की संभावना नहीं है। लेकिन फिर फायरसाइड ने शेयर बेचा कैसा? इसका जवाब है कि SEBI ICDR Regulations के रेगुलेशन 17 के मुताबिक कैटेगरी 1 के अल्टरनेट इनवेस्टमेंट फंड्स (AIFs) को छह महीने के लॉक-इन पीरियड से छूट मिली हुई है जिनके पास प्री-ऑफर शेयर कैपिटल का 20 फीसदी से कम हिस्सा है। फायरसाइड वेंचर्स फंड और स्टेलरिस वेंचर्स पार्टनर्स इसी कैटेगरी के तहत हैं। आज की बिक्री को छोड़ दें तो दोनों की मिलाकर मामाअर्थ की पैरेंट कंपनी में 13.3 फीसदी हिस्सेदारी है।
नुवामा अल्टरनेटिव एंड क्वांटिटेटिव रिसर्च के हेड अभिलाष पगारिया के मुताबिक इसका शेयरों अधिक असर पड़ सकता है क्योंकि प्रमुख होल्डर्स के ऊपर लॉक-इन नहीं लगेगा। इसके अलावा एंप्लॉयीज कोटे के शेयरों पर भी कोई लॉक-इन नहीं है। वहीं प्रमोटर्स की बात करें तो उनके उनके लिए 18 महीने का लॉक-इन पीरियड है। इसके अलावा सिकोईया कैपिटल, सोफिना वेंचर्स और SCI Investments या Peak XV Partners पर 6 महीने का लॉक इन है।
Mamaearth की कैसी है वित्तीय सेहत
सितंबर तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट दोगुना होकर 30 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वहीं रेवेन्यू सालाना आधार पर 21 फीसदी उछल गया और वॉल्यूम ग्रोथ 27 फीसदी रही। रिजल्ट के बाद ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने 530 रुपये पर टारगेट प्राइस फिक्स किया था। जेफरीज के मुताबिक अगले तीन साल में होनासा 27 फीसदी की दर से बढ़ेगी। हालांकि इसमें निवेश के लिए अहम रिस्क की बात करें तो भारी कॉम्पटीशन, एग्रेसिव M&A और नए ब्रांड्स की तेजी से जुड़े रिस्क हैं।
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