अमेरिकी इकॉनमी को तगड़ा झटका लगा है। रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) ने इसकी रेटिंग घटा दी है। फिच ने अमेरिका की रेटिंग को AAA से घटाकर AA+ कर दिया है। 2011 के बाद से यह पहली बार है जब अमेरिका की रेटिंग में कटौती हुई है। रेटिंग में यह कटौती देश की वित्तीय स्थिति और बढ़ते कर्ज को देखते हुए की गई है। फिच के मुताबिक बढ़ते राजकोषीय घाटे और कमजोर होते गवर्नेंस के चलते पिछले दो दशक में कई बार कर्ज खतरनाक सीमा तक पहुंच गया। हालांकि अब फिच ने इसकी रेटिंग घटा दी। इससे पहले पिछली बार एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने इसकी रेटिंग घटाई थी।
फिच का कहना है कि फेडरल रिजर्व सितंबर में ब्याज दरों में एक और बढ़ोतरी कर सकता है जिससे रेटिंग्स पर और दबाव आ सकता है। फिच ने आगाह किया है कि अगर खर्च से जुड़े मुद्दों और मैक्रोइकनॉमिक पॉलिसी से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने में सरकार नाकाम रहती है तो रेटिंग और नीचे जा सकती है। वहीं दूसरी तरफ मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने अभी भी अमेरिका की सोवरेन रेटिंग एएए दी हुई है जो इसकी टॉप रेटिंग है।
क्या कहना है सरकार और फिच का
फिच के मुताबिक टैक्स में कटौती और नए खर्चों के चलते इकॉनमी को कई झटके लगे जिससे बजट घाटा बढ़ा। इसके अलावा बढ़ती एन्टाइटल्मन्ट कॉस्ट्स से जुड़ी मीडियम टर्म की चुनौतियों से निपटा ही नहीं गया जिसने दिक्कतें बढ़ाई। फिच का कहना है कि रेटिंग में कटौती अगले तीन साल में अमेरिकी वित्तीय सेहत के गिरने का संकेत है। यह बढ़ते सरकारी कर्ज और एए और एएए रेटेड पियर्स के मुकाबले गवर्नेंस में गिरावट का भी संकेत है।
हालांकि रेटिंग में कटौती को लेकर ट्रेजरी सचिव जैनेट येलेन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। ट्रेजरी सचिव ने इसे मनमानी बताया और कहा कि रेटिंग एजेंसी ने 2018 से 2022 के पुराने डेटा के आधार पर रेटिंग दी है। उन्होंने ये भी कहा कि इस रेटिंग से यह बात नहीं बदलेगी जो अमेरिकी, निवेशक और दुनिया भर के लोग पहले से ही जानते हैं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था मौलिक रूप से मजबूत है और ट्रेजरी सिक्योरिटी दुनिया की सबसे सुरक्षित और लिक्विड एसेट बनी हुई है। वहीं पूर्व ट्रेजरी सचिव लैरी समर्स का कहना है कि अमेरिका लॉन्ग टर्म की गंभीर वित्तीय चुनौतियों से जूझ रहा है लेकिन क्रेडिट रेटिंग का रेटिंग घटाने का फैसला किसी भी तरह से उचित नहीं कहा जा सकता क्योंकि इकॉनमी उम्मीद से अधिक मजबूत दिख रही है।
रेटिंग में कटौती का कितना पड़ा असर
अमेरिका की रेटिंग में कटौती के चलते दो साल की ट्रेजरी पर यील्ड 3 बेसिस प्वाइंट्स यानी 0.03 फीसदी गिराकर 4.87 फीसदी पर आ गई। इसके अलावा 10 साल का यूएस बॉन्ड्स 1 बेसिस प्वाइंट्स यानी 0.01 फीसदी गिरकर 4.01 फीसदी पर आ गया।
किस लेवल पर कर्ज पहुंचने की आशंका
अमेरिका की रेटिंग में कटौती की एक वजह बढ़ता कर्ज भी है। फिच का अनुमान है कि 2025 तक यह जीडीपी के 118 फीसदी तक पहुंच सकता है। यह एएए देशों के मीडियन कर्ज लेवल 39.3 फीसदी से ढाई गुना से भी अधिक है। रेटिंग कंपनी का अनुमान है कि इससे आगे भी लॉन्ग टर्म में डेट-टू-जीडीपी रेश्यो बढ़ेगा।