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भारतीय बाजारों ने जुलाई में दुनिया के अधिकांश बाजारों की तुलना में दिया बेहतर रिटर्न, जानिए क्या रही वजह

जुलाई महीने में BSE Sensex और Nifty में 9.5 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी देखने को मिली है। वहीं अमेरिका का Nasdaq जुलाई में 12 फीसदी चढ़ा है

अपडेटेड Aug 03, 2022 पर 6:58 PM
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अधिकांश एनालिस्ट का मानना है कि आरबीआई अपने ब्याज दरों में बहुत तेज बढ़ोतरी नहीं करेगा। 2 बार में यह 0.90 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है

भारतीय इक्विटी बाजारों ने जुलाई महीने में Nasdaq को छोड़कर दुनिया के अधिकांश बाजारों की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया है। कमोडिटी की कीमतों में गिरावट, सामान्य मानसून की उम्मीद, और विदेशी निवेशकों के फिर से भारतीय बाजारों की तरफ रुख करने से बाजार में जोश आया है।

इस बात की उम्मीद बढ़ी है कि अब दुनिया भर के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों की बढ़ोतरी पर ज्यादा आक्रामक रवैया नहीं अपनाएंगे । इससे भी बाजार को सपोर्ट मिला है। जुलाई महीने में BSE Sensex और Nifty में 9.5 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी देखने को मिली है। वहीं अमेरिका का Nasdaq जुलाई में 12 फीसदी चढ़ा है। यह आंकड़े Bloomberg के विवरण पर आधारित है।

जुलाई में S&P 500 इंडेक्स में 8.1 फीसदी की, Nikkei 225 इंडेक्स में 6.1 फीसदी की, Straits Time इंडेक्स में 5 फीसदी और Dow Jones और CAC 40 में 5-5 फीसदी की, Ibovespa Brasil और FTSE 100 में करीब 5 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसी तरह फिलीपीन्स (Philippines) और कोरिया के बेंचमार्क इंडेक्स में करीब 3 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है।


जुलाई में Deutsche Boerse AG,मलेशिया के FTSE Bursa,जकाराता स्टॉक एक्सचेंज, साउथ अफ्रीका Top40 इंडेक्स में 1-3 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है जबकि हांग कांगके Hang Seng और चीन के शांघाई (Shanghai)और ताइवान के इक्विटी मार्केट में 2-10 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।

Reliance Securities के मितुल शाह का कहना है कि पहली तिमाही के मजबूत नतीजों, कमोडिटी की कीमतों में गिरावट , नॉर्मल मानसून और एफआईआई की वापसी के चलते बाजार में सरप्राइस रैली आई है। क्रूड में ऊपरी स्तर से 25 फीसदी का करेक्शन तमाम इकोनॉमी के लिए राहत लेकर आया है। इससे इक्विटी निवेशकों के कॉन्फिडेंस में बढ़ोतरी हुई है।

Prabhudas Lilladher के अमनीश अग्रवाल का कहना है कि भारतीय बाजार में आई एकाएक तेजी का बड़ा श्रेय, पहली तिमाही के दौरान आए उम्मीद से बेहतर नतीजों रहे है। उन्होंने आगे कहा कि वे भारत की ग्रोथ स्टोरी को लेकर पॉजिटिव है और उनका मानना है कि भारतीय बाजार के लिए अब सबसे बुरा दौर बीत चुका है। उन्होंने आगे कहा कि मजबूत घरेलू मांग के दर पर भारत नियर और लॉन्ग टर्म दोनों ही नजरिया से अपने ग्लोबल पीयर्स की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेगा।

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हालांकि बाजार जानकार आरबीआई मॉनिटरी पॉलिसी के फैसले के पहले सर्तक नजर आ रहे हैं। अधिकांश एनालिस्ट का मानना है कि आरबीआई अपने ब्याज दरों में बहुत तेज बढ़ोतरी नहीं करेगा। 2 बार में यह 0.90 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है। एनालिस्ट का यह भी मानना है कि आरबीआई द्वारा अपनी दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी इस बात का संकेत होगा कि महंगाई अपने शिखर पर पहुंच चुकी है लेकिन अभी यह ऊंचे दर पर बनी हुई है और अब इसमें ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है। वहीं अगर आरबीआई अपनी दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी करता है तो इसका मतलब यह होगा कि महंगाई अभी शिखर पर नहीं पहुंची है और यह बाजार के लिए एक छुपा संकेत है।

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