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Market outlook : भारतीय बाजार निवेश के लिए अभी भी अच्छा, डिफेंस और टेलीकॉम शेयरों में होगी जोरदार कमाई 

Market outlook : ग्रीन पोर्टफोलियो के दिवम शर्मा का मानना ​​है कि बाजार थोड़ा ज्यादा महंगा लग रहा है क्योंकि लगातार तेजी के बाद इंडेक्स ऑलटाइम हाई पर पहुंच गए हैं। दिवम शर्मा ग्रीन पोर्टफोलियो के संस्थापक और फंड मैनेजर हैं

अपडेटेड Aug 29, 2024 पर 1:38 PM
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दिवम ने कहा भारतीय आईटी कंपनियां अभी भी पश्चिमी देशों पर बहुत ज्यादा निर्भर है और इसे आउटसोर्सिंग हब के रूप में देखा जाता है। 2024 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और फेड द्वारा दरों में कटौती इंडस्ट्री के लिए ट्रिगर पॉइंट के रूप में काम कर सकती है

Stock market : ग्रीन पोर्टफोलियो के दिवाम शर्मा का कहना है कि इस समय बाजार का वैल्यूएशन थोड़ा महंगा दिख रहा है। लगातार बनी तेजी के बाद इंडेक्स ऑलटाइम हाई पर पहुंच गए हैं। लेकिन उनका यह भी मानना ​​है कि मजबूत अर्निंग ग्रोथ, ऑर्डर बुक और क्षमता विस्तार की संभावनाओं से भरा माहौल भारतीय शेयर बाजार को अभी भी आकर्षक बनाता है। लेकिन पश्चिमी देशों में ब्याज दरों में कटौती को लेकर अनिश्चितता के कारण एफआईआई सतर्क हैं।

वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के नतीजों के बाद उन्होंने कहा कि डिफेंस सेक्टर में हाल में हुए सुधार ने इसे काफी आकर्षक सेक्टर बना दिया है। वहीं, टेलीकॉम सेक्टर उनकी पसंद की सूची में टॉप पर बना हुआ है।

जमाने की इंटरनेट आधारित कंपनियां और डिजिटलीकरण की थीम पसंद


इक्विटी और कैपिटल मार्केट का 15 सालों से अधिक का अनुभव रखने वाले दिवम का कहना है कि उन्हें नए जमाने की इंटरनेट आधारित कंपनियां और डिजिटलीकरण की थीम पसंद है। लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि अभी भी इन कंपनियों का वैल्यूएशन महंगा होने के कारण वो इनमें निवेश करने से बचते हैं। ये कंपनिया ग्रीन पोर्टफोलियो मौलिक दर्शन में फिट नहीं बैठती हैं। ये फंड स्मॉल और मिड-कैप शेयरों में निवेश करता है जिनमें कल के लार्ज कैप बनने की क्षमता होती है।

पश्चिमी देशों में ब्याज दरों में कटौती को लेकर अनिश्चितता के कारण एफआईआई सतर्क

इस जवाब में दिवम ने कहा कि एफआईआई ने इस महीने में 30,000 करोड़ रुपये नेट बिक्री की है। इसी अवधि में डीआईआई ने 49,000 करोड़ रुपये की नेट खरीदारी की है। डीआईआई ने भारतीय इक्विटी खरीदने में अपने एफआईआई साथियों को एक बार फिर पीछे छोड़ दिया है। डीआईआई की खरीदारी का श्रेय बाजार में मौजूद भारी नकदी को दिया जा सकता है। अगर हम बुनियादी बातों पर नजर डालें तो कंपनियों ने वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में अच्छा प्रदर्शन किया है। साथ ही बाजार में नकदी भी लगातार बढ़ रही है।

एफआईआई के वैल्यूएशन को लेकर चिंतित होने के सवाल पर उन्होंने कि इस समय बाजार का वैल्यूएशन थोड़ा महंगा दिख रहा है। लगातार बनी तेजी के बाद इंडेक्स ऑलटाइम हाई पर पहुंच गए हैं। लेकिन उनका यह भी मानना ​​है कि मजबूत अर्निंग ग्रोथ, ऑर्डर बुक और क्षमता विस्तार की संभावनाओं से भरे माहौल में भारतीय शेयर बाजार अभी भी आकर्षक हैं। लेकिन पश्चिमी देशों में ब्याज दरों में कटौती को लेकर अनिश्चितता के कारण एफआईआई सतर्क हैं।

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डिफेंस सेक्टर है पसंद

अपने पसंदीदा शेयरों और सेक्टरों पर बात करते हुए दिवम ने कहा कि डिफेंस सेक्टर में हाल ही में हुए रिफार्म के बाद काफी अच्छा लग रहा है। उन्होंने बताया कि टेलीकॉम सेक्टर उनकी लिस्ट में टॉप पर बना हुआ है। उन्होंने ये भी कहा कि एक फंड हाउस के रूप में वे सेक्टरों या थीम में निवेश नहीं करते हैं, बल्कि उन शेयरों में निवेश करते हैं, जिनमें आगे जोरदार ग्रोथ की उम्मीद होती है।

रियल एस्टेट में बन सकती है आपूर्ति की अधिकता और पर्याप्त मांग के अभाव की स्थिति

रियल एस्टेट सेक्टर पर बात करते हुए दिवम ने कहा कि रियल एस्टेट एक सिक्लिकल सेक्टर है। रियल एस्टेट की कीमतों में काफी बढ़त हुई है। लेकिन अगर आप बीएसई रियल्टी इंडेक्स को देखें, तो यह अभी भी 2007 के 13,400 के स्तर तक नहीं पहुंचा है। हाल ही में कुछ इंफ्रा कंपनियों के साक्षात्कार से एक बात साफ है इस सेक्टर में कीमतें उच्च निर्माण लागत और उपभोक्तावाद के कारण बढ़ी हैं। पूंजी तक आसान पहुंच एक और बड़ा कारक है। आमतौर पर कहा जाता है कि भारत इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। लेकिन हम सभी जानते हैं कि चीन के साथ क्या हो रहा है। अभी, इस सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा मिलने से सपोर्ट मिल रहा है। लेकिन सेक्टर की ये तेजी बुनियादी बातों के सपोर्ट पर आधारित नहीं है। इसके चलते भविष्य में इस सेक्टर आपूर्ति की अधिकता और पर्याप्त मांग के अभाव की स्थिति बन सकती है।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और फेड द्वारा दरों में कटौती आईटी इंडस्ट्री के लिए होंगे बड़े ट्रिगर

आईटी स्टॉक पर बात करते हुए दिवम ने कहा कि बड़ी आईटी कंपनियों के वित्त वर्ष 2025 के पहली तिमाही के नतीजे उम्मीदों के मुताबिक ही रहे हैं। कुछ मिडकैप कंपनियों ने सकारात्म गाइडेंस दिए हैं। कंपनियों को आखिरकार फायदा हो रहा है क्योंकि उन्हें पिछले साल मिले बड़े सौदों से कमाई होनी शुरू हो गई है। भारतीय आईटी कंपनियां अभी भी पश्चिमी देशों पर बहुत ज्यादा निर्भर है और इसे आउटसोर्सिंग हब के रूप में देखा जाता है। 2024 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और फेड द्वारा दरों में कटौती इंडस्ट्री के लिए ट्रिगर पॉइंट के रूप में काम कर सकती है।

 

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