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भारतीय बाजारों में FPI की और बढ़ी दिलचस्पी, सितंबर में शेयरों में अब तक ₹33700 करोड़ लगाए

FPI Investment in September: जून से FPI लगातार बायर बने हुए हैं। इससे पहले, अप्रैल-मई में उन्होंने शेयरों से 34,252 करोड़ रुपये की राशि निकाली थी। इस साल अब तक शेयरों में FPI का निवेश 76,572 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। अगस्त में उन्होंने घरेलू शेयर बाजार में 7,320 करोड़ रुपये, जुलाई में 32,365 करोड़ रुपये और जून में 26,565 करोड़ रुपये का निवेश किया था

अपडेटेड Sep 22, 2024 पर 1:46 PM
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अनुमान है कि आने वाले दिनों में FPI की ओर से खरीद का सिलसिला जारी रहेगा।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने सितंबर महीने में अब तक भारतीय शेयर बाजारों में करीब 33,700 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसकी मुख्य वजह अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती और भारतीय बाजार की मजबूती है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि यह इस साल अब तक किसी एक महीने में भारतीय शेयरों में FPI के निवेश का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। इससे पहले मार्च में FPI ने शेयर बाजार में 35,100 करोड़ रुपये का निवेश किया था।

अनुमान है कि आने वाले दिनों में FPI की ओर से खरीद का सिलसिला जारी रहेगा। 18 सितंबर को फेडरल रिजर्व ने प्रमुख ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती कर दी। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने 20 सितंबर तक शेयरों में शुद्ध रूप से 33,691 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके साथ ही इस साल अब तक शेयरों में उनका निवेश 76,572 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।

FPI को लुभाने में और कौन से फैक्टर निभा रहे रोल


न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, रिसर्च एनालिस्ट फर्म GoalFi के स्मॉलकेस मैनेजर, फाउंडर और सीईओ रॉबिन आर्य का कहना है कि अमेरिकी डॉलर में कमजोरी और फेडरल रिजर्व के रुख से भारतीय शेयर बाजार FPI के लिए आकर्षक बने हुए हैं। बीडीओ इंडिया के पार्टनर और लीडर, FS Tax, टैक्स और रेगुलेटरी सर्विसेज मनोज पुरोहित ने कहा कि इसके अलावा संतुलित राजकोषीय घाटा, दर कटौती के भारतीय मुद्रा पर प्रभाव, मजबूत वैल्यूएशंस और भारतीय रिजर्व बैंक के महंगाई पर नियंत्रण क रुख की वजह से भारत जैसे उभरते बाजार FPI के लिए आकर्षक बने हुए हैं। इस साल आए आईपीओ को लेकर भी विदेशी कोषों का रुख सकारात्मक है।

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बॉन्ड बाजार में कितना बढ़ाया निवेश

सितंबर महीने में अब तक FPI ने वॉलंटरी रिटेंशन रूट (VRR) के माध्यम से डेट या बॉन्ड बाजार में 7,361 करोड़ रुपये डाले हैं। साथ ही फुली एक्सेसेबल रूट (FAR) के तहत 19,601 करोड़ रुपये डाले हैं। VRR लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट को प्रोत्साहित करता है, जबकि FAR विदेशी निवेशकों के लिए लिक्विडिटी और एक्सेस को बढ़ाता है।

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