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Oil and Gas Stocks: कच्चे तेल में गिरावट से इंडियन ऑयल के शेयर रॉकेट, लेकिन ONGC धड़ाम, क्या है वजह?

Oil and Gas Stocks: इजरायल और ईरान के बीच सीजफायर के ऐलान ने कच्चे तेल के भाव तोड़ दिए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि ईरान और इजरायल पूर्ण युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। इसके चलते ऑयल एंड गैस स्टॉक्स पर निवेशक टूट पड़े और तेल बेचने वाली कंपनियों के शेयर 5% तक उछल गए

Edited By: Moneycontrol Hindi Newsअपडेटेड Jun 24, 2025 पर 11:32 AM
Oil and Gas Stocks: कच्चे तेल में गिरावट से इंडियन ऑयल के शेयर रॉकेट, लेकिन ONGC धड़ाम, क्या है वजह?
Oil and Gas Stocks: मिडिल ईस्ट में इजरायल और ईरान के बीच सुलह की संभावनाओं पर तेल और गैस स्टॉक्स रॉकेट बन गए। (File Photo- Pexels)

Oil and Gas Stocks: मिडिल ईस्ट में इजरायल और ईरान के बीच सुलह की संभावनाओं पर तेल और गैस स्टॉक्स रॉकेट बन गए। इसकी वजह ये है कि दोनों देशों के बीच तनाव हल्का होने की उम्मीद में कच्चे तेल के भाव टूट गए। इसके चलते इंडियन ऑयल के शेयर 3.6% उछलकर ₹144.93 (Indian Oil Share Price), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के शेयर 3.3% उछलकर ₹323.85 (BPCL Share Price) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के शेयर 4.5 बढ़कर एनएसई पर ₹411.50 (HPCL Share Price) पर पहुंच गए। हालांकि दूसरी तरफ कच्चे तेल के गिरने से ओएनजीसी के शेयर 2% टूटकर ₹246.13 (ONGC Share Price) और ऑयल इंडिया के शेयर 3.4% गिरकर ₹456.1 (Oil India Share Price) पर आ गए।

कच्चा तेल के उतार-चढ़ाव से क्या है कनेक्शन?

पिछले कारोबारी सत्र में ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स 7.2% की गिरावट के साथ प्रति बैरल $71.48 और यूएस वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट (WTI) क्रू़ड प्रति बैरल 7.2% गिरकर $68.51 पर आ गया। एक महीने में कच्चे तेल में उबाल से इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के शेयर दबाव में थे। वहीं दूसरी तरफ ऑयल इंडिया और ओएनजीसी के शेयर 10% तक उछल गए थे। जब कच्चे तेल के भाव बढ़ते हैं तो तेल बेचने वाली कंपनियों के शेयर दबाव में आ जाते हैं क्योंकि उनकी लागत बढ़ जाती है और वे इस बढ़ते दबाव को प्राइसिंग रेगुलेशंस या डिमांड से जुड़ी चिंताओं के चलते आगे कंज्यूमर्स पर पूरा नहीं डाल पाते हैं। इसकी वजह से उनके प्रॉफिट मार्जिन को झटका लगता है। वहीं दूसरी तरफ तेल निकालने वाली कंपनियों जैसे कि ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को कच्चे तेल के बढ़ते भाव से उन्हें प्रति बैरल अधिक कमाई होती है जबकि लागत बड़े पैमाने पर स्थिर ही रहता है।

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