भारतीय इकॉनमी पर ब्रोकरेज फर्मों का भरोसा बढ़ रहा है तो चीन को लेकर वे निगेटव दिख रहे हैं। वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनले ने हाल ही में भारत की रेटिंग को अपग्रेड कर ओवरवेट कर दिया है क्योंकि उसका मानना है कि जब दुनिया में सुस्ती छा रही है तो भारतीय इकॉनमी में मजबूत ग्रोथ के संकेत दिख रहे हैं। वहीं ब्रोकरेज ने चीन की रेटिंग में कटौती कर इसे इक्वल वेट कर दिया है। इससे ठीक चार महीने पहले 31 मार्च को मॉर्गन स्टैनले ने भारत की रेटिंग को अंडरवेट से इक्वल वेट किया था। भारत की रेटिंग मजबूत होने से अब निवेशकों के लिए यह और आकर्षक हो सकता है।
भारत के अलावा अन्य देशों की भी रेटिंग में बदलाव हुआ है। मॉर्गन स्टैनले ने ग्रीस की रेटिंग को अपग्रेड कर ओवरवेट, ऑस्ट्रेलिया की रेटिंग डाउनग्रेड कर अंडरवेट के साथ-साथ एमएससीआई चीन और ताइवान की रेटिंग रिवाइज कर ओवरवेट से इक्वल वेट कर दी है।
किन शेयरों को लेकर पॉजिटव है ब्रोकरेज
मॉर्गन स्टैनले ने न सिर्फ भारत की बल्कि यहां के कुछ सेक्टर को भी अपग्रेड किया है। ब्रोकरेज फर्म ने इंडस्ट्रियल्स, फाइनेंशियल्स और कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी के शेयरों को अपग्रेड किया है। अब इन्हें ओवरवेट की रेटिंग मिली हुई है। ब्रोकरेज का मानना है कि भारतीय इकनॉमिक ग्रोथ का सबसे अधिक फायदा इन्हें मिलेगा। इसने एशिया-पैसेफिक एक्स-जापान की फोकस लिस्ट में एलएंडटी और मारुति सुजुकी को जोड़ा है। हालांकि टाइटन को इस सूची से हटा दिया है। एलएंडटी और मारुति सुजुकी इसकी ग्लोबल एमर्जिंग मार्केट्स फोकस लिस्ट में भी है।
दिसंबर तक Sensex पहुंच सकता है 68500 तक
मॉर्गन स्टैनले का अनुमान है कि दिसंबर तक सेंसेक्स 68500 प्वाइंट्स तक पहुंच सकता है। यह मौजूदा लेवल से करीब 10 फीसदी अपसाइड है। ब्रोकरेज के मुताबिक यह 20.5x PE पर पहुंच सकता है जबकि 25 साल का औसत 20x है। मॉर्गन स्टैनले का कहना है कि ऐतिहासिक औसत की तुलना में प्रीमियम वैल्यूएशन मीडियम टर्म ग्रोथ को लेकर मजबूत भरोसे को दिखाता है।
पॉजिटिव आउटलुक के बावजूद मॉर्गन स्टेनले ने कुछ रिस्क को लेकर भी आगाह किया है। ब्रोकरेज के मुताबिक अगर अप्रत्याशित तौर पर मुद्रास्फीति यानी महंगाई के बढ़ने की दर बढ़ती है और मौद्रिक नीतियों में बदलाव होता है तो इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है। सबसे अधिक खतरा ऐसे समय में है जब प्रोडक्टिविटी में सुधार की गति कायम नहीं रहती है। इसके अलावा एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) से भारतीय सर्विस एक्सपोर्ट और लेबर फोर्स पर असर को लेकर भी निगाह बनाए रखनी होगी।