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इंडियन स्टॉक्स मार्केट्स में बड़ी बिकवाली कर सकते हैं विदेशी निवेशक, सितंबर में बीते छह महीनों में सबसे बड़ी बिकवाली

सितंबर में विदेशी निवेशकों ने इंडियन मार्केट में करीब 2.9 अरब डॉलर के शेयर बेचे। यह बीते छह महीनों में FIIs की सबसे बड़ी बिकवाली है। इससे पहले अप्रैल से उन्होंने इंडियन मार्केट्स में 17 अरब डॉलर निवेश किया था। अक्टूबर में FIIs इंडियन मार्केट में करीब 50 करोड़ डॉलर की बिकवाली कर चुके हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 12, 2023 पर 2:37 PM
इंडियन स्टॉक्स मार्केट्स में बड़ी बिकवाली कर सकते हैं विदेशी निवेशक, सितंबर में बीते छह महीनों में सबसे बड़ी बिकवाली
ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर ने हाल में इंडियन मार्केट्स को लेकर सावधान किया है। उसने कहा है कि फसलों पर अल-नीनो का असर पड़ता दिख रहा है। इनफ्लेशन अब भी RBI के टारगेट से ज्यादा है। इंटरेस्ट रेट में कमी की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं दिख रही। लोकसभा चुनाव अगले साल होने वाले हैं। इसका असर भी बाजार पर दिखेगा।

कई एनालिस्ट्स का मानना है कि क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों और इजराइल-हमास में लड़ाई का असर इंडिया में विदेशी निवेशकों (FIIs) के निवेश पर पड़ सकता है। इतना ही नहीं, क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल से इंपोर्ट कॉस्ट बढ़ेगी, जिसका असर फिस्कल और करेंट अकाउंट बैलेंस पर पड़ेगा। सितंबर में विदेशी निवेशकों ने इंडियन मार्केट में करीब 2.9 अरब डॉलर के शेयर बेचे। यह बीते छह महीनों में FIIs की सबसे बड़ी बिकवाली है। इससे पहले अप्रैल से उन्होंने इंडियन मार्केट्स में 17 अरब डॉलर निवेश किया था। अक्टूबर में FIIs इंडियन मार्केट में करीब 50 करोड़ डॉलर की बिकवाली कर चुके हैं। एनालिस्ट्स का कहना है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व इंटरेस्ट रेट और एक बार बढ़ा सकता है। ऐसा होने पर डॉलर और मजबूत होगा। उधर, अमेरिका में 10 साल के बॉन्ड्स की यील्ड पहले ही 2007 के बाद सबसे हाई लेवल पर पहुंच गईं हैं। इसकी वजह इंटरेस्ट रेट का लंबे समय तक हाई लेवल पर बने रहने का अनुमान है।

अमेरिकी इकोनॉमी में बेहतर हो रहे हालात

उधर, अमेरिका में इकोनॉमी से जुड़ी तस्वीर बेहतर दिख रही है। इससे रिसेशन का खतरा घटा है। जॉब मार्केट्स स्ट्रॉन्ग बना हुआ है। सितंबर में बेरोजगारी दर 3.8 फीसदी पर स्थिर बनी रही। इस बीच, 3,36,000 नॉन-फॉर्म जॉब्स के मौके बने। अमेरिका में दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 2.1 फीसदी रही है। सर्विस सेक्टर में भी एक्टिविटी बढ़ी है। इससे उम्मीद बंधी है कि फेडरल रिजर्व धीरे-धीरे अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में नरी लाएगा। अमेरिका में इनफ्लेशन में भी नरमी आई है। कोर पीसीई इंडेक्स सिर्फ 0.1 फीसदी बढ़ा है।

क्रूड की कीमतों ने बढ़ाई चुनौती

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