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घटती मांग और मंदी की आशंका के चलते कंज्यूमर ड्युरेबल्स शेयरों में गिरावट, जानिए आगे कैसी रह सकती है इनकी चाल

ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण अनसिक्योर्ड लोन पर निर्भर करने वाले कंज्यूमरों के सेंटिमेंट पर निगेटिव असर पड़ सकता है। क्योंकि कंज्यूमर इस तरह के प्रोडक्ट की खरीद के लिए अनसिक्योर्ड लोन का इस्तेमाल करते हैं

अपडेटेड Jun 20, 2022 पर 4:36 PM
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पिछले 15 कारोबारी सत्रों में बीएसई का कंज्यूमर ड्युरेबल इंडेक्स 11 फीसदी से ज्यादा टूटा है। इन 15 में से 12 कारोबारी सत्रों में से यह इंडेक्स लाल निशान में बंद हुआ है

कर्ज लागत में बढ़ोतरी और प्रोडक्ट की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते मांग में आ सकने वाली गिरावट की आशंका के चलते भारतीय बाजार में कंज्यूमर ड्युरेबल शेयरों की पिटाई होती नजर आई है। कंज्यूमर ड्युरेबल कंपनियां पहले से ही उत्पादन लागत में बढ़ोतरी की समस्या से जूझ रही हैं।

पिछले 15 कारोबारी सत्रों में बीएसई का कंज्यूमर ड्युरेबल इंडेक्स 11 फीसदी से ज्यादा टूटा है। इन 15 में से 12 कारोबारी सत्रों में से यह इंडेक्स लाल निशान में बंद हुआ है।

जून महीने के शुरुआत से अब तक Amber Enterprises India 21 फीसदी टूटा है। वहीं Aditya Birla Fashion 16 फीसदी गिरा है। जबकि Titan में 14 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं Whirlpool Of India 13 फीसदी , Dixon Technologies 13 फीसदी, Havells India 12 फीसदी , Blue Star 10 फीसदी, Voltas 8.5 फीसदी, Bajaj Electricals 7 फीसदी और Crompton Greaves Consumer Electrical में 5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।


मार्केट एनालिस्ट का कहना है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी और कमोडिटी की कीमतों में तेजी कंज्यूमर ड्युरेबल सेक्टर पर बन रहे दबाव की अहम वजह है। जानकारों का कहना है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण अनसिक्योर्ड लोन पर निर्भर करने वाले कंज्यूमरों के सेंटिमेंट पर निगेटिव असर पड़ सकता है। क्योंकि कंज्यूमर इस तरह के प्रोडक्ट की खरीद के लिए अनसिक्योर्ड लोन का इस्तेमाल करते हैं।

मार्केट एनालिस्ट का यह भी कहना है कि कंपनियों द्वारा अपने प्रोडक्ट्स की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद मार्च तिमाही में मार्जिन पर दिखा दबाव जून और सितंबर तिमाही में भी कायम रह सकता है। एनालिस्ट का यह भी कहना है कि हालांकि कच्चे माल की कीमतों में पिछले कुछ हफ्तों के दौरान थोड़ी नरमी आई है लेकिन मार्जिन में मजबूती के लिए कच्चे माल की कीमतों में और कमी आने की जरुरत है।

Reliance Securities के मितुल शाह का कहना है कि हाल की गिरावट के बावजूद कमोडिटी की कीमतों के ऊंचे स्तर पर बने रहने की संभावना है। अमेरिका में मंदी का डर नजर आ रहा है। जिसके चलते भारत सहित पूरी दुनिया में खपत से जुड़े प्रोडक्ट्स को लेकर निवेशकों का सेंटिमेंट खराब हुआ है। इसके अलावा कच्चे तेल की ऊंची कीमतें, रुपये में कमजोरी कुछ ऐसी वजहें हैं जिनके चलते उत्पादकों की लागत में बढ़ोतरी आई है और कंपनियों के मुनाफे पर सीधा असर पड़ा है।

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Motilal Oswal के चंदन तापड़िया का कहना है कि हाल के प्राइस पैटर्न और कमजोर चार्ट सेटअप को देखते हुए लगता है कि कंज्यूमर ड्युरेबल इंडेक्स में अभी 5-7 फीसदी की गिरावट और देखने को मिल सकती है।

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