आईटी सेक्टर को भारतीय बाजार में डिफेंसिव सेक्टर की तौर पर देखा जाता है। जब भी बाजार मुश्किल के दौर में होता है तब निवेशक आईटी सेक्टर की शरण लेते हैं। लेकिन वर्तमान बिकवाली के दौर में इस सेक्टर की डिफेंसिव सेक्टर होने की इमेज को भारी धक्का लगा है। इस कैलेंडर ईयर के दौरान आईटी स्टॉक सबसे बड़े लूजरों में रहे हैं।
साल 2022 में अब तक निफ्टी आईटी में 20 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है जबकि इसी अवधि में निफ्टी और सेंसेक्स में 17 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। 2022 में आईटी इंडेक्स में शामिल शेयरों में 35 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली है। इनमें से कुछ शेयर तो अपने 52 वीक हाई से आधे टूट गए हैं।
चाहे वो भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी TCS हो या फिर मिडकैप कंपनी L&T Tech हो, कोई भी स्टॉक इस भयंकर बिकवाली की आंधी से अछूता नहीं रहा है। आईटी कंपनियों में उस समय भी गिरावट देखने को मिली है जब डॉलर के मुकाबले रुपये में भारी कमजोरी आई है। बता दें कि सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने पर एक्सपोर्ट पर आधारित आईटी सेक्टर की कंपनियों को फायदा होता है।
क्या अब नजर आ रहे खरीदारी के मौके?
आईटी सेक्टर में अब तक आई भारी गिरावट के बाद अब सवाल उठता है कि क्या बॉटम बन चुका है और क्या अब हमें इस सेक्टर में खरीदारी शुरू करनी चाहिए? इस पर एनालिस्ट का कहना है कि हम अभी यह निश्चित तौर पर नहीं कह सकते कि आईटी सेक्टर का बॉटम बन चुका है। एनालिस्ट का मानना है कि आईटी शेयरों का अंडरपरफॉर्मेंस अभी कुछ और दिनों तक बना रहेगा।
Geojit Financial Services के विनोद नायर का कहना है कि शॉर्ट से मीडियम टर्म के नजरिए से आईटी कंपनियों का वैल्यूएशन महंगा नजर आ रहा है। हालांकि जो लोग लंबे नजरिए से निवेश करना चाहते हैं उनके लिए आईटी और ऑनलाइन सर्विसेज वाली कंपनियों में कुछ मौके नजर आ रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि TCS, Infosys, Tech Mahindra, HCL Tech और Wipro जैसे टॉप आईटी स्टॉक्स 20 से 30 गुने के प्राइस टू अर्निंग रेश्यो के रेंज में ट्रेड कर रहे हैं। इसी तरह Mphasis, L&T Tech Services जैसे मिडकैप आईटी स्टॉक का वैल्यूएशन तुलनात्मक रुप से काफी महंगा नजर आ रहा है।
जानकारों का यह भी कहना है कि आईटी कंपनियों में विदेशी निवेशकों की भारी हिस्सेदारी है। ये भी हाल के दिनों में आईटी सेक्टर के कमजोर प्रदर्शन का कारण रहा है। भारतीय बाजार को लेकर विदेशी निवेशकों का रुख काफी बियरिश हो गया है। ऐसे में पिछले 8 महीनों के दौरान एफआईआई ने भारतीय बाजारों में भारी बिकवाली की है। इस बिकवाली की सबसे ज्यादा चोट बैंकिंग और आईटी सेक्टर को पड़ी है।
Ventura Securities के Vinit Bolinjkar का कहना है कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारतीय आईटी कंपनियों को दुनियाभर के ग्राहकों से बड़ी मात्रा में ऑर्डर मिले थे। जिसके चलते कंपनियों ने इस दशक के सबसे बड़े मौके का फायदा उठाने के लिए भारी मात्रा में भर्तियां की थी। लेकिन कोविड महामारी की वजह से बनी स्थिति में सुधार के साथ ही कंपनियों को मिलने वाले ऑर्डर फ्लो में कमजोरी आई है। जिससे अब कंपनियों को भारी वेतन लागत का भार उठाने में परेशानी हो रही है। इससे उनकी मार्जिन पर निगेटिव असर आ रहा है। इस वजह से वित्त वर्ष 2023-24 में आईटी कंपनियों के मार्जिन और मुनाफे पर दबाव देखने को मिल सकता है।
एनालिस्ट का यह भी कहना है कि अगर अमेरिका में मंदी आती है तो भारतीय आईटी कंपनियों के लिए ये बहुत बुरी खबर होगी। भारत की अधिकांश आईटी कंपनियों की कमाई में उत्तरी अमेरिकी रीजन का सबसे बड़ा योगदान है। इस इलाके में किसी मंदी से भारतीय आईटी कंपनियां सीधे तौर पर प्रभावित होंगी।
CapitalVia Global Research के अखिलेश जाट का कहना है कि वर्तमान में जारी ग्लोबल मैक्रो इकोनॉमिक अनिश्चितताएं और बढ़ती महंगाई के चलते यूएस फेड ज्यादा आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है। जिसके चलते अगले 12 महीनों में अमेरिका में मंदी देखने को मिल सकती है। उम्मीद है कि निफ्टी आईटी इंडेक्स 2022 में अंडरपरफॉर्म कर सकता है।
डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को मनी कंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सार्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।