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बाजार की इस उठा-पटक में अच्छी ब्रांड इक्विटी और कंज्यूमर के बीच पहचान रखने वाली कंपनियों पर करें फोकस- कमल मनोचा

कमल मनोचा ने कहा कि यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी और कुछ एशियाई देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंध से इस तनाव मे कोई कमी नहीं आएगी.

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 26, 2022 पर 1:34 PM
बाजार की इस उठा-पटक में अच्छी ब्रांड इक्विटी और कंज्यूमर के बीच पहचान रखने वाली कंपनियों पर करें फोकस- कमल मनोचा
रूस और यूक्रेन की वजह से उत्पन्न जियोपॉलिटिकल तनाव ने पूरी दुनिया के बाजारों में पिछले कुछ दिनों के दौरान भारी दबाव बना है

PMS AIF World के फाउंडर और सीईओ कमल मनोचा ने मनीकंट्रोल के साथ देश की इकोनॉमी, बाजार और देश दुनिया की स्थितियों पर लंबी बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी और कुछ एशियाई देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंध से इस तनाव मे कोई कमी नहीं आएगी।

गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन की वजह से उत्पन्न जियोपॉलिटिकल तनाव ने पूरी दुनिया के बाजारों में पिछले कुछ दिनों के दौरान भारी दबाव बना है। कमल मनोचा को इन्वेस्टमेंट एडवाइजर के तौर पर 15 साल से ज्यादा का अनुभव है। उन्होंने कहा कि बाजार के वर्तमान गिरावट के दौर में ऐसी कंपनियों पर दांव लगाएं जिनकी ब्रांड इक्विटी काफी मजबूत है और जिनके साथ कंज्यूमर का गहरा लगाव है। ऐसी कंपनियां कीमत बढ़ोतरी का उपाय अपनाकर इन्फ्लेशन के दबाव से निपटने में ज्यादा सक्षम होंगी। समय बीतने के साथ मुद्रास्फीति का दबाव कम होगा और इस दौरान कीमतों में की गई बढ़ोतरी के चलते कंपनियों के मार्जिन में बढ़ोतरी आएगी।

यूक्रेन और रशिया के तनाव पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यूक्रेन NATO संगठन में शामिल होना चाहता है। उसको लगता है कि ऐसा करके वह अपनी स्वतंत्रता को बचाए रखने में सफल रहेगा। रूस इसका विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा कि रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने आगे कहा कि रूस 1.8 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी है। इसके पास 600 अरब का विदेशी मुद्रा भंडार है। इसका अधिकांश रिजर्व गोल्ड के रूप में है। ग्लोबल इकोनॉमी के नजरिए से रूस काफी अहम है। यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल निर्यात करने वाला देश है। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गैस उत्पादन करने वाला देश है।

रूस से उत्पादित करीब 40 फीसदी गैस का एक्सपोर्ट यूरोपियन देशों को होता है औऱ उसमें से भी 20 फीसदी गैस का वितरण यूक्रेन से जाने वाले गैस पाइपलाइन से होता है। ऐसे में इस लड़ाई का आर्थिक और गैर आर्थिक प्रभाव काफी गहरा हो सकता है और इस तनाव को सिर्फ बातचीत के जरिए ही हल किया जा सकता है और यही अकेला रास्ता है।

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