ICICI Securities Delisting: नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT), मुंबई ने 21 अगस्त को ICICI सिक्योरिटीज के डीलिस्टिंग प्लान को मंजूरी दे दी। NCLT ने दो माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स की ओर से उठाई गई आपत्तियों को दरकिनार करते हुए यह फैसला किया। जस्टिस वीरेंद्र सिंह जी बिष्ट और जस्टिस प्रभात कुमार की अगुवाई वाली NCLT बेंच ने 5 अगस्त को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। जून 2023 में, ICICI सिक्योरिटीज ने डीलिस्टिंग और बाद में पेरेंट फर्म ICICI Bank के साथ विलय की योजना पेश की थी।
29 जून, 2023 को ICICI Bank के बोर्ड ने योजना को मंजूरी दे दी थी। इस साल मार्च में शेयरधारकों ने डीलिस्टिंग प्लान को मंजूरी दे दी थी, जिसमें 72 प्रतिशत माइनॉरिटी निवेशकों ने इसके पक्ष में मतदान किया था। डीलिस्टिंग के साथ ICICI सिक्योरिटीज, ICICI Bank के पूर्ण मालिकाना हक वाली सहायक कंपनी बन जाएगी। प्लान के अनुसार, शेयरधारकों को ICICI सिक्योरिटीज के हर 100 शेयरों के लिए ICICI Bank के 67 शेयर मिलेंगे।
कौन से शेयरहोल्डर थे डीलिस्टिंग के खिलाफ
क्वांटम म्यूचुअल फंड और निवेशक मनु ऋषि गुप्ता ने दो अलग-अलग याचिकाओं में ICICI सिक्योरिटीज की डीलिस्टिंग का विरोध किया था। उन्होंने दावा किया था कि शेयर स्वैप से माइनॉरिटी शेयरधारकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि डीलिस्टिंग की घोषणा के समय शेयर प्राइस वैल्यूएशन कम थी। लेकिन ICICI सिक्योरिटीज ने इन आपत्तियों का विरोध किया।
ICICI Securities का शेयर लुढ़का
ICICI Securities के शेयर में 21 अगस्त को गिरावट है। शेयर सुबह बीएसई पर लाल निशान में 823.20 रुपये पर खुला। इसके बाद यह पिछले बंद भाव से करीब 8 प्रतिशत तक नीचे आया और 783.05 रुपये के लो तक गया। कारोबार बंद होने पर शेयर 7 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट के साथ 785.95 रुपये पर सेटल हुआ। कंपनी का मार्केट कैप 25400 करोड़ रुपये है। पिछले एक साल में शेयर 26 प्रतिशत चढ़ा है।
SEBI के साथ मानदंडों के उल्लंघन का मामला सुलझाया
ICICI Securities ने 69.82 लाख रुपये का भुगतान कर नियामक मानदंडों के कथित उल्लंघन से संबंधित मामले को सेबी के साथ सुलझा लिया है। कंपनी ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया, कंपनी की मर्चेंट बैंकिंग गतिविधियों की बुक्स और रिकॉर्ड के निरीक्षण के संबंध में सेबी को एक सेटलमेंट आवेदन प्रस्तुत किया। ICICI Securities ने सेबी के कारण बताओ नोटिस से उत्पन्न किसी भी लंबी कार्यवाही से बचने के लिए उपर्युक्त मामले में सेटलमेंट रेगुलेशंस के तहत सेटलमेंट के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। भुगतान के बाद सेबी की ओर से सेटलमेंट ऑर्डर कंपनी को मिल चुका है।