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Zomato के शेयर 14% गिरावट के साथ ऑल टाइम लो पर आए, जानिए क्यों चली बिकवाली की आंधी

मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो (Zomato) के करीब 613 करोड़ या 78 फीसदी शेयरों का लॉक-इन पीरियड (Lock-in Period) खत्म हो गया है

अपडेटेड Jul 25, 2022 पर 2:15 PM
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जोमैटो का पब्लिक इश्यू बीएसई और एनएसई पर 23 जुलाई, 2021 को लिस्ट हुआ था

Zomato Shares : जोमैटो के शेयर सोमवार, 25 जुलाई को लगभग 14 फीसदी की गिरावट के साथ 46 रुपये के अपने ऑल टाइम लो पर पहुंच गए। दरअसल, प्री-आईपीओ शेयरहोल्डर्स (प्रमोटर्स, इम्प्लॉई और अन्य संस्थानों) के लिए लॉक इन पीरियड खत्म होने से शेयर में तगड़ी बिकवाली देखने को मिली है।

मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो (Zomato) के करीब 613 करोड़ या 78 फीसदी शेयरों का लॉक-इन पीरियड (Lock-in Period) 23 जुलाई को खत्म हो गया है। जोमैटो का पब्लिक इश्यू बीएसई और एनएसई पर 23 जुलाई, 2021 को लिस्ट हुआ था।

किन पर लागू होता है लॉकइन पीरियड का नियम


लॉक इन पीरियड का नियम उन कंपनियों पर लागू होता है, जिनमें प्रमोटर्स नहीं होते हैं। जोमैटो भी ऐसी ही कंपनियों में शामिल है, जिनमें प्रमोटर होल्डिंग्स जीरो है। नियमों के मुताबिक, जिस कंपनी में प्रमोटर्स नहीं होते हैं उनमें IPO से पहले कंपनी के पास मौजूद इक्विटी शेयर कैपिटल एक शेयरों के अलॉटमेंट से एक साल तक लॉक हो जाती है। इस दौरान, ये शेयरहोल्डर अपना एक भी शेयर बेच नहीं सकते हैं।

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इन्फोएज ने किस कीमत पर लिए थे शेयर

जोमैटो के शुरुआती इनवेस्टर्स में इन्फोएज शामिल है। संजीव बिखचंदानी की अगुआई वाली कंपनी बीते साल पब्लिक इश्यू के जरिये 357 करोड़ रुपये हासिल कर चुकी है, लेकिन इसके बाद भी फूड डिलिवरी कंपनी में उनकी 15.18 फीसदी हिस्सेदारी है। इसकी वैल्यू लगभग 6,330 करोड़ रुपये है।

जोमैटो के आईपीओ प्रॉस्पेक्टस के मुताबिक, इन्फोएज ने 1.16 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर जोमैटो के शेयर खरीदे थे। हालांकि, कंपनी ने अपनी फाइलिंग दूसरे बड़े शेयरहोल्डर्स के औसत खरीद मूल्य के बारे में नहीं बताया है।

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ये हैं शुरुआती इनवेस्टर्स

जोमैटो के शुरुआती इनवेस्टर्स में अलीपे (7.1 फीसदी), एंट फाइनेंशियल (6.99 फीसदी), टाइगर ग्लोबल (5.11 फीसदी), सिकोइया कैपिटल (5.10 फीसदी) और टेमासेक (3.11 फीसदी) शामिल हैं।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इनवेस्टर्स को लॉकइन पीरियड खत्म होने के बाद उबर और डिलिवरी हीरो जैसे शेयरहोल्डर्स के रुख पर नजर रखनी चाहिए। ये कंपनियां पहले से आर्थिक मंदी की आशंका के चलते दबाव में हैं। इसलिए ये जोमैटो में अपनी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर सकती हैं।

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