Gensol Engineering Update: नियामकीय दबाव से जूझ रही जेनसॉल इंजीनियरिंग में इस्तीफों का दौर अब भी जारी है। अब इसके दो स्वतंत्र निदेशकों हर्ष सिंह और कुलजीत सिंह पोपली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इनका कहना है कि हाल ही में जो भी चीजें हुई हैं, उससे उन्हें अत्यंत दुख हुआ और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें इतनी कठिन परिस्थितियों में इस्तीफा देना पड़ा। उनका यह कदम प्रमोटर्स अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी के पद छोड़ने की पेशकश के अगले दिन आया है। प्रमोटर्स की यह पेशकश भी ऐसे समय में आई है, जब बाजार नियामक सेबी ने गंभीर वित्तीय गड़बड़ियों का हवाला देते हुए प्रमोटर्स को सिक्योरिटीज मार्केट से प्रतिबंधित कर दिया है।
सेबी ने क्यों किया Gensol Engineering पर स्ट्राइक?
सेबी के अंतरिम आदेश के मुताबिक रिन्यूएबल एनर्जी और इलेक्ट्रिक वीईकल (EV) कंपनी जेनसॉल इंजीनियरिंग में कॉरपोरेट गवर्नेंस पूरी तरह फेल हो चुका है। सेबी ने प्रमोटर्स पर आरोप लगाया कि उन्होंने घरेलू स्टॉक मार्केट में लिस्टेड कंपनी को 'निजी खजाना' मानकर इस्तेमाल किया और कंपनी के पैसे का दुरुपयोग किया। सेबी का कहना है कि प्रमोटर्स ने कंपनी के पैसों से गुरुग्राम के DLF कैमेलियास में एक लग्जरी अपार्टमेंट और ₹26 लाख के गोल्फ सेट जैसी भव्य खरीदारी की।
यहां से शुरू हुई मामले की जांच
सेबी की जांच जून 2024 में एक शिकायत पर शुरू हुई थी जिसमें सामने आया कि जेनसॉल ने 6,400 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए IREDA और PFC से लिए गए 977.75 करोड़ रुपये के कर्ज का दुरुपयोग किया। इन पैसों से सिर्फ 4,704 गाड़ियों की खरीदारी हुई और बाकी 207 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का कोई हिसाब नहीं मिला। आरोप है कि ये पैसे प्रमोटर से जुड़ी कंपनियों जैसे कि गो-ऑटो और कैपब्रिज वेंचर्स में भेज दिए गए और कुछ पैसे व्यक्तिगत जरूरतों पर खर्च हुए। जेनसॉल इंजीनियरिंग ने कहा कि वह सेबी के आदेश पर किए जाने वाले फोरेंसिक ऑडिट में पूरा सहयोग करेगी। कंपनी और उससे जुड़ी संस्थाओं के खातों की गहन जांच के लिए सेबी एक फोरेंसिक ऑडिटर नियुक्त करेगा।