उभरते शेयर बाजारों में जारी तेजी में इस बार भारत शामिल नहीं, बिकवाली दबाव से पस्त हैं भारतीय बाजार

विदेशी फंड्स इंडियन मार्केट्स से लगातार पैसे निकाल रहे हैं। विदेशी फंडों की बिकवाली की वजह से ग्लोबल मार्केट्स में इंडिया सबसे खराब प्रदर्शन वाला बाजार बन गया है। उभरते बाजारों में निवेश बढ़ रहा है, लेकिन इंडिया इस निवेश में हिस्सेदारी नहीं कर पा रहा

अपडेटेड Oct 06, 2025 पर 9:56 PM
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विदेशी फंडों ने इस साल करीब 2 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है। यह 2024 में 1.21 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली से काफी ज्यादा है।

दुनियाभर के शेयर बाजारों में जारी तेजी के बीच इंडियन मार्केट्स काफी पीछे रह गए हैं। खासकर उभरते बाजारों के मुकाबले काफी पिछड़ चुके हैं। एचएसबीसी होल्डिंग्स के एक सर्वे से पता चलता है कि उभरते बाजारों के फंड मैनेजर्स 2021 की शुरुआत के मुकाबले काफी आशावान हैं। लेकिन, इस पॉजिटिव सोच के बावजूद इंडियन मार्केट्स पर लगातार बिकवाली का दबाव बना हुआ है। विदेशी फंड्स इंडियन मार्केट्स से लगातार पैसे निकाल रहे हैं।

उभरते बाजारों में भारत का प्रदर्शन सबसे खराब

Foreign Funds (FIIs) की बिकवाली की वजह से ग्लोबल मार्केट्स में इंडिया सबसे खराब प्रदर्शन वाला बाजार बन गया है। उभरते बाजारों में निवेश बढ़ रहा है, लेकिन इंडिया इस निवेश में हिस्सेदारी नहीं कर पा रहा। ग्लोबल सैक्स ग्रुप के स्ट्रेटेजिस्ट्स का कहना है कि उभरते बाजार न सिर्फ खुद को बचाए रखने में सफल हैं बल्कि उनमें तेजी दिख रही है। इसकी वजह बढ़ते टैरिफ के बावजूद उम्मीद से बेहतर इकोनॉमिक ग्रोथ है।


चीन के शेयर बाजारों में हो रहा अच्छा निवेश

रिपोर्ट्स बताते हैं कि उभरते बाजारों के एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में निवेश तीसरी तिमाही के अंत से ही बढ़ना शुरू हो गया था। इसका बड़ा हिस्सा चीन में गया। चीन के बाजारों में अच्छी तेजी देखने को मिली है। इसमें चीन की इकोनॉमी में रिकवरी के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में संभावित बूम को लेकर उत्साह है। खासकर DeepSeek के प्रभावशाली प्रदर्शन का इसमें हाथ है। उभरते बाजारों का हाल बताने वाला MSCI इंडेक्स चार साल की ऊंचाई पर पहुंच गया है।

इनवेस्टर्स अमेरिका से बाहर करना चाहते इनवेस्ट

एनालिस्ट्स का कहना है कि डॉलर में नरमी से इनवेस्टर्स अमेरिका के बाहर के एसेट्स में इनवेस्ट करना चाहते हैं। इसके अलावा अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की इंटरेस्ट रेट में कमी की साइकिल से ऐसा माहौल बना है, जिसमें दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक भी अपनी मॉनेटरी पॉलिसी को नरम बनाने के बारे में सोच सकते हैं। एचएसबीसी के सर्वे में 100 इनवेस्टर्स ने हिस्सा लिया, जो उभरते बाजारों में करीब 423 अरब डॉलर के एसेट्स का प्रबंधन करते हैं।

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पॉजिटिव सोच रखने वाले इनवेस्टर्स की संख्या बढ़ रही

सर्वे के नतीजों से पता चलता है कि इनवेस्टर्स की सोच में बदलाव आया है। इस सर्वे में बुलिश आउटलुक वाले पार्टिसिपेंट्स की हिस्सेदारी जून के 44 फीसदी से बढ़कर 62 फीसदी पर पहुंच गई। निराशावादी सोच रखने वाले इनवेस्टर्स की हिस्सेदारी गिरकर सिर्फ 7 फीसदी रह गई। इसके ठीक उलट इंडिया में विदेशी फंडों ने इस साल करीब 2 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है। यह 2024 में 1.21 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली से काफी ज्यादा है। इससे साल 2025 विदेशी फंडों की सबसे ज्यादा बिकवाली वाले सालों की लिस्ट में शामिल हो गया है।

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