भारतीय बाजारों ने मध्य अगस्त से अब तक दुनिया के तमाम बड़े बाजारों की तुलना में ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है । सुधरते मैक्रो इकोनॉमिक आउटलुक, विदेशी निवेशकों की तरफ से लौटी खरीदारी और कमोडिटी की कीमतों में नरमी से भारतीय बाजार को सपोर्ट मिला है। अमेरिका में ब्याज दरों की उम्मीद के चलते ग्लोबल मार्केट में दबाव देखने को मिल रहा है। भारत भी इस दबाव से अछूता नहीं है। फिर भी दूसरे बाजारों की तुलना में भारतीय बाजारों में कम गिरावट आई है। यहां तक की हाल के कुछ कारोबारी सत्रों के इसमें निचले स्तरों से काफी अच्छा सुधार ही देखने को मिला है।
ग्लोबल मार्केट पर नजर डालें तो अगस्त के मध्य के बाद से अब तक डाओ जोन्स में 8.8 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं S&P 500 9.22 फीसदी टूटा है। जबकि इसी अवधि में Nasdaq में 12 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। अमेरिका से बाहर निकले तो FTSE100 में 3.2 फीसदी , CAC में 7.4 फीसदी , Dax में 7.5 फीसदी की, Nikkei में 4.3 फीसदी की और Hang Seng में 3.2 फीसदी की गिरावट हुई है। जबकि इसी अवधि में सेंसेक्स और निफ्टी सिर्फ 1 फीसदी फिसले हैं।
इस साल के अब तक के ग्लोबल मार्केट के प्रदर्शन पर नजर डालें तो इस अवधि में सेंसेक्स-निफ्टी करीब 1.8 फीसदी मजबूत हुए हैं जबकि ऊपर बताए गए सभी बड़े ग्लोबल इंडेक्सों में 1 से लेकर 25 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली है।
हाल ही जारी एसबीआई की Ecowrapरिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय भारत को साफ तौर पर TINA फैक्टर (कोई दूसरा बेहतर विकल्प ना होना) का फायदा मिल रहा है। भारतीय बाजार निवेश विकल्प के तौर पर दुनिया के तमाम बड़े बाजारों की तुलना में ज्यादा बेहतर नजर आ रहा है। जिसके चलते विदेशी निवेशक एक बार फिर भारत की तरफ रुख कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2023 में ग्रोथ और इनफ्लेशन आउटलुक के नजरिए से भारत सबसे बेहतर स्थिति में नजर आ रहे है। चीन कंस्ट्रक्शन सेक्टर में आई बड़ी दिक्कतों के चलते मुश्किल के दौर में है। ऐसे में विदेशी निवेशक भारत की तरफ रुख कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो चीन में कमजोर डिमांड, कोविड के फिर से बढ़ते मामलों, रियल एस्टेट सेक्टर की मुश्किलें, एनर्जी सप्लाई से जुड़ी दिक्कतें जैसी तमाम चुनौतियां नजर आ रही हैं। हाल ही में Apple ने कहा है कि वह अपना iPhone 14 भारत में बनाएगी। यह भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के लिए बहुत ही अच्छी खबर है।
Kotak Institutional Equities का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों के दौरान ग्लोबल मार्केट की तुलना में भारत का बेहतर प्रदर्शन भारत की इकोनॉमी में निवेशकों के विश्वास का प्रतीक है। उम्मीद है कि भारत की इकोनॉमी और बाजार निवेशकों की उम्मीदों पर खरी उतरेगी।
देश के इकोनॉमी की रिकवरी अभी तक शानदार रही है। हाल ही में आए मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस पीएमआई और ऑटो सेल्स जैसे आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहे हैं। इससे इकोनॉमी में सुधार के साफ संकेत मिल रहे हैं। एनालिस्ट का यह भी मानना है कि आने वाले महीनों में रिटेल महंगाई भी कम होती नजर आएगी। त्योहारी सीजन नजदीक होने के साथ ही आगे मांग में भी सुधार होता दिखेगा।
मार्केट एनालिस्ट का यह भी कहना है कि हाल ही में कच्चे तेल और दूसरी कमोडिटीज की कीमतों में आई गिरावट के चलते भारत का नियरटर्म मैक्रो आउटलुक और सुधरा है। हालांकि ग्लोबल एनर्जी आउटलुक को लेकर स्थिति साफ नहीं है। इस बीच भारतीय बाजार में एफआईआई की तरफ से लौटी खरीदारी ने निवेशकों के सेटीमेंट को बूस्ट दिया है। मध्य अगस्त से अब तक एफआईआई ने भारतीय बाजारों में 6.60 अरब डॉलर की खरीदारी की है।
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