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शॉर्ट कॉल : अब म्यूचुअल फंड्स में भी अमीर निवेशक कर रहे हैं ट्रेडिंग, BSE के ऑपरेटिंग मार्जिन में जबर्दस्त उछाल

BSE का स्टॉक मार्च के आखिर से 32 फीसदी चढ़ चुका है। मार्च तिमाही के नतीजे उम्मीद जगा रहे हैं। स्टॉक एक्सचेंज के अपने खर्च में काफी करने की वजह से ग्रॉस ऑपरेटिंग मार्जिन में 49 फीसदी का उछाल आया है

MoneyControl Newsअपडेटेड May 12, 2023 पर 10:53 AM
शॉर्ट कॉल : अब म्यूचुअल फंड्स में भी अमीर निवेशक कर रहे हैं ट्रेडिंग, BSE के ऑपरेटिंग मार्जिन में जबर्दस्त उछाल
विदेश फंडों ने आक्रामक खरीदारी कर मार्केट में तेजी के ट्रेंड को सपोर्ट दिया।

अप्रैल में म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीमों में निवेश के डेटा ने निराश किया। लेकिन, स्थिति उतनी खराब नहीं है। सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए होने वाले निवेश का डेटा स्ट्रॉन्ग है। हालांकि, महीना दर महीना आधार पर इसमें करीब 500 करोड़ रुपये की कमी आई है। फंड मैनेजर्स का कहना है कि कई अमीर निवेशक (HNI) और रिटेल इनवेस्टर्स का एक वर्ग अब म्यूचुअल फंड्स खासकर इंडेक्स फंड और ईटीएफ में उसी तरह से ट्रेडिंग कर रहा है, जैसा वे स्टॉक में ट्रेडिंग करते हैं। अब उनके पास एक लॉन्ग टर्म MF पोर्टफोलियो है और एक स्मॉल टर्म पोर्टफोलियो है। वे बाजार की स्थितियों के मुताबिक, अपने फैसले लेते हैं।

जब मार्केट में गिरावट आती है तो ये एचएनआई अपने शॉर्ट टर्म पोर्टफोलियो को बढ़ाना शुरू कर देते हैं और अच्छी तेजी आने पर वे बेच देते हैं। यह पहले के ट्रेंड के उलट है, जब मार्केट में तेज गिरावट आने पर एकमुश्त निवेश बढ़ जाता था। यह अप्रैल में म्यूचुअल फंडों के बिकवाली करने और ज्यादा खरीदारी नहीं करने की एक वजह हो सकती है। इस दौरान विदेश फंडों ने आक्रामक खरीदारी कर मार्केट में तेजी के ट्रेंड को सपोर्ट दिया।

BSE ने किया सरप्राइज

यह स्टॉक मार्च के आखिर से 32 फीसदी चढ़ चुका है। मार्च तिमाही के नतीजे उम्मीद जगा रहे हैं। स्टॉक एक्सचेंज के अपने खर्च में काफी करने की वजह से ग्रॉस ऑपरेटिंग मार्जिन में 49 फीसदी का उछाल आया है। बीएसई के बॉस सुंदररमण राममूर्ति ने अप्रैल से डेरिवेटिव सेगमेंट में लिक्विड प्रोवाइ़डर्स के लिए इनसेंटिव प्रोग्राम को बंद कर दिया है। इससे आगे खर्च में और कमी देखने को मिलेगी। अब बीएसई के लिए बड़ा चैलेंज प्रॉफिट बढ़ाना होगा। पिछले दो सालों में रेवेन्यू करीब 50 फीसदी बढ़ा है। इसमें स्टॉक मार्केट्स में नए रिटेल इनवेस्टर्स की एंट्री का बड़ा हाथ है। लेकिन, अब स्थिति सामान्य होती दिख रही है। ब्रोकिंग फर्मों में नए डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट्स खुलने की रफ्तार सुस्त पड़ी है। म्यूचुअल फंड्स की इक्विटी स्कीमों में निवेश पर भी असर पड़ा है।

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