मार्केट रेगुलेटर SEBI ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लॉक कर दिया। ऐसा दावा किया जा रहा है कि SEBI ने अपना X अकाउंट लॉक कर दिया और अब उसके पोस्ट कोई भी यूजर नहीं देख सकता। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इस मुद्दे को सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उठाया। उन्होंने X पर SEBI के लॉक अकाउंट का एक स्क्रीनशॉट शेयर कर लिखा, "कोई सार्वजनिक संस्था ऐसा कैसे कर सकती है?"
SEBI के X अकाउंट पर अब कुछ इस तरह का मैसेज दिख रहा है
अकाउंट लॉक करने का क्या मतलब?
सिर्फ SEBI के चुनिंदा फॉलोअर्स ही X पर उसका पोस्ट देख सकते हैं। मतलब ये कि अब कोई भी फॉलोअर तब तक SEBI की पोस्ट नहीं देख पाएगा, जब तक SEBI उसकी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट नहीं करता या उसे परमिशन नहीं देता है।
नए यूजर्स को SEBI के X अकाउंट पर एक मैसेज दिख रहा है, जिसमें लिखा- ये पोस्ट सुरक्षित हैं। केवल अप्रूव्ड फॉलोअर्स ही @SEBI_India के पोस्ट देख सकते हैं। एक्सेस की रिक्वेस्ट करने के लिए, Follow पर क्लिक करें।
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया को भारत सरकार के एक प्रस्ताव के जरिए 12 अप्रैल, 1988 को एक गैर-वैधानिक निकाय के रूप में बनाया गया था। SEBI को साल 1992 में एक वैधानिक निकाय के रूप में मान्यता मिली और इसके प्रावधान भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (1992 का 15) 30 जनवरी 1992 को लागू हुआ।
आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, इसकी प्रस्तावना में SEBI के बुनियादी कामों के बारे में बताया गया है। इसमें कहा गया, "सिक्योरिटीज में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का रक्षा करना, सिक्योरिटीज मार्केट के विकास को बढ़ावा देना और उसे रेगुलेट करना और उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना।"
Hindenburg ने क्या आरोप लगाए?
दरअसल अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने शनिवार को SEBI सेबी की प्रमुख माधवी बुच के खिलाफ एक नया हमला किया। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति के पास कथित अदाणी 'धन हेराफेरी घोटाले' में इस्तेमाल किए गए ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी।
हिंडनबर्ग ने अदाणी पर अपनी पिछली रिपोर्ट के 18 महीने बाद एक ब्लॉगपोस्ट में आरोप लगाया, “सेबी ने अदाणी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल संस्थाओं के कथित अघोषित जाल में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है।”
शॉर्ट-सेलर ने “व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों” का हवाला देते हुए कहा, “सेबी की वर्तमान प्रमुख माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Butch) और उनके पति के पास अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी।”