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FPI की होने लगी वापसी! बीते सप्ताह भारतीय शेयरों में लगाए ₹8500 करोड़; किन वजहों से बदला सेंटिमेंट

FPI Investment in Indian Equities: अप्रैल महीने के शुरुआती हिस्से में FPI ने आक्रामक तरीके से बिकवाली की थी। यह मुख्य रूप से अमेरिका के ​रेसिप्रोकल टैरिफ की वजह से थी। कुल मिलाकर FPI ने अप्रैल में अब तक शेयरों से 23,103 करोड़ रुपये निकाले हैं

अपडेटेड Apr 20, 2025 पर 1:42 PM
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साल 2025 में अभी तक FPI की कुल निकासी 1.4 लाख करोड़ रुपये हो गई है।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले सप्ताह भारतीय शेयर बाजारों में वापसी की। उन्होंने करीब 8,500 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। अप्रैल महीने की शुरुआत में FPI ने घरेलू बाजार में बिकवाली की थी। लेकिन अब वैश्विक व्यापार के मोर्चे पर कुछ राहत की उम्मीद और मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था से निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, कम कारोबारी सत्रों वाले 18 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह के दौरान FPI ने शेयरों में शुद्ध रूप से 8,472 करोड़ रुपये का निवेश किया। 15 अप्रैल को उन्होंने 2,352 करोड़ रुपये की शेयर बिक्री की। इसके बाद 16 और 17 अप्रैल को उन्होंने 10,824 करोड़ रुपये का निवेश किया। शेयर बाजार में 14 अप्रैल को डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर जयंती और 18 अप्रैल को गुड फ्राइडे के चलते छुट्टी रही।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि FPI गतिविधियों में हालिया तेजी से सेंटिमेंट में संभावित बदलाव का संकेत मिलता है। लेकिन इस फ्लो की स्थिरता ग्लोबल मैक्रोइकोनॉमिक कंडीशंस, यूएस ट्रेड पॉलिसी में स्थिरता और भारत के डॉमेस्टिक ग्रोथ आउटलुक पर निर्भर करेगी।

अप्रैल में अब तक 23,103 करोड़ रुपये निकाले


कुल मिलाकर FPI ने अप्रैल में अब तक शेयरों से 23,103 करोड़ रुपये निकाले हैं। इससे साल 2025 में अभी तक उनकी कुल निकासी 1.4 लाख करोड़ रुपये हो गई है। इस साल मार्च में FPI ने शेयरों से 3,973 करोड़ रुपये निकाले थे। फरवरी में उनकी बिक्री 34,574 करोड़ रुपये की रही थी। वहीं जनवरी में उन्होंने 78,027 करोड़ रुपये की शेयर बिक्री की थी।

श्रीवास्तव के मुताबिक, महीने के शुरुआती हिस्से में FPI ने आक्रामक तरीके से बिकवाली की थी। यह मुख्य रूप से अमेरिका के ​रेसिप्रोकल टैरिफ की वजह से थी। श्रीवास्तव का कहना है कि भारत की मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था, वैश्विक व्यापार में व्यवधानों से कुछ राहत और भारतीय शेयर बाजारों में हालिया करेक्शन की वजह से आकर्षक वैल्यूएशन के चलते FPI के सेंटिमेंट में सुधार हुआ है।

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डॉलर में कमजोरी के चलते भी उभरते बाजारों की ओर मुड़े FPI

जियोजीत इनवेस्टमेंट के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार का कहना है कि सबसे पहले डॉलर इंडेक्स में 100 के स्तर तक की गिरावट और डॉलर में और कमजोरी की वजह से FPI अमेरिका से हटकर भारत जैसे उभरते बाजारों का रुख कर रहे हैं। इसके अलावा इस साल अमेरिका और चीन दोनों देशों की ग्रोथ धीमी रहने की संभावना है, जबकि भारत में प्रतिकूल वैश्विक माहौल के बावजूद वित्त वर्ष 2025-26 में वृद्धि दर 6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि ग्रोथ के मोर्चे पर भारत का बेहतर प्रदर्शन शेयर बाजारों के लिए भी अच्छा रहेगा।

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