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वैश्विक मंदी के कारण भारतीय बाजार में आई गिरावट, घबराएं नहीं : मधु केला

विदेशी संस्थागत निवेशकों ने पिछले 8 महीनों के दौरान भारतीय इक्विटी बाजार में करीब 3.25 लाख करोड़ रुपए की बिकवाली की है। ये राशि लगभग उतनी है जितनी पिछले 10 साल में भारत में आई थी

अपडेटेड May 24, 2022 पर 7:40 PM
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मधु केला की रिटेल निवेशकों को सलाह है कि वे इस समय अपनी पूंजी बचा कर रखें और बाजार से हल्के रिटर्न की उम्मीद करें

MK Ventures के मधु केला ने 24 मई को CNBC-TV18 से हुई बातचीत में कहा कि दुनिया भर में बढ़ती महंगाई और इससे निपटने के लिए केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीतियों में आ रही कड़ाई के चलते विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय बाजारों से निकासी करते नजर आ रहे हैं। ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं हो रहा है।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने पिछले 8 महीनों के दौरान भारतीय इक्विटी बाजार में करीब 3.25 लाख करोड़ रुपए की बिकवाली की है। ये राशि लगभग उतनी है जितनी पिछले 10 साल में भारत में आई थी। पिछले कुछ महीनों के दौरान FIIs ने प्राइमरी मार्केट में करीब 1 लाख करोड़ रुपए डाले हैं।

एमके वेंचर्स के मधु केला ने CNBC-TV18 से हुई  इस बातचीत में आगे कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजार से भारी मात्रा में निकासी की है। लेकिन ये सिर्फ भारत से जुड़ी समस्या नहीं है। इससे चिंतित होने की जरूरत नहीं है। भारत में आई गिरावट का संबंध ग्लोबल मंदी से है। बढ़ती महंगाई के चलते पूरी दुनिया में मंदी का असर देखने को मिल रहा है। इसके अलावा कुछ निवेशकों को अमेरिका और चाइना जैसे देशों में भारी घाटा हुआ हो सकता है। इसके कारण वे बाजार से दूर नजर आ रहे हैं।


इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि 2008 के वित्तीय संकट के दौर की तुलना में आज बाजार ज्यादा मजबूत है। 2008 के दौरान एफआईआई की निकासी बहुत ज्यादा नहीं थी। फिर भी बाजार 50 फीसदी से ज्यादा से ज्यादा टूट गया था जबकि वर्तमान में एफआईआई की तरफ से भारी बिकवाली देखने को मिली है लेकिन बाजार में सिर्फ 15 फीसदी की गिरावट आई है।

उन्होंने आगे कहा कि इस समय शेयरों के वैल्यूएशन में गिरावट हुई है और यह काफी अच्छे स्तर पर नजर आ रहे हैं। वित्त वर्ष 2021 में EPS में 15 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है। जो पिछले 10 साल में आई पहली डबल डिजिट ग्रोथ है।

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मधु केला की रिटेल निवेशकों को सलाह है कि वे इस समय अपनी पूंजी बचा कर रखें और बाजार से हल्के रिटर्न की उम्मीद करें। उनका कहना है कि मेटल पर ड्यूटी लगाए जाने के बाद वो ऑटो एंसिलरी स्टॉक को लेकर बुलिश हैं। इस समय मेन लाइन ऑटो कंपनियों की तुलना में ऑटो कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियां ज्यादा बेहतर निवेश विकल्प नजर आ रही हैं।

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